इस तरह सेट करें Newborn Babies का स्लीप शैड्यूल, रात में लेंगे पूरी नींद

punjabkesari.in Wednesday, Jan 03, 2024 - 01:22 PM (IST)

पेरेंट्स बनाना किसी के लिए भी जीवन का बहुत ही खास पल होता है। बच्चा होने पर माता-पिता का एक नया रिश्ता शुरु होता है इसके साथ ही पेरेंट्स की जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती हैं। बच्चे के पैदा होने के कारण माता-पिता की जिंदगी में भी काफी बदलाव आते हैं। खासकर न्यू बॉर्न बेबी रात को जागते हैं और दिन में सोते हैं जिसके चलते पेरेंट्स की रुटीन भी बदलने लगती है। इसके अलावा बेबी के रात में जागने के कारण पेरेंट्स रात में सो भी नहीं पाते। यदि आप भी अभी नए-नए पेरेंट्स बने हैं और आपके बच्चे दिन में सोते हैं तो ये आम बात है लेकिन आप अपने न्यूबॉर्न बेबी की यह आदत बदल भी सकते हैं। बच्चे की रुटीन में कुछ बदलाव करके आप उनके सोने-जागने का समय तय कर सकते हैं। आइए जानते हैं कैसे...

बच्चे के सोने का समय तय करें 

आप अपने बच्चे को हर सुबह एक तय समय पर जगाने की कोशिश करें। आप चाहें तो बच्चे को कमरे की खिड़कियों के पर्दे खोलकर या अपने बच्चे का धीरे-धीरे नाम बुलाकर उन्हें उठा सकते हैं लेकिन इस दौरान इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे हलचल या फिर चिड़चिड़ाने से ज्यादा परेशान न हों क्योंकि पूरी रात जागने के बाद बच्चे को दिन में जागना अच्छा नहीं लगेगा। 

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इस तरह डालें आदते 

. बच्चे के शरीर को यदि आप सही रखना चाहते हैं तो उसे सुबह की प्राकृतिक रोशनी में ले जाएं। 

. बच्चे के 2-3 घंटे के अंतराल में दूध पिलाएं। ऐसा करने के लिए आपको बच्चे को जगाना भी पड़ सकता है। 

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. हर डेढ़ घंटे की झपकी के बाद आप बच्चों को जगाने की कोशिश करें और इस दौरान ध्यान रखें कि बच्चे 2 घंटे से ज्यादा झपकी न लें। 

. रात को सोते समय उनके लिए आरामदायक माहौल बनाएं। बच्चे की मालिश करें, उनका डायपर बदलें और दूध पिलाकर उन्हें सुलाने की कोशिश करें। 

. बच्चों के साथ देर रात तक जागने या उनके साथ बात करने की जगह आप उन्हें सुलाने को कोशिश करें। 

. रात में बच्चे को दूध पिलाने या फिर डायपर चेंज करने के दौरान ज्यादा लाइट इस्तेमाल न करें। इससे उनकी आंख जल्दी खुल सकती है। 

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. बच्चे को टीवी, मोबाइल फोन की नीली रोशनी के संपर्क में आने से बचाएं। 

हालांकि ज्यादातर मामलों में न्यूबॉर्न बेबी शुरुआत के कुछ महीनों में रात में जागते और दिन में सोते ही हैं। ऐसे में आप बिल्कुल भी न घबराएं। ऊपर बताई गई बातों का ध्यान रखकर आप बच्चों की फिक्स स्लीप रुटीन तय कर सकते हैं। 


 
 


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palak

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