घर गए तो डांट पड़ेगी, क्या शिक्षकों के आदेश ने ले ली दो मासूमों की जान? जाने पुरा मामला

punjabkesari.in Friday, Sep 19, 2025 - 05:14 PM (IST)

नारी डेस्क : झारखंड के गिरिडीह जिले के सरिया थाना क्षेत्र के एक विद्यालय में दर्दनाक घटना हुई। कक्षा 8 में पढ़ने वाली दो छात्राओं ने आत्महत्या कर ली। दोनों बच्चियों ने कुएं में कूदकर अपनी जान दे दी। घटना के पीछे वजह यह बताई जा रही है कि स्कूल के शिक्षकों ने उन्हें अनुपस्थित रहने पर परिवार के सदस्य को बुलाकर लाने का आदेश दिया था और बच्चियां डांट खाने के डर से घर नहीं गईं। 

मृतक छात्राओं की पहचान

मृतक छात्राओं के नाम जाहिदा खातून (13 वर्ष) और गुलाबशा परवीन (14 वर्ष) हैं। दोनों चिरुवां गांव की रहने वाली थीं। सहपाठियों के अनुसार, जब वे घर के लिए निकलीं तो आपस में बात कर रही थीं कि स्कूल वापस जाने से डांट पड़ेगी, पहले कुएं पर बैठते हैं।

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स्कूल में क्या हुआ था?

बताया जा रहा है की सुबह की प्रार्थना सभा में दोनों छात्राएं शामिल नहीं हुई थीं। उन्होंने अपना बस्ता कक्षा में रखकर बाहर चली गईं। करीब आधे घंटे बाद जब लौटकर आईं तो अनुपस्थिति का कारण पूछा गया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद उन्हें और उनकी एक सहपाठी शना परवीन को घर जाकर अपने-अपने परिवार के सदस्य (Guardian) बुलाने के लिए कहा गया। थोड़ी देर बाद शना अपने परिवार के सदस्य  के साथ स्कूल लौटी, लेकिन जाहिदा और गुलाबशा वापस नहीं आईं। शना ने शिक्षकों को बताया कि रास्ते में दोनों सहेलियां कह रही थीं कि घर जाएंगे तो डांट खानी पड़ेगी। शायद इसी डर से वे घर नहीं गईं और कुएं की ओर चली गईं।

गांव में छाया मातम और गुस्सा

जब काफी देर तक दोनों नहीं लौटीं तो ग्रामीणों ने तलाश शुरू की। दोपहर करीब 1 बजे गांव के कुएं से दोनों के शव निकाले गए। इस हृदय विदारक घटना से पूरे गांव में मातम और आक्रोश फैल गया। ग्रामीणों ने शिक्षकों की कार्यशैली पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि बच्चों को डांटने और शर्मिंदा करने की बजाय परिवार को मोबाइल पर सूचना देनी चाहिए थी।

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प्रशासन का बयान और कार्रवाई

घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शवों को पोस्टमार्टम के लिए बगोदर भेज दिया। सरिया अंचलाधिकारी ने घटना को बेहद दुखद बताया और जांच के आदेश दिए। शिक्षा विभाग को दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। थाना प्रभारी ने कहा कि फर्द बयान के आधार पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल

यह घटना एक बार फिर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और स्कूलों के व्यवहार पर गंभीर सवाल खड़े करती है। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि बार-बार डांटने, शर्मिंदा करने या सार्वजनिक रूप से सजा देने से बच्चे मानसिक रूप से टूट सकते हैं।

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शिक्षकों और अभिभावकों के लिए सुझाव

संवाद को महत्व दें: गलती होने पर बच्चे से शांत होकर बात करें, उसे समझने का मौका दें।

सार्वजनिक अपमान से बचें: कक्षा में सबके सामने डांटने की बजाय निजी तौर पर समझाएं।

घर भेजने से पहले सूचना दें: मोबाइल या नोटिस के जरिए अभिभावकों को पहले सूचित करें।

डर नहीं, विश्वास जगाएं: बच्चों को भरोसा दिलाएं कि गलती होने पर भी वे अकेले नहीं हैं।

काउंसलिंग सत्र: स्कूल में नियमित परामर्श सत्र होने चाहिए ताकि बच्चे अपनी परेशानी साझा कर सकें।

यह दर्दनाक घटना हमें याद दिलाती है कि शिक्षा केवल पढ़ाई-लिखाई नहीं, बल्कि बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास की भी जिम्मेदारी है। संवेदनशीलता और संवाद से कई ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।
 


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Content Editor

Monika

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