गोवर्धन पूजा के बाद गोबर का क्या करें? फेंकने की भूल न करें, जानिए धार्मिक कारण
punjabkesari.in Sunday, Oct 19, 2025 - 06:29 PM (IST)

नारी डेस्क : गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन मनाई जाती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है और गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीकात्मक रूप तैयार किया जाता है। इस पर्व का खास महत्व है क्योंकि यह भगवान श्रीकृष्ण के “गोवर्धन लीला” की याद दिलाता है। लोग गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाते हैं, उस पर मिट्टी, फूल, अनाज, जल, और दीपक अर्पित करते हैं। लेकिन पूजा के बाद अक्सर लोगों के मन में सवाल उठता है। गोवर्धन पूजा के बाद गोबर का क्या किया जाए? क्या इसे फेंक देना चाहिए? चलिए जानते हैं शास्त्रों और परंपराओं के अनुसार इसका सही तरीका।
गोवर्धन पूजा में गोबर का धार्मिक महत्व
गोबर हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना जाता है। इसे न केवल शुद्धता का प्रतीक समझा जाता है, बल्कि इसमें देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु का भी वास बताया गया है। माना जाता है कि गोबर से बना गोवर्धन पर्वत धरती माता और भगवान कृष्ण का प्रतीक होता है। यह हमें सिखाता है कि प्रकृति और पशुधन की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है।
पूजा के बाद गोबर का क्या करें?
गोबर को बहाना या फेंकना अशुभ माना गया है शास्त्रों के अनुसार, गोवर्धन पूजा में प्रयुक्त गोबर को तुरंत फेंकना या कूड़े में डालना अशुभ माना जाता है। ऐसा करने से मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं। इससे घर की सुख-समृद्धि पर भी असर पड़ता है।
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गोबर को पौधों में या पेड़ की जड़ में दबा दें
सबसे अच्छा उपाय है कि पूजा के बाद गोबर को किसी पवित्र स्थान या पौधों की जड़ में दबा दें। इससे पर्यावरण को हानि नहीं होती। गोबर प्राकृतिक खाद की तरह मिट्टी को उपजाऊ बनाता है।
किसी बहते जल में प्रवाहित करें
अगर संभव हो तो गोबर को किसी पवित्र नदी या तालाब में प्रवाहित करें। इससे गोवर्धन पर्वत का प्रतीक पुनः प्रकृति में विलीन हो जाता है। यह कर्म “गोवर्धन परिक्रमा” का समापन माना जाता है।
सूखने के बाद धूप या अग्नि में अर्पित करें
कुछ परंपराओं में सूखे गोबर को अग्नि में समर्पित करना या हवन में प्रयोग करना शुभ माना गया है। यह वातावरण को शुद्ध करता है। घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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क्यों नहीं फेंकना चाहिए गोबर?
हिंदू धर्म में गोबर को सिर्फ एक अपशिष्ट नहीं, बल्कि पवित्र तत्व माना गया है। यह देवी-देवताओं का आसन माना जाता है। गोबर से बने दीपक या गोवर्धन पर्वत को फेंकना, देवताओं का अपमान समझा जाता है। इसलिए पूजा के बाद भी इसे आदरपूर्वक स्थान देना चाहिए।
गोवर्धन पूजा का अर्थ सिर्फ पूजा करना नहीं, बल्कि प्रकृति और गोवंश के प्रति कृतज्ञता जताना भी है। गोबर को फेंकने के बजाय उसे धरती माता को समर्पित करें यही असली गोवर्धन पूजा का संदेश है। इससे घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है, और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।