Good News: भारत में बढ़ी Females की आबादी, देश में 1000 पुरुष और 1020 महिलाएं

punjabkesari.in Thursday, Nov 25, 2021 - 12:56 PM (IST)

एक समय ऐसा था जब देश में लड़की के जन्म से पहले ही उन्हें कोख में मार दिया जाता था। भ्रूण हत्या के कारण देश में लड़कियों की संख्या भी काफी कम हो गई थी। मगर, हाल ही में हुए एक सर्वे का कहना है कि भारत में पहली बार महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा हो गई है। यही नहीं, देश में प्रजनन दर में भी कमी आई है।

पहली बार पुरुषों से ज्यादा हुई महिलाओं की संख्या

नोबेल प्राइज विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने 1990 में एक लेख लिखा था, जिसमें उन्होंने में भारत में महिलाओं की कम आबादी के लिए 'मिसिंग वूमन' (Missing Women) शब्द इस्तेमाल किया था। मगर, उनकी यह बात गलत साबित होती नजर आ रही है। राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey) का कहना है कि देश में 1000 पुरुषों और 1020 महिलाएं हैं। आजादी के बाद पहली बार ऐसा रिकॉर्ड बना है जब महिलाओं की आबादी 1000 से अधिक हो गई है।

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गांवों की स्थिति शहरों से बेहतर

हैरानी की बात तो यह है कि गांव की स्थिति शहरों से ज्यादा बेहतर हुई है। NFHS-5 ने गांव और शहर में फर्टिलिटी टेस्ट अनुपात की तुलना की गई है, जिसमें सामने आया कि गांव में स्थिति ज्यादा बेहतर हुई है। गांवों में 1,000 पुरुषों पर 1,037 महिलाएं हैं जबकि शहरों में 985 महिलाएं हैं। इससे पहले NFHS-4 (2019-2020) में गांवों में प्रति 1,000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1,009 जबकि शहरों में यह आंकड़ा 956 का था।

सेक्स अनुपात में भी हुआ सुधार

यही नहीं, NFHS-5 द्वारा जारी किए आंकड़ों के मुताबिक, भारत में जन्म के समय भी सेक्स अनुपात में भी काफी सुधार देखने को मिला है। 2015-16 के आंकड़ों के मुकाबले, प्रति 1000 बच्चों पर 919 संख्या बच्चियों की थी, जो 2019-21 में सुधकर प्रति 1000 बच्चों पर 929 बच्चियों तक हो गई है।

अब एक महिला के 2 ही बच्चे

सर्वे में एक और बड़ी सामने आई है कि पिछले कुछ में प्रजनन दर भी काफी कम हुई है। सर्वे के अनुसार औसतन आज के समय में हर एक महिला के अब केवल 2 ही बच्चे हैं। यह अनुपात अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानकों से भी कम है।

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टीकाकरण अभियान में भी इजाफा

सर्वे में पाया गया कि 12-23 महीने की आयु वाले शिशु में पूर्ण टीकाकरण अभियान में भी काफी सुधार हुआ। अखिल भारतीय स्तर पर 62% से 76% तक बच्चों का टीकारकण हुआ है। वहीं, 14 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में से 11 में 12-23 महीने की उम्र के 3/4 से अधिक बच्चों को पूर्ण टीकारकण मिला और ओडिशा में यह संख्या 90% है।

30% आबादी के पास नहीं है खुद का टॉयलेट

70.2% आबादी के पास खुद का शौचालय है। बता दें कि 2015-16 में देश की 48.5% आबादी के पास ही टॉयलेट की सुविधा नहीं था लेकिन 2019-21 में 70.2% लोगों के पास शौचालय थे। इसी तरह 96.8 प्रतिशत घरों तक बिजली की उपलब्धता है।

बैंक खाता खुलवाने में भी आगे महिलाएं

यही नहीं, बैंक खाता खुलवाने में भी देश की महिलाएं पुरुषों से काफी आगे हैं। आंकड़ों के मुताबिक, देश में 78.6% महिलाएं अपना बैंक अराउंट खुद ऑपरेट करती हैं जबकि 43.3% महिलाओं के नाम पर कोई न कोई प्रॉपर्टी है। पीरियड्स में 77.3% महिलाएं सैनिटेशन अपनाती हैं।

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Content Writer

Anjali Rajput

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