हिमालय के नीचे छिपा है भूकंप का टाइम बम! भारत को सतर्क रहने की चेतावनी
punjabkesari.in Wednesday, Apr 16, 2025 - 02:26 PM (IST)

नारी डेस्क: 28 मार्च 2025 को म्यांमार में 7.7 तीव्रता का एक शक्तिशाली भूकंप आया, जिसने एशिया के कई देशों को हिला दिया। इस भयानक आपदा ने करीब 3,000 लोगों की जान ले ली और 5,000 से ज्यादा लोग घायल हुए। इसके अलावा, थाईलैंड में भी इस भूकंप के कारण 17 लोग अपनी जान गंवा बैठे। इस भूकंप से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा लगभग 300 परमाणु बमों के बराबर थी। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस भूकंप ने हिमालय क्षेत्र में आने वाले विनाशकारी भूकंप के संभावित संकेत दिए हैं।
हिमालय के नीचे छिपा भूकंप का 'टाइम बम'
वैज्ञानिकों के अनुसार, हिमालय क्षेत्र में एक शक्तिशाली भूकंप का "टाइम बम" छिपा हुआ है। इसे ग्रेट हिमालयन अर्थक्वेक कहा जाता है। यह भूकंप 8 या उससे अधिक तीव्रता का हो सकता है, और इसका असर पूरे उत्तर भारत पर हो सकता है। प्रसिद्ध भूवैज्ञानिक रोजर बिलहम ने चेतावनी दी है कि यह कोई काल्पनिक स्थिति नहीं है, बल्कि यह भविष्य में एक निश्चित आपदा हो सकती है। उनका मानना है कि यह भूकंप बहुत शक्तिशाली और विनाशकारी हो सकता है, जो लाखों लोगों की जिंदगी को प्रभावित करेगा।
भारत हर सदी में 2 मीटर खिसकता है
रोजर बिलहम के अनुसार, भारत हर सदी में तिब्बत की ओर करीब 2 मीटर खिसकता है। हालांकि, इसका उत्तरी हिस्सा इतनी आसानी से खिसकता नहीं है। हिमालय की परतें सैकड़ों वर्षों तक दबाव के तहत फंसी रहती हैं, और जब यह दबाव अचानक टूटता है, तो तेज झटकों के साथ भूकंप आता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाला भूकंप अब बस वक्त का इंतजार कर रहा है। यह स्थिति बहुत खतरनाक हो सकती है, क्योंकि जब यह दबाव टूटेगा, तो उसके परिणाम बहुत ही विनाशकारी होंगे।
28 मार्च को म्यांमार में आए भूकंप का कारण था "स्ट्राइक-स्लिप फॉल्ट" जिसमें पृथ्वी की प्लेटें एक-दूसरे से क्षैतिज रूप से टकराती हैं। यह भूकंप सीधे हिमालयन फॉल्ट से संबंधित नहीं था, लेकिन इसने यह जरूर साबित कर दिया कि टेक्टोनिक प्लेट्स के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसे तनाव आने वाले समय में बड़े भूकंप की वजह बन सकते हैं। इस भूकंप ने हमें यह चेतावनी दी है कि धरती की आंतरिक गतिविधियां लगातार बढ़ रही हैं, और हमें इसके लिए तैयार रहना चाहिए।
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इन राज्यों को है सबसे ज्यादा खतरा
भारत का लगभग 59% हिस्सा भूकंप के दृष्टिकोण से संवेदनशील माना जाता है। खासतौर पर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और पूर्वोत्तर भारत ऐसे इलाकों में आते हैं, जहां भूकंप का खतरा सबसे ज्यादा है। इसके अलावा, दिल्ली, कोलकाता, और मुंबई जैसे बड़े शहर भी इन संवेदनशील फॉल्ट जोन में स्थित हैं। इन इलाकों में भी भूकंप का खतरा हमेशा बना रहता है, और हमें इसके लिए सतर्क रहने की आवश्यकता है।
दिल्ली: दिल्ली भूकंप जोन 4 में आता है और दिल्ली-हरिद्वार फॉल्ट पर स्थित है। हाल ही में धौला कुआं में 4.0 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसने राजधानी को हिला कर रख दिया था। इसका यह मतलब है कि दिल्ली में भूकंप का खतरा हमेशा बना रहता है और हमें इसके लिए तैयार रहना चाहिए।
गुजरात: गुजरात में 26 जनवरी 2001 को आए 7.7 तीव्रता के भुज भूकंप ने 20,000 से अधिक लोगों की जान ली थी। इसका असर 310 किलोमीटर दूर अहमदाबाद में भी महसूस हुआ था। इस भूकंप ने यह साबित कर दिया कि गुजरात जैसे इलाकों में भूकंप की घटनाएं भी बहुत विनाशकारी हो सकती हैं। ऐसे में गुजरात के लोगों को भूकंप से सुरक्षा के उपायों पर ध्यान देने की जरूरत है।
ग्रेट हिमालयन भूकंप की चेतावनी क्यों है इतनी डरावनी?
हिमालयी क्षेत्र में पिछले 70 सालों से कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है, जबकि धरती के भीतर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह दबाव जब टूटेगा, तो उसकी तीव्रता 8 या उससे अधिक हो सकती है। इससे होने वाली तबाही बहुत बड़ी होगी, और इसके प्रभाव से उत्तर भारत के लाखों लोग प्रभावित हो सकते हैं, विशेष रूप से वे लोग जो पहाड़ी और भूकंपीय क्षेत्रों में रहते हैं। ऐसे में अगर इस भूकंप के कारण भारी तबाही होती है तो इससे होने वाली क्षति बहुत बड़ी होगी।
क्या भारत तैयार है?
इस समय भारत को पूरी तरह से सतर्क रहने की जरूरत है। भूकंप की भविष्यवाणी करना तो संभव नहीं है, लेकिन इसके प्रभाव को कम करने के लिए हमें जरूरी कदम उठाने चाहिए। यह कुछ महत्वपूर्ण कदम हैं, जो भारत को उठाने चाहिए
भूकंपरोधी निर्माण: स्कूल, अस्पताल, सरकारी और निजी इमारतों को भूकंपरोधी बनाना चाहिए ताकि भूकंप के दौरान ज्यादा से ज्यादा जीवन रक्षा की जा सके।
जन जागरूकता: लोगों को भूकंप के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं, इसके बारे में जागरूक करना जरूरी है। इससे लोगों में सतर्कता बढ़ेगी और वे किसी भी आपदा से निपटने के लिए तैयार रहेंगे।
इमरजेंसी रिस्पॉन्स सिस्टम: आपातकालीन सेवा, जैसे एंबुलेंस, पुलिस, और फायर ब्रिगेड की त्वरित सहायता देने वाली प्रणाली को मजबूत करना चाहिए ताकि भूकंप के बाद राहत कार्य तेजी से शुरू हो सके।
अगर भारत इन कदमों को समय रहते लागू करता है, तो आने वाली भूकंपीय आपदा के प्रभाव को कम किया जा सकता है। सतर्कता और तत्परता ही हमें इस संकट से निपटने में मदद कर सकती है।