Amitabh के भाई Ajitabh आज कहां? कौन थी Teji Suri जो शादी के बाद बनी बच्चन ? Big B का Family Tree
punjabkesari.in Tuesday, Jan 16, 2024 - 04:48 PM (IST)
पूरे भारत में इस समय अयोध्या को लेकर उत्साह का माहौल है। बी-टाउन नगरी में भी राम मंदिर से जुड़ा अलग ही क्रेज देखने को मिल रहा है। बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन भी इस समय प्रभु श्रीराम के रंग में रंगे हैं। उन्होंने तो अयोध्या मे करोड़ों की जमीन भी खरीद ली है और अब उनके घर से केवल 15 मिनट दूर होगा राम मंदिर। इस प्लॉट इन्वेस्टमेंट को लेकर अमिताभ बच्चन ने कहा, 'ये एक ऐसा शहर है जो मेरे दिल में एक खास जगह रखता है।'
रिपोर्ट के मुताबिक, अमिताभ बच्चन अयोध्या में लिए इस प्लॉट पर घर बनाने की तैयारी में हैं और ये प्लॉट, सरयू नदी के किनारे बनने वाले 7 स्टार प्लॉटेड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट 'द सरयू' का हिस्सा है ।इस प्लॉट को अमिताभ ने साढ़े 14 करोड़ रुपये में खरीदा है।
पंजाबी सिख खत्री परिवार से ताल्लुक रखती थी अमिताभ की मां
अगर आप नहीं जानते तो बता दें कि अमिताभ यू.पी के ही रहने वाले हैं। अमिताभ का जन्म 11अक्तूबर 1942 को इलाहाबाद का है जिसे आज प्रयागराज कहा जाता है। बिग बी के पिता अपने जमाने के मशहूर लेखक हरिवंशराय बच्चन थे और मां का नाम तेजी बच्चन जो शादी से पहले तेजी सूरी थी। वह पंजाबी सिख खत्री परिवार से ताल्लुक रखती थी। तेजी बच्चन एक सामाजिक कार्यकर्ता थी। बंटवारे से पहले पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में उनका जन्म हुआ था। कॉलेज की डिग्री लेने के बाद उन्होंने लाहौर में मनोविज्ञान पढ़ाने की नौकरी की और वहीं उनकी मुलाकात हरिवंश श्रीवास्तव से हुई, जो उस समय इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के व्याख्याता थे। दोनों ने कुछ समय बाद इलाहाबाद में शादी कर ली और शादी के बाद तेजी एक गृहिणी बन गईं।
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अमिताभ बच्चन के माता-पिता के बारे में तो सब जानते थे लेकिन दादा दादी के बारे में कम ही जानकारी रही है। बिग बी के दादा-दादी का नाम लाला प्रताप नारायण श्रीवास्तव और सरस्वती देवी है। इनके चार बच्चे थे-बिट्टन, भगवानदेई, हरिवंश राय और शालिगराम हैं।
पिता ने की थी दो शादियां
अमिताभ बच्चन के पिता की दो शादियां हुई थी। पहली पत्नी का नाम श्यामा थी जिनका निधन टीबी की लंबी बीमारी से हो गया था। इनके बाद उन्होंने तेजी सूरी से शादी की, जो बाद में तेजी बच्चन बन गई थीं। पहली पत्नी से उन्हें कोई संतान नहीं हुई। तेजी से शादी के बाद उन्हें दो बेटे अमिताभ और अजिताभ हुए। हालांकि पिता ने पहले अमिताभ को इंकलाब नाम दिया था । जिसका अर्थ था- क्रांति, बदलाव। लेखकों का हरिवंशराय बच्चन के घर में आना-जाना था। बिग बी का असली नाम इंकलाब श्रीवास्तव था लेकिन जब मशहूर राइटर सुमित्रानंदन पंत हरिवंश राय बच्चन ने बेटे को देखने पहुंचा और उन्हें पता चला कि उनका नाम इंकलाब रखा है तो उन्होंने नाम बदलकर अमिताभ करवा दिया। अमिताभ का अर्थ है- अत्यंत तेजस्वी या गुणवान। वही अमिताभ का असली सरनेम श्रीवास्तव है लेकिन उनके पिता बतौर राइटर अपना पेन नेम बच्चन रखते थे जो आगे चलकर अमिताभ भी अपने नाम के साथ लगाने लगे और आगे उनके बच्चों ने भी इसे फॉलो किया। जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के साथ उनके गहरे पारिवारिक ताल्लुक रहे। वह राजीव गांधी और संजय गांधी के साथ खेला करते थे।
इलाहाबाद के बॉयज हाई स्कूल और नैनीताल के शेरवुड कॉलेज से पढ़ाई की और दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज में आर्ट्स की मास्टर डिग्री ली। अमिताभ ने जया भादुरी से शादी की जो सिनेमा जगत की मशहूर अभिनेत्री हैं। शादी के बाद वह जया बच्चन बन गए आगे उनके दो बच्चों श्वेता और अभिषेक के बारे में तो सब जानते हैं। अभिषेक ने एक्ट्रेस एश्वर्या राय से शादी की और श्वेता ने कपूर फैमिली के लाडले और बड़े बेटे निखिल नंदा से शादी की जो राज कपूर की बड़ी बेटी ऋतु नंदा के बेटे हैं।
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छोटे भाई अजिताभ हैं लाइमलाइट से दूर
अमिताभ के भाई अजिताभ बच्चन उम्र में अमिताभ से पांच साल छोटे हैं। भाई अमिताभ बच्चन की तरह उन्होंने भी नैनीताल के शेरवुड कॉलेज से पढ़ाई पूरी की। जहां अमिताभ ने एक्टिंग फील्ड चुनी वहीं अजिताभ बच्चन ने दूसरी फील्ड में अपना करियर बनाया। वह भारत के जाने-माने बिजनेसमैन हैं। भारत से पहले वो करीब 15 साल तक लंदन में रहे और वहीं अपना बिजनेस खड़ा किया। फिर साल 2007 में अजिताभ का परिवार भी भारत शिफ्ट हो गया। उन्होंने रमोला नाम की महिला से शादी की जोकि उन्हीं की तरह बिजनेसवुमन हैं, साथ ही अच्छी सोशलाइट भी। अजिताभ की बीवी को साल 2014 में एशियन ऑफ द ईयर का अवॉर्ड दिया गया था। अजिताभ और रमोला के 4 बच्चे हैं जिनमें एक बेटा भीम और तीन बेटियां नीलिमा, नम्रता, नैना हैं।
अजिताभ के बेटे पेशे से एक इन्वेस्टमेंट बैंकर हैं। बेटी नैना की साल 2015 में एक्टर कुणाल कपूर से शादी हुई और नम्रता पेशे से एक पेंटर है। अजिताभ कमाई के मामले में भाई से पीछे नहीं। भाई की तरह वो भी लग्जरी लाइफ जीते हैं। अमिताभ और अजिताभ, दोनों ही भाई अपने काम को लेकर हमेशा बिजी रहते हैं, जिस वजह से दोनों सालों तक एक-दूसरे से दूर रहे। यहीं वजह है कि दोनों को बहुत कम ही साथ में देखा गया लेकिन अजिताभ और रमोला दोनों ही अमिताभ के फैन है।
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फिल्मी करियर में भी है अजिताभ का अहम रोल
भाई के फिल्मी करियर में अजिताभ का भी अहम रोल रहा है। वह महज 21 साल के थे जब इलाहाबाद से कोलकाता नौकरी की तलाश में आए थे। कोलकाता में अमिताभ को बड़ी शॉ वैलेस नाम की कंपनी में क्लर्क की नौकरी भी मिल गई और बाद में शिपिंग फर्म बर्ड एंड कंपनी में काम मिल गया। कुछ समय के लिए उन्होंने ICI कंपनी में भी काम किया, जहां उनकी चंद्रा नाम की महाराष्ट्रीयन लड़की से मुलाकात हुई। अमिताभ उस लड़की के सीनियर थे। उनकी तनख्वाह 1500 रुपए थी और चंद्रा की महज 400। साथ काम करते हुए दोनों को प्यार हो गया। ये उनकी पहली मोहब्बत थी। अमिताभ ने जब उनसे शादी के लिए इजहार किया, तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया। इस बात से वो बुरी तरह टूट गए।
दिल टूटा तो उन्होंने तुरंत नौकरी छोड़ दी, नौकरी के बाद शहर छोड़ना था तो वो सीधे कोलकाता से मुंबई पहुंच गए। मुंबई पहुंचकर अमिताभ बच्चन नौकरी के लिए एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर चक्कर लगाते रहे। हरिवंशराय बच्चन चाहते थे कि अमिताभ कोई ढंग की नौकरी करें, लेकिन उन्हें अभिनय में दिलचस्पी थी। हालांकि, अजिताभ, अपने भाई के हीरो बनने के ख्वाब को अच्छी तरह जानते थे। एक दिन अजिताभ मुंबई से दिल्ली आ रहे थे कि सफर में पास बैठे एक लड़के से पता चला कि ख्वाजा अब्बास अपनी फिल्म के लिए नए चेहरे की तलाश में हैं। उन्होंने उस लड़के को संपर्क नंबर और भाई की फोटो भिजवाई थी। जब तस्वीर ख्वाजा अहमद अब्बास तक पहुंची और उन्होंने तुरंत उन्हें मिलने बुला लिया। अमिताभ उस समय दिल्ली में थे, जो एक कॉल आते ही मुंबई पहुंच गए। बातों-ही-बातों में जब ख्वाजा अब्बास को पता चला कि अमिताभ हरिवंश राय बच्चन के बेटे हैं तो उन्होंने पूछा- क्या घर से भागकर आए हो? अमिताभ ने जवाब में ना कहा। इसके बावजूद ख्वाजा अब्बास ने हरिवंश राय बच्चन को खत लिखकर पूछा कि कहीं उन्हें बेटे के फिल्मों में आने पर एतराज तो नहीं। जब खत के जवाब में सहमति मिली तो कुछ दिनों बाद ख्वाजा ने 5 हजार रुपए देकर अमिताभ को फिल्म सात हिंदुस्तानी के लिए साइन किया। उसके बाद अमिताभ ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।