कहीं आप भी तो नहीं हैं Helicopter Parents तो जान लें इसके नुकसान

punjabkesari.in Thursday, Sep 07, 2023 - 11:34 AM (IST)

बच्चों के अच्छे विकास के लिए उनकी परवरिश अच्छे तरीके से होना बहुत जरुरी है। अच्छी परवरिश मिलने से बच्चों की आदतें, मानसिक और शारीरिक विकास बहुत अच्छी तरह से होता है। एक्सपर्ट्स की मानें तो पेरेंटिंग कई तरह की होती है। पेरेंट्स के परवरिश के तरीकों को कई प्रकार के तरीकों में बांटा गया है जिसमें से एक तरीका है हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग। हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग में माता-पिता बच्चे पर हमेशा एक हवाई जहाज यानी की हेलिकॉप्टर की तरह मंडराते रहते हैं। इस तरह के माता-पिता अपने बच्चों की जिंदगी में बहुत ही अंदर तक चले जाते हैं। वैसे तो कई तरीकों में इस तरह की पेरेंटिंग को अच्छा माना जाता है लेकिन इसके कई नुकसान भी होते हैं। बच्चे की हर गतिविधि पर नजर रखना हर समय उनके ऊपर हेलिकॉप्टर की तरह मंडराते रहना बच्चों पर नेगेटिव असर पड़ता है। तो चलिए आज आपको बताते हैं कि हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग क्या होती है और इससे क्या फायदे और नुकसान होते हैं.....

क्या होती है हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग? 

इस तरह की पेरेंटिंग बच्चों की परवरिश का एक तरीका है इसमें पेरेंट्स हर समय बच्चों की निगरानी में रहते हैं। इस शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल डॉ हेम गिनोट की 1969 की एक किताब पेरेंट्स एंड टीनएजर्स में किया गया था। इस तरह की पेरेंटिंग का अर्थ होता है कि पेरेंट्स हर समय बच्चे के सिर पर हेलिकॉप्टर की तरह मंडराते रहते हैं यह शब्द 2011 में काफी लोकप्रिय हुआ। हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग एक ऐसी पेरेंटिंग है जिसमें माता-पिता अपने बच्चों पर ज्यादा ध्यान देते हैं ऐसे पेरेंट्स बच्चों की हर एक्टिविटी पर ध्यान देते हैं। ऐसे में इस दौरान बच्चे की सफलता या फिर कोई भी असफलता का क्रेडिट भी पेरेंट्स खुद ही लेते हैं। ऐसे पेरेंट्स का मानना होता है कि इस तरह के व्यवहार के साथ उनके बच्चे अच्छे से काम करेंगे और उनका मानसिक और शारीरिक विकास भी अच्छे से होगा लेकिन हर समय यह बात सच नहीं होती और हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग का बच्चों पर कई बार गलत असर भी पड़ता है। 

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आखिर क्यों की जाती है हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग?  

पेरेंट्स अपने बच्चों की हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग कई तरह के कारणों से करते हैं। हर पेरेंट्स अपने बच्चों के भविष्य और उनकी अच्छी परवरिश को लेकर चिंतित रहते हैं। इस तरह की पेरेंटिंग कई रुपों में की जाती है। शुरुआत में पेरेंट्स बच्चों को हर चीज सही ढंग से सिखाते हैं फिर जैसे बच्चे धीरे-धीरे बड़े होने लगते हैं तो उनके भविष्य को लेकर हर समय उन पर मंडराते रहना पेरेंट्स की नेचर बन जाता है। कई पेरेंट्स तो अपने बच्चों के विकास उनके करियर को लेकर इतने एक्साइटेड हो जाते हैं कि बच्चों के मन की बात को जाने बिना ही उनके हर किसी काम में दखल देने लगते हैं। इस तरह की पेरेंटिंग कई कारणों से की जाती है जैसे 

. बच्चों के फ्यूचर की चिंता के कारण 
. कॉलेज या फिर स्कूल में अच्छे नंबर लाने के लिए 

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. बच्चों को किसी तरह की परेशानी से निकालने के लिए 
. पेरेंटिंग के तरीकों को और भी बेहतर बनाने के लिए
.  बच्चों की संगति कहीं गलत ना हो जाए इसलिए

इस तरह की पेरेंटिंग के फायदे

इस तरह की पेरेंटिंग बच्चों के लिए ज्यादा फायदेमंद नहीं होती लेकिन इससे बच्चों को बहुत फायदा मिलता है। इस तरह की पेरेंटिंग में माता-पिता को बच्चों के भविष्य को लेकर संतुष्टि रहती है। ऐसे पेरेंट्स अपने बच्चों के काम में जरुरत से ज्यादा दखल देकर खुश तो होते हैं लेकिन बच्चों पर इसका खास प्रभाव नहीं होता । ऐसे में बच्चों की परवरिश में पेरेंट्स को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए। 

हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग के नुकसान

बच्चे हो जाते हैं माता-पिता पर निर्भर 

ऐसे बच्चे जिनकी परवरिश हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग से हुई हो वह हर बात के लिए अपने पेरेंट्स पर निर्भर रहते हैं। यहां दूसरे पेरेंट्स अपने बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं वहीं हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग में बच्चे अपने माता-पिता पर निर्भर हो जाते हैं। 

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बच्चे की डेवलपमेंट पर पड़ता है असर 

हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग के कारण बच्चे की स्किल डेवलपमेंट पर असर पड़ता है क्योंकि इसमें पेरेंट्स बच्चों की हर मुश्किल खुद ही सुलझाने लगते हैं। उदाहरण के तौर पर जैसे बच्चे किसी परेशानी में फंस गए हैं तो उन्हें सहारा देने की जगह पेरेंट्स खुद ही समस्या सुलझा देते हैं जिसके कारण बच्चों की स्किल्स कम होने लगती है।

पेरेंट्स से खराब होता है रिश्ता 

हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग के कारण पेरेंट्स और बच्चों में मन-मुटाव भी हो सकता है क्योंकि इस तरह की परवरिश में बच्चे खुद को कैद में पाते हैं जिसके कारण धीरे-धीरे उम्र बढ़ने पर उनके मन में अपने पेरेंट्स के प्रति नेगेटिविटी पैदा होने लगती है। 

आत्मविश्वास होता है कमजोर 

परवरिश के दौरान पेरेंट्स का हर काम में बच्चे का साथ देने के कारण उनका आत्मविश्वास कमजोर होने लगता है। इस तरह के बच्चों में आत्मविश्वास की कमी हो जाती है। वह किसी तरह की एक्टिविटी में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाते और उससे दूरी बनाने लगते हैं। 
 


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Content Writer

palak

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