हरतालिका तीज की तैयारी कर रही हैं? 16 श्रृंगार करना न भूलें – जानिए कौन-कौन सी चीजें होती हैं जरूरी
punjabkesari.in Sunday, Aug 24, 2025 - 05:36 PM (IST)

नारी डेस्क: इस साल हरतालिका तीज का पर्व 26 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। यह पर्व खासतौर पर विवाहित महिलाओं के लिए बहुत पवित्र और खास होता है। इस दिन महिलाएं माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र तथा सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस पूजा में एक बहुत जरूरी परंपरा होती है सोलह श्रृंगार (16 श्रृंगार)। कई महिलाएं खासकर जो पहली बार यह पूजा कर रही हैं, वह अक्सर सोचती हैं कि ये 16 श्रृंगार कौन-कौन से होते हैं और क्यों किए जाते हैं? तो चलिए, आसान भाषा में समझते हैं कि 16 श्रृंगार क्या होता है, इसमें कौन-कौन सी चीजें शामिल होती हैं और इनका क्या महत्व है।
क्या है सोलह श्रृंगार?
"सोलह श्रृंगार" का मतलब है महिलाओं द्वारा की जाने वाली 16 तरह की सजावट, जो न सिर्फ उनकी सुंदरता बढ़ाती हैं, बल्कि इनके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण भी होते हैं। ये श्रृंगार महिला के सौंदर्य, स्वास्थ्य और मानसिक शांति से जुड़े होते हैं।
सोलह श्रृंगार की पूरी लिस्ट और उनका महत्व
बिंदी
बिंदी को स्त्री के सौंदर्य का मुख्य अंग माना जाता है। इसे माथे के मध्य भाग, जिसे ‘आज्ञा चक्र’ कहा जाता है, पर लगाया जाता है। यह चक्र ध्यान और मानसिक शांति का केंद्र होता है। बिंदी लगाने से न केवल चेहरे की सुंदरता निखरती है बल्कि यह मन और मस्तिष्क को स्थिर रखने में भी सहायक होती है। यह एकाग्रता को बढ़ाती है और महिलाओं को आत्मिक शक्ति प्रदान करती है।
सिंदूर
सिंदूर विवाहित स्त्रियों के लिए शुभता और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इसे मांग में भरा जाता है और यह पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन की समृद्धि का संकेत है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए व्रत रखा और शादी के बाद उन्होंने हमेशा सिंदूर धारण किया। इस परंपरा को हर विवाहित स्त्री निभाती है।
काजल
काजल न केवल आंखों की सुंदरता को बढ़ाता है बल्कि यह आंखों की सुरक्षा भी करता है। पारंपरिक रूप से घर में देसी घी या बादाम से बना काजल आंखों की रोशनी को तेज करता है और बुरी नजर से भी बचाता है। यह ठंडक देता है और आंखों को तनाव से राहत पहुंचाता है।
मेहंदी
मेहंदी स्त्रियों के श्रृंगार का अभिन्न हिस्सा है। यह हाथों और पैरों में लगाई जाती है और अपने सुगंध व ठंडक के लिए जानी जाती है। मेहंदी लगाने से शरीर में ठंडक बनी रहती है, तनाव कम होता है और यह सौभाग्य का प्रतीक भी मानी जाती है। विवाह, तीज और करवा चौथ जैसे त्योहारों में इसकी खास भूमिका होती है।
चूड़ियां
चूड़ियां हाथों की शोभा होती हैं और हर रंग की चूड़ी का अपना महत्व होता है। चूड़ियों की खनक न केवल सजावट है बल्कि इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है। ऐसा माना जाता है कि इनके मधुर स्वर से घर में शुभता बनी रहती है और मन प्रसन्न रहता है।
कुमकुम
कुमकुम एक धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीक है, जिसे माथे पर लगाया जाता है। यह आध्यात्मिक ऊर्जा को जागृत करता है और ताजगी का अनुभव कराता है। यह स्त्रियों को शक्ति और स्थिरता प्रदान करता है और पूजा-पाठ में भी इसका विशेष महत्व होता है।
गजरा (फूलों की माला)
गजरा खासतौर पर चमेली या मोगरे के फूलों से बनाया जाता है और बालों में सजाया जाता है। इसकी सुगंध वातावरण को खुशनुमा बनाती है और स्त्रियों के सौंदर्य को चार चांद लगाती है। यह देवी लक्ष्मी और माँ पार्वती के आशीर्वाद का प्रतीक भी माना जाता है।
मांग टीका
मांग टीका माथे के मध्य भाग में पहना जाता है। यह न केवल रूप को संपूर्ण बनाता है बल्कि यह ब्रह्मरंध्र चक्र को ऊर्जा प्रदान करता है। इससे मन में स्थिरता आती है और यह वैवाहिक जीवन में संतुलन लाने में सहायक होता है।
नाक की नथ
नाक की नथ का संबंध सुंदरता से तो है ही, लेकिन इसके पीछे आयुर्वेदिक महत्व भी है। ऐसा माना जाता है कि नथ पहनने से महिलाओं के प्रजनन अंगों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और यह मासिक चक्र को भी नियमित रखने में मददगार हो सकती है।
झुमके (कान की बालियां)
झुमके केवल सजावट के लिए नहीं होते, बल्कि कान के एक्यूप्रेशर पॉइंट्स पर असर डालते हैं। इससे शरीर के विभिन्न अंगों में ऊर्जा का प्रवाह बेहतर होता है और स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। झुमके पहनने से चेहरे की आभा भी बढ़ती है।
मंगलसूत्र
मंगलसूत्र एक पवित्र धागा होता है जो पति के जीवन की रक्षा और वैवाहिक जीवन की मजबूती का प्रतीक होता है। इसे सोने और काले मोतियों से बनाया जाता है, जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखता है। यह सुहागिन स्त्री की पहचान भी होता है।
गले का हार
गले का हार न केवल गले की शोभा बढ़ाता है बल्कि यह हृदय चक्र को भी ऊर्जा देता है। यह हार प्रेम और सामंजस्य का प्रतीक माना जाता है। यह पति-पत्नी के रिश्ते को और भी मधुर बनाता है।
बाजूबंद
बाजूबंद हाथों में बांधा जाता है और यह सिर्फ सौंदर्य का ही प्रतीक नहीं, बल्कि यह रक्त संचार में भी मदद करता है। पारंपरिक पोशाकों के साथ बाजूबंद पहनने से शृंगार और भी प्रभावशाली लगता है। यह साहस और आत्मविश्वास का भी प्रतीक होता है।
पायल
पायल को पैरों की सुंदरता का प्रतीक माना जाता है। यह पहनने से उसके झंकार की आवाज से घर में सकारात्मकता आती है। साथ ही यह पैरों के एक्यूप्रेशर पॉइंट्स को सक्रिय करती है, जिससे सेहत पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
बिछिया
बिछिया विवाहित स्त्रियों की पहचान होती है। इसे पैरों की उंगलियों में पहना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, इससे नर्वस सिस्टम और मासिक धर्म से जुड़ी परेशानियों में राहत मिलती है। यह विवाहित स्त्री के सामाजिक और धार्मिक दायित्व को भी दर्शाती है।
आल्ता और इत्र
आल्ता पैरों में लगाया जाता है, जिससे वे अधिक सुंदर और शुभ प्रतीत होते हैं। यह सुहाग की निशानी भी मानी जाती है। वहीं, इत्र तन-मन को ताजगी से भर देता है। इसकी सुगंध मन को शांत रखती है और पूजा-पाठ के समय वातावरण को पवित्र बनाती है।
सोलह श्रृंगार का महत्व
यह श्रृंगार सिर्फ सजावट नहीं है, बल्कि हर एक चीज का अपना वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व होता है। ये श्रृंगार महिलाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाने में मदद करते हैं। हरतालिका तीज के दिन सोलह श्रृंगार करने से माता पार्वती प्रसन्न होती हैं और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं।
नोट: यह जानकारी धार्मिक और पारंपरिक मान्यताओं पर आधारित है। अगर आपकी स्किन सेंसिटिव है या किसी चीज से एलर्जी है, तो किसी भी चीज को त्वचा पर लगाने से पहले पैच टेस्ट करें या स्किन स्पेशलिस्ट से सलाह लें।