महाकुंभ समाप्त होने के बाद भी संगम तट पर है खूब चहल-पहल, अभी भी दूर दूराज से यहां पहुंच रहे लोग

punjabkesari.in Friday, Mar 21, 2025 - 06:56 PM (IST)

नारी डेस्क: आस्था, आध्यात्मिकता और संस्कृति का अनूठा संगम महाकुंभ को समाप्त हुये अब लगभग एक महीना होने जा रहा है लेकिन श्रद्धालुओं के बीच संगम स्थल का आकर्षण अभी भी सिर चढ़कर बोल रहा है और इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हर रोज संगम में लगने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ है। महाकुंभ में अखाड़ों के नागा संन्यासियों और साधु संतो को तीसरा और अंतिम अमृत स्नान तीन फरवरी को समाप्त हो गया था जबकि सामान्य छठवां स्नान महाशिवरात्रि पर समाप्त हुए भी 23 दिन बीत चुके हैं, बावजूद इसके संगम किनारे अभी भी दूर दूराज से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की कतारें उसके आकर्षण के गुणगान कर रही हैं। 

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प्रायगराज को माना जाता है तीर्थों का राजा 

श्रद्धालुओं द्वारा लगाए जा रहे‘हर-हर महादेव'और‘जय श्री राम'की गूंज संगम की लहरों में गूंजती नजर आ रही है। आज भी संगम तट पर चार पहिया वाहनों की लंबी कतारे देखने को मिल रही हैं। शैव संप्रदाय महानिर्वाणी अखाड़ा (प्रयागराज) के सचिव महंत यमुना पुरी ने कहा कि कुंभ हो अथवा नहीं हो तीर्थराज प्रयाग का अपना अलग महत्व है। इसकी महत्ता हजारों सालों से चली आ रही है। वेद-पुराणों में इसको तीर्थों का राजा कहा गया है। इसका मूलनाम तीर्थराज प्रयाग है। तीर्थों का राजा होने की वजह से जब तक यहां स्नान नहीं करते, अन्य तीथों के स्नान का फल प्राप्त शीघ्र नहीं होता। 

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ऋषियों की तपोभूमि है प्रयागराज

 महंत ने बताया कि-प्रयागराज नाम तो बहुत बाद में रखा गया है। महाभारत, स्कन्द पुराण, मत्स्य पुराण, ब्रह्म पुराण आदि पुराण एवं प्राचीन ग्रंथों में प्रयागराज के नामकरण एवं महिमा का उल्लेख मिलता है। प्रयागराज को ऋषियों की तपोभूमि माना जाता है, जहां अध्यात्म की ऊर्जा सबसे अधिक सतत प्रवाह में बहती रहती है। उत्तर प्रदेश किन्नर कल्याण बोडर् की सदस्य और महामंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरि उफर् टीना मां ने कहा कि महाकुंभ का आकर्षण का सबसे मजबूत पहलू 144 वर्ष है। श्रद्धालुओं की यही सोच रही है कि इस जन्म में तो अब महाकुंभ आना नहीं है, क्यों नहीं इस पुण्य अवसर का लाभ उठाया जा सके। उन्होंने बताया कि 144 वर्ष का आकर्षण इतना मजबूत रहा कि माताएं अपने दुधमुहें बच्चे तक को गोदी में लाकर इस अवसर का लाभ पहुंचाया। 

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करोड़ो लोगों ने महाकुंभ में लगाई आस्था की डुबकी

मौनी अमावस्या के भगदड़ पर महामंडलेश्वर ने इसे एक डरावना सपना बताकर बात करने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इतने सुंदर और पुण्य अवसर पर इस घटना ने एक दाग लगा दिया।  संगम पर वर्तमान भीड़ को लेकर उन्होंने कहा कि यह तो संगम की महत्ता है, और हमेशा रहेगी। उन्होंने बताया कि पहले लोगों में इतनी जागरूकता भी नहीं थी, अभी लोगों में सनातन को लेकर जागरूकता बढ़ी है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सनातन का सजग प्रहरी बताया। इससे पहले भी कुंभ लगा लेकिन 2025 का महाकुंभ अपने दिव्यता और भव्यता को लेकर दुनिया में छाया रहा। दुनिया के कोने कोने से श्रद्धालु त्रिवेणी पहुंचकर आस्था की डुबकी लगाकर अपने को धन्य महसूस किया। 
 


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Content Writer

vasudha

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