अयोध्या में हुई अनोखी शादी, राम लला को साक्षी मानकर हिंदू युवक ने मुस्लिम महिला की भरी मांग
punjabkesari.in Monday, Nov 10, 2025 - 06:09 PM (IST)
नारी डेस्क: देश ने 9 नवंबर को राम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की छठी वर्षगांठ मनाई, वहीं अयोध्या में एक हिंदू युवक ने सनातन धर्म के रीति-रिवाजों के अनुसार अपनी मुस्लिम प्रेमिका से शादी करके इस अवसर को अनोखे तरीके से मनाया। रामलला को साक्षी मानकर इस जोड़े ने साथ जीने-मरने की सात कसमें खाईं और अपने रिश्ते को शादी के पवित्र बंधन में बांध लिया, जो उनके जीवन में एक नई शुरुआत का प्रतीक है।
लड़के को फंसाया गया झूठे केस में
दूल्हे अभिषेक यादव ने कहा कि वह पिछले तीन साल से इंडिमा नाम की लड़की के संपर्क में था। उन्होंने कहा- "लगभग छह या सात महीने के बाद, उसके परिवार को हमारे रिश्ते के बारे में पता चला। चूंकि वह मुस्लिम थी, इसलिए उन्होंने इसका विरोध किया और उस पर दबाव डाला, जिससे वह भाग गई।" उन्होंने आगे दावा किया कि उसके लापता होने के बाद, लड़की की मां ने उस पर अपहरण का आरोप लगाया और उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। उन्होंने कहा, "भले ही लड़की मेरे साथ नहीं थी, फिर भी मुझे फंसाया गया और जेल भेज दिया गया। रिहा होने के बाद, मैंने उससे शादी करने का संकल्प लिया। आज, हमने हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार अपनी शादी की।"
सुरक्षा चाहता है जोड़ा
अभिषेक ने कहा कि पिछली घटना के समय लड़की जहां 17 साल की थी, वहीं अब वह 18 साल दो महीने की है। उन्होंने कहा- "हम दोनों ने स्वेच्छा से शादी की। हमने यह दिन इसलिए चुना क्योंकि इसी तारीख को राम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था।" दुल्हन महक यादव उर्फ इंदिमा खान ने पुष्टि की कि उनका निर्णय बिना किसी बाहरी दबाव के लिया गया था। उन्होंने कहा- "हम तीन साल से रिलेशनशिप में हैं। मैं अब 18 साल की हो गई हूं। हमने हिंदू रीति-रिवाज से शादी की और हम बहुत खुश हैं। पहले मेरे माता-पिता ने उन पर झूठे आरोप लगाए थे। अब हम केवल सुरक्षा चाहते हैं।"
9 नवंबर, 2019 को राम मंदिर को लेकर आया था फैसला
जोड़े को आशीर्वाद देने वाले महंत संत दास ने कहा- "वे कई सालों से रिश्ते में थे। लड़की चाहती थी कि शादी सनातन धर्म के रीति-रिवाजों के अनुसार हो।" 9 नवंबर, 2019 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया। अदालत ने फैसला सुनाया कि विवादित स्थल पर एक मंदिर का निर्माण किया जाना चाहिए और मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन आवंटित की जानी चाहिए। इस फैसले ने भारत के सबसे विवादास्पद कानूनी और धार्मिक विवादों में से एक का पटाक्षेप कर दिया।

