इस सुपरहिट अभिनेता का हुआ दर्दनाक अंत, शोहरत के बाद भी अंतिम वक्त में तन्हा रह गए!
punjabkesari.in Saturday, Nov 08, 2025 - 12:14 PM (IST)
नारी डेस्क: बॉलीवुड में कुछ कहानियां ऐसी हैं जो जितनी ग्लैमरस शुरुआत करती हैं, उतना ही दर्दनाक अंत पाती हैं। ऐसी ही एक कहानी है अभिनेता फराज खान की वो नाम जिसने रानी मुखर्जी की फिल्म ‘मेहंदी’ में अपने नेगेटिव किरदार से सबका ध्यान खींचा था। लेकिन, कुछ ही सालों में वो गुमनामी और गरीबी में खो गए।
स्टार किड होने के बावजूद नहीं मिला स्टारडम
फराज खान मशहूर विलेन यूसुफ खान के बेटे थे वही यूसुफ खान जिन्होंने अमिताभ बच्चन की ‘अमर अकबर एंथनी’ जैसी फिल्मों में दमदार रोल निभाए थे। फराज को भी शुरुआत से फिल्मी माहौल मिला। बताया जाता है कि सूरज बड़जात्या की ‘मैंने प्यार किया’ में सलमान खान की जगह पहली पसंद फराज खान ही थे। लेकिन फिल्म शुरू होने से पहले उन्हें पीलिया (जॉन्डिस) हो गया, और उनकी जगह सलमान को साइन कर लिया गया। अगर वह फिल्म करते, तो शायद उनकी किस्मत बदल जाती।
‘मेहंदी’ से मिली पहचान
1998 की फिल्म ‘मेहंदी’ में फराज ने रानी मुखर्जी के लोभी पति का किरदार निभाया था। यह रोल भले ही निगेटिव था, लेकिन लोगों को बेहद याद रहा। हालांकि फिल्म फ्लॉप हो गई और फराज को इंडस्ट्री में आगे का रास्ता नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने ‘फरेब’, ‘पृथ्वी’ जैसी कुछ फिल्में और टीवी शोज किए, लेकिन सफलता उनसे दूर रही। धीरे-धीरे उन्हें काम मिलना बंद हो गया और उन्होंने इंडस्ट्री से दूरी बना ली।

बीमारी और आर्थिक तंगी
साल 2019 में फराज खान को गंभीर संक्रमण (chest और brain infection) हो गया। इलाज के लिए करीब 25 लाख रुपए की जरूरत थी, जो उनके पास नहीं थे। जब यह खबर सामने आई, तो सलमान खान और पूजा भट्ट ने मदद का हाथ बढ़ाया। सलमान ने अस्पताल का सारा खर्च उठाया।फराज कुछ समय तक ठीक भी रहे, लेकिन 4 नवंबर 2020 को उन्होंने सिर्फ 50 साल की उम्र में दम तोड़ दिया।
पिता जैसी मौत
उनके पिता यूसुफ खान की मौत भी लगभग इसी तरह हुई थी कम उम्र में, ब्रेन हेमरेज से, अचानक। फराज का भी अंत कुछ वैसा ही हुआ। पिता-पुत्र दोनों का अंत फिल्मी जगत की बेरुखी और स्वास्थ्य संकट के बीच हुआ। फराज खान की कहानी हमें याद दिलाती है कि शोहरत हमेशा स्थायी नहीं होती। कभी लाखों के बीच घिरे रहने वाले कलाकार एक दिन अकेले और बीमार रह जाते हैं। बॉलीवुड की इस चमक के पीछे कितनी तन्हाई और संघर्ष छिपा है, यह फराज की ज़िंदगी बखूबी दिखाती है।

