40 साल से कम उम्र की महिलाओं में क्यों बढ़ रहा है हार्ट अटैक?
punjabkesari.in Monday, Dec 08, 2025 - 02:15 PM (IST)
नारी डेस्क: आजकल हार्ट अटैक केवल बुज़ुर्गों की बीमारी नहीं रहा। ताज़ा हेल्थ रिपोर्ट्स और डॉक्टरों की चेतावनियां बता रही हैं कि 40 साल से कम उम्र की महिलाओं में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है तनाव से भरी लाइफस्टाइल, सोने-जागने का अनियमित चक्र, गलत खानपान, और वे शुरुआती संकेत जिन्हें महिलाएं अक्सर नज़रअंदाज़ कर देती हैं।
क्यों बढ़ रहे हैं यंग महिलाओं में हार्ट अटैक के मामले?
हाल के स्टडीज़ में साफ हुआ है कि आज की युवा महिलाएं लगातार तनाव, जिम्मेदारी और दबाव में रह रही हैं। लंबे समय तक काम करना, कम नींद, लंबे समय तक खाली पेट रहना और शरीर के संकेतों को हल्के में लेना हार्ट पर बड़ा असर डालता है। डॉक्टरों के अनुसार, पिछले 5–6 वर्षों में यंग महिलाओं में हार्ट अटैक और ब्लॉकेज के केस कई गुना बढ़े हैं। कई महिलाएं यह मानकर चलती हैं कि “मेरी उम्र में हार्ट की बीमारी कैसे हो सकती है?” यही सोच उन्हें समय पर इलाज से दूर कर देती है।

महिलाएं शुरुआती संकेतों को क्यों नहीं पहचान पातीं?
हर लक्षण को तनाव या कमजोरी समझना
ज्यादातर महिलाएं अचानक थकावट, भारीपन या सांस फूलने को केवल तनाव, पीरियड की कमजोरी या ज्यादा काम का असर समझ लेती हैं। इससे असली समस्या छिप जाती है और हार्ट पर दबाव बढ़ता रहता है।
उम्र कम होने की गलतफहमी
कई महिलाएं सोचती हैं कि हार्ट अटैक सिर्फ बूढ़ों को होता है, जबकि आज यह सबसे तेज़ यंग महिलाओं में बढ़ रहा है। इसी भ्रम से वे डॉक्टर के पास जाने में देर कर देती हैं।
हार्मोनल समस्याएं भी बढ़ाती हैं खतरा
PCOS, थायरॉइड, एनीमिया (कम हीमोग्लोबिन), और हार्मोनल असंतुलन हार्ट की मसल्स पर अतिरिक्त तनाव डालते हैं। इनमें कई लक्षण हार्ट के लक्षणों से मिलते-जुलते हैं, जिससे महिलाएं असली कारण समझ नहीं पातीं।

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नियमित हेल्थ चेकअप न करवाना
कई महिलाएं सोचती हैं कि “मैं एक्टिव हूं, मतलब फिट हूं।” लेकिन यह गलतफहमी है। हार्ट हेल्थ की जांच न होने से ब्लॉकेज या हाई कोलेस्ट्रॉल का पता समय रहते नहीं चलता।
स्मोकिंग, क्रैश डाइट और ओवर-ट्रेनिंग
आज कई युवा महिलाएं तेजी से वजन कम करने के लिए क्रैश डाइट करती हैं, बहुत ज्यादा वर्कआउट करती हैं या स्मोकिंग अपनाती हैं।
ये तीनों आदतें हार्ट के लिए बेहद खतरनाक हैं।
वे वॉर्निंग साइन जिन्हें महिलाएं अक्सर इग्नोर कर देती हैं
बहुत ज्यादा थकान: यदि पूरे दिन आराम करने के बाद भी असामान्य थकान बनी रहे, तो यह हार्ट स्ट्रेस का संकेत हो सकता है।
सीढ़ियां चढ़ते या तेज़ चलने पर सांस फूलना: यदि हल्की गतिविधि में ही सांस चढ़ जाए, यह हार्ट की कमजोरी का शुरुआती लक्षण है।
गर्दन, जबड़े, पीठ या पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द: महिलाओं में हार्ट अटैक का दर्द हमेशा सीने में नहीं होता। कई बार दर्द इन जगहों पर महसूस होता है, इसलिए इसे गैस समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता है।
मतली, चक्कर, ठंडा पसीना: ये लक्षण अक्सर महिलाएं कमजोरी या एंग्जायटी समझ लेती हैं, लेकिन यह हार्ट ब्लॉकेज का संकेत हो सकता है।
सीने में हल्की कसावट या दबाव: भले ही दर्द बहुत तेज न हो, लेकिन यह दिल की गंभीर समस्या का इशारा देता है।

यह ट्रेंड क्यों चिंता बढ़ा रहा है?
भारत में युवाओं में हार्ट अटैक के मामलों में पिछले कुछ वर्षों में लगभग 30% तक वृद्धि हुई है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि युवा महिलाएं अधिकतर लक्षणों को गैस, स्ट्रेस या कमजोरी समझकर गंभीरता से नहीं लेतीं। जब तक वे डॉक्टर के पास पहुंचती हैं, तब तक स्थिति गंभीर हो चुकी होती है।
महिलाएं क्या करें? जरूरी सावधानियां
कभी भी थकान, सांस फूलना या चेस्ट प्रेशर को हल्के में न लें। वर्ष में कम से कम एक बार हार्ट चेकअप जरूर करवाएं। तनाव, नींद और रूटीन को संतुलित रखें। स्मोकिंग, ज्यादा कैफीन और क्रैश डाइट से दूरी बनाएं। पीरियड्स या हार्मोनल समस्या को इग्नोर न करें समय पर उपचार लें। लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से मिलें, देर न करें।

