45 मिनट तक टिचर से मांगी हेल्प, फिर लगा दी छलांग.... स्कूल में सुसाइड करने वाली बच्ची की कहानी सुन कांपी रूह

punjabkesari.in Friday, Nov 21, 2025 - 06:08 PM (IST)

नारी डेस्क:   सीबीएसई की एक जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि जयपुर के एक स्कूल में आत्महत्या करने वाली चौथी कक्षा की छात्रा को उसकी कक्षा में 18 महीने से ज्यादा समय तक ‘‘परेशान'' किया गया तथा सहपाठी उसके खिलाफ ‘‘बुरे शब्द'' इस्तेमाल करते थे जबकि स्कूल अच्छा माहौल बनाए रखने में नाकाम रहा। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने जयपुर के नीरजा मोदी स्कूल को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। 
 

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मरने से पहले भी मदद मांगती रही बच्ची

बोर्ड ने इस महीने की शुरुआत में स्कूल की इमारत से कूदकर जान देने वाली नौ वर्षीय लड़की की मौत की जांच के लिए गठित समिति की रिपोर्ट मिलने पर यह नोटिस जारी किया। जांच समिति ने स्कूल की तरफ से कई कमियों की ओर इशारा किया, जिसमें लड़की को लगातार परेशान किये जाने की ओर ध्यान दिलाया गया, और बताया गया कि उसके माता-पिता ने सबसे पहले जुलाई 2024 में शिक्षकों के सामने यह मुद्दा उठाया था। समिति ने पाया कि कक्षा अध्यापक ने बच्ची की दिक्कतों के संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की, तब भी जब लड़की अपनी जिंदगी के आखिरी 45 मिनट में पांच बार शिक्षक के पास मदद मांगने गई। 


बच्ची ने स्कूल में दे दी थी अपनी जान

कक्षा चार की बच्ची ने एक नवंबर को स्कूल की चौथी मंजिल से कूदकर जान दे दी थी। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीएसई की दो सदस्यीय समिति ने अगले दिन स्कूल का मुआयना किया था और बच्ची के अभिभावकों से बातचीत की थी। बोर्ड ने कारण बताओ नोटिस में कहा- ‘‘समिति को दिए गए माता-पिता के बयानों के मुताबिक, यह साफ है कि स्कूल ने सहपाठियों द्वारा परेशान किए जाने और चिढ़ाए जाने की बार-बार की शिकायतों पर कोई सक्रिय कार्रवाई नहीं की। कक्षा अध्यापक और स्कूल प्रबंधन को बच्ची को प्रताड़ित किए जाने के बारे में अच्छी तरह पता था।'' 
 

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टीचर ने शिकायत पर नहीं दिया ध्यान

बोर्ड ने कहा कि माता-पिता की कक्षा अध्यापक और स्कूल प्रबंधन से की गई बातचीत और संदेश को अनसुना कर दिया गया। नोटिस में कहा गया कि कक्षा अध्यापक ने अपने लिखित बयान में माना है कि मृतक छात्रा ने उन्हें बताया था कि उसके सहपाठी उसके लिए ‘‘बुरे शब्दों'' का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन दूसरे छात्रों ने आरोपों से इनकार किया। हालांकि, दूसरे बच्चों ने पहले भी शिक्षक से कक्षा में छात्रों के बीच लगातार ‘‘बुरे शब्दों'' के इस्तेमाल की शिकायत की थी।
 


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vasudha

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