बदलती जीवनशैली से मुसीबत बन रहा मोटापा

punjabkesari.in Thursday, Dec 30, 2021 - 09:08 PM (IST)

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक़ देश में 5 साल की उम्र तक के बच्चों में मोटापा बढ़ा है। सर्वेक्षण बताता है कि  33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मोटे बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ है। बच्चों  के बढ़ते वजन के आंकड़े  वाकई चिंतनीय हैं क्योंकि मोटापा कई  मानसिक और  शारीरिक समस्याओं की जड़ है।

शारीरिक निष्क्रियता से मोटापा

PunjabKesari

दरअसल, बच्चों में  खान-पान की अस्वस्थ आदतें और शारीरिक सक्रियता से दूरी, दोनों ही वर्तमान जीवनशैली में आम हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 2020 में करवाए गए इस राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों को लेकर विशेषज्ञों ने भी मोटापे के लिए शारीरिक निष्क्रियता और अस्वास्थ्यकर भोजन को ही जिम्मेदार बताया है। बाल स्वास्थ्य से जुड़े इस खतरे को लेकर संभलना जरूरी है।  

आलसी बना रहा जंक फूड

PunjabKesari

बच्चों में बढ़ता जंक फ़ूड का सेवन उन्हें मोटा और आलसी बनाने के साथ ही उनकी कार्यक्षमता भी कम कर रहा है। ऊर्जा और उत्साह से भरे होने के बजाय बच्चे थके और उत्साहहीन लगते हैं।  व्यक्तित्व और विचार दोनों पर इस जीवनशैली  का असर पड़ रहा है। मोटापे से जूझ रहे बच्चों के मनोवैज्ञानिक उलझनों का शिकार होने की भी काफी आशंका होती है। अध्ययन बताते हैं कि  बचपन में मोटे रहे लोगों में से  50 से 80 फीसदी बड़े होने पर भी मोटापे के शिकार रहते हैं। 

ललचा रहा बाजार भी जिम्मेदार

PunjabKesari

बच्चों में जंक फूड खाने का बढ़ता चाव और बहुत हद तक अभिभावकों की अनदेखी, वसा, नमक और चीनी की अधिकता वाले इन  खाद्य पदार्थों का सेवन वाकई हानिकारक है। कभी बच्चों का मन रखने के लिए तो कभी अपनी व्यस्तता के चलते, अभिभावक बच्चों की भोजन  संबंधी आदतों  के बदलाव को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। बाजार की आक्रामक रणनीति भी बच्चों के सामने खान-पान के ललचाऊ विकल्प परोसने से नहीं चूक रही।  

पुरानी भारतीय जीवनशैली अच्छी

PunjabKesari

स्वाद के जाल में फंसकर सेहत बिगाड़ रहे बच्चों को भोजन की सही आदतों से जोड़ने में परिवार की भूमिका सबसे अहम है। मोटे अनाज का सेवन, घर में  पका ताजा भोजन करना, योग, ध्यान और घरेलू मोर्चे पर भी शारीरिक रूप से सक्रिय रखने वाली भारतीय जीवनशैली का आज दुनिया भर में अनुसरण किया जा रहा है। जबकि भारत में लोग घर के पौष्टिक खाने से दूरी बना रहे हैं। दुखद है कि महानगरों से लेकर गांवों-कस्बों तक, हमारे परिवारों से गायब हो रहा रहन-सहन का जमीनी अंदाज़ भावी पीढ़ी की सेहत के लिए एक बड़ा खतरा बन रहा है।        


सबसे ज्यादा पढ़े गए

News Editor

Shiwani Singh

Related News

static