छात्रों के फाड़ता था कपड़ें, नाम से भी डरती थी टीचर्स... कोलकाता गैंगरेप के आरोपी के कारनामे सुन उड़ जाएगा होश
punjabkesari.in Monday, Jun 30, 2025 - 05:58 PM (IST)

नारी डेस्क: दक्षिण कोलकाता के कस्बा में अपने कॉलेज परिसर के भीतर एक लॉ छात्रा के साथ बलात्कार की जांच जारी है, इस बीच जानकारी सामने आई है कि उक्त कॉलेज के अधिकारियों ने कथित तौर पर तीन प्रमुख आरोपियों में से एक, मोनोजीत मिश्रा के आपराधिक इतिहास को नजरअंदाज करते हुए उसे संविदा पर नौकरी दे दी। वह कॉलेज की छात्राओं को परेशान करता था, उन पर फब्तियां कसता था, उस पर तो छात्रा के कपड़े फाड़ने तक का आरोप है। उसने पीड़िता को प्रताड़ित करने की लंबे समय से साजिश रची थी और वास्तव में कॉलेज में उसके पहले दिन ही उसे निशाना बनाय
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सूत्रों ने कहा कि मिश्रा ने मूल रूप से 2012 में उसी कॉलेज में एलएलबी पाठ्यक्रम के लिए प्रवेश लिया था। 2013 में, दक्षिण कोलकाता के कालीघाट इलाके में गुंडागर्दी के आरोप में उन पर पुलिस मामला दर्ज किया गया था, जिसमें उन्होंने एक व्यक्ति की उंगली काट दी थी।इसके बाद, उसी कॉलेज में उनका प्रवेश रद्द कर दिया गया और वे तीन साल से अधिक समय तक फरार और राज्य से बाहर रहा। उसके खिलाफ मामला सुलझने के बाद वे कोलकाता लौट आयाऔर 2017 में उसी कॉलेज में दोबारा दाखिला लिया। मार्च 2018 में फिर से उसी कॉलेज की दो छात्राओं ने उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया, जिसके बाद उसे परीक्षाओं को छोड़कर कुछ समय के लिए कॉलेज में आने से आंशिक रूप से निलंबित कर दिया गया। हालांकि, किसी तरह उनके खिलाफ मामला लंबे समय तक आगे नहीं बढ़ा और वे नियमित रूप से कॉलेज जाने लगा। मार्च 2023 में कॉलेज की एक छात्रा ने उन पर फिर से यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया।
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दिसंबर 2023 में कुछ छात्राओं ने स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें मिश्रा पर बाहरी असामाजिक तत्वों के साथ कॉलेज में घुसने और उनके साथ मारपीट करने का आरोप लगाया। अब इस बात पर सवाल उठ रहे हैं कि कॉलेज प्रशासन ने उनके आपराधिक इतिहास को नजरअंदाज करते हुए उन्हें संविदा पर नियुक्ति कैसे दे दी। कॉलेज के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि मिश्रा सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक के बेहद करीबी विश्वासपात्र हैं, जो उसी कॉलेज की गवर्निंग बॉडी में भी हैं, जिन्हें आरोपी "चाचा" कहकर संबोधित करते थे। कोलकाता में लॉ कॉलेज की छात्रा से बलात्कार के आरोपी तीन लोगों के पूरे नाम की जगह एफआईआर में सिर्फ़ नाम के पहले अक्षर क्यों लिखे गए, इस पर सवाल उठने लगे हैं।
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तीनों आरोपियों के नाम मोनोजीत मिश्रा, जैब अहमद और प्रमित मुखोपाध्याय हैं, जो सभी तृणमूल कांग्रेस की छात्र शाखा तृणमूल छात्र परिषद (टीएमसीपी) से जुड़े हैं। हालांकि, मामले में दर्ज एफआईआर में तीनों आरोपियों का नाम "एम", "जे" और "पी" लिखा गया है। जबकि विपक्षी दलों के नेताओं का दावा है कि एफआईआर में तीनों आरोपियों के सिर्फ़ नाम के पहले अक्षर का उल्लेख पुलिस ने जानबूझकर किया है, ताकि यह बात छिपाई जा सके कि आरोपी टीएमसीपी से जुड़े हुए हैं, यहां तक कि कानूनी विशेषज्ञों का भी मानना है कि इस मामले में पुलिस के पास नाम की जगह सिर्फ़ नाम के पहले अक्षर लिखने का कोई कारण नहीं था।