गौमाता है पूजनीय, गाय की सेवा मात्र से ही पापों का हो जाता है नाश !
punjabkesari.in Thursday, Sep 26, 2024 - 07:10 PM (IST)
नारी डेस्क: हिंदू धर्म में गाय को पूजनीय माना गया है। गौ माता को रोटी खिलाना और उनकी सेवा करना बहुत ही लाभकारी माना गया है। मान्यता है कि गाय में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास होता है, ऐसे में उनकी सेवा करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, गाय की पूजा करने से देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। इसे कामधेनु का रूप माना जाता है, जो सभी इच्छाओं को पूरा करती है।
रोटी देने से सुख-समृद्धि का होता है वास
गाय की सेवा न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्वास्थ्य, पर्यावरण, और समाज के लिए भी बेहद लाभकारी है। इसे भारतीय संस्कृति में संपूर्ण जीव के रूप में देखा जाता है, जो जीवन के हर पहलू को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। गाय के लिए पहली रोटी निकालने से जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं और परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।
मानसिक शांति और सकारात्मकता
गाय की सेवा करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है। इसे छूने, देखभाल करने, और उसकी उपस्थिति में रहने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। गाय के आसपास रहना, उसे सहलाना, या उसकी सेवा करने से तनाव दूर होता है और मन में शांति का अनुभव होता है।
बीमारियों का इलाज
आयुर्वेद में गाय के गोमूत्र का उपयोग कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है और कई तरह की बीमारियों के इलाज में सहायक होता है। गोमूत्र को डिटॉक्सिफाइंग गुणों से भरपूर माना जाता है, जो शरीर से हानिकारक तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है।
स्वास्थ्य के लिए लाभकारी
वहीं गाय का दूध, घी, मक्खन, और दही बहुत ही पौष्टिक होते हैं और ये स्वास्थ्य के लिए अमृत के समान हैं। गाय का दूध पचाने में आसान होता है और इसमें कई पोषक तत्व होते हैं। गाय का घी आयुर्वेद में विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पाचन, मानसिक शक्ति, और शरीर को ऊर्जावान बनाए रखने में मदद करता है।
पर्यावरण के लिए लाभकारी
गाय का गोबर और गोमूत्र पर्यावरण के लिए लाभकारी होते हैं। गाय का गोबर जैविक खाद के रूप में उपयोग किया जाता है, जो जमीन की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाता है और हानिकारक रसायनों से दूर रखता है। गोमूत्र का उपयोग प्राकृतिक कीटनाशक और दवाओं में किया जाता है। इससे खेती में जैविक विधियों को बढ़ावा मिलता है।