फर्जी और भ्रामक विज्ञापन दिखाने वालों की अब खैर नहीं! FSSAI करेगी बड़ी कार्रवाई

punjabkesari.in Tuesday, May 09, 2023 - 11:45 AM (IST)

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने भ्रामक दावे और विज्ञापनों की जांच को लेकर  विज्ञापन निगरानी समिति का गठन किया है। यह कदम खाद्य ब्रांडों द्वारा उनके विज्ञापन अभियानों में किए गए भ्रामक दावों को लेकर उठाया गया है। इसके साथ ही उन्हें चेतावनी भी दी गई है कि "अधिक से अधिक उपभोक्ता हित में, अपने उत्पाद की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए अवैज्ञानिक और / या अतिरंजित दावे और विज्ञापन न करें ”।

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FSSAI ने उठाया बड़ा कदम


FSSAI का कहना है कि अगर खाद्य ब्रांडों ने  दावों को वापस नहीं लिया तो उन्हें  10 लाख रुपये तक का जुर्माना और बार-बार अपराध करने पर लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है। समिति सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर खाद्य व्यवसाय संचालकों (एफबीओ) द्वारा किए गए दावों की जांच करेगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे नियमों का पालन करते हैं।

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किसे माना जाता है अपराध?

हालांकि खाद्य सुरक्षा प्राधिकरण ने उल्लंघनों का जिक्र नहीं किया, लेकिन यह पुष्टि की है कि कथित उल्लंघनकर्ताओं में न्यूट्रास्यूटिकल्स, रिफाइंड तेल, फलियां, आटा, बाजरा उत्पाद और घी के निर्माता शामिल हैं। खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 की धारा 53 के तहत भ्रामक दावे या विज्ञापन आपराधिक अपराध हैं। 


समिति कर रही है जांच

FSSAI द्वारा गठित विज्ञापन निगरानी समिति ने पिछले 6 महीनों में 138 मामलों की सूचना दी है। इन मामलों में भ्रामक दावे और खाद्य ब्रांडों द्वारा गैर-अनुपालन शामिल हैं। समिति की भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि खाद्य व्यवसाय संचालकों द्वारा किए गए दावे वैज्ञानिक साक्ष्य पर आधारित हैं और नियमों के अनुसार निर्धारित मानदंडों को पूरा करते हैं। स्व-नियामक संगठन एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) की मुख्य कार्यकारी अधिकारी और महासचिव मनीषा कपूर का कहना है कि “लगभग 788 विज्ञापनों को हमने खाद्य विज्ञापन के खिलाफ संसाधित किया, लगभग 299 खाद्य प्रभावित करने वालों (द्वारा गैर-प्रकटीकरण) से संबंधित हैं। इसलिए हमारे पास अभी भी लगभग 490 विज्ञापन हैं जहां विज्ञापन सामग्री भ्रामक पाई गई है ”।

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विज्ञापनों को लेकर दिशा-निर्देश

-विज्ञापन को गैर-भ्रामक माना जा सकता है यदि इसमें वस्तु का सही और ईमानदार प्रतिनिधित्व होता है तथा सटीकता, वैज्ञानिक वैधता या व्यावहारिक उपयोगिता या क्षमता को बढ़ा-चढ़ाकर पेश नहीं करता है।

-अनजाने में हुई चूक के मामले में विज्ञापन को तब भी वैध माना जा सकता है यदि विज्ञापनदाता ने उपभोक्ता को कमी बताने में त्वरित कार्रवाई की हो।

-इसका उद्देश्य भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाना और ऐसे विज्ञापनों से शोषित या प्रभावित होने वाले उपभोक्ताओं की रक्षा करना है।

-निर्माताओं, सेवा प्रदाताओं और विज्ञापन एजेंसियों को ऐसे दावे नहीं करने या विज्ञापनों में तुलना करने की भी आवश्यकता नहीं है जो वस्तुनिष्ठ रूप से पता लगाने योग्य तथ्यों पर आधारित नहीं हैं।
 


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Content Writer

vasudha

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