Karwa chauth 2022: अधूरी है इन चीजों के बिना करवा चौथ की पूजा, जानें महत्व
punjabkesari.in Wednesday, Oct 12, 2022 - 02:11 PM (IST)
कल करवाचौथ है, भारतीय सुहागन औरतों के लिए बहुत बड़ा दिन। इस दिन औरतें पूरे दिन भुखी-प्यासी रह के पति के लंबी उम्र की कामना करतीं हैं। यह त्यौहार पति-पत्नी के प्रेम को दर्शाता है। करवा चौथ पूजा में प्रयोग होने वाली चीज का अपना महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ व्रत हर साल कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस साल यह त्यौहार 13 अक्टूबर यानी गुरुवार को है। जानिए करवा चौथ व्रत में इस्तेमाल होने वाली ऐसी चीजों के बारे में, जिनके बिना इसे अधूरा माना जाता है।
करवा
करवा चौथ की पुजा करते वक्त करवा का होना बहुत जरुरी है। करवा उस दिन का प्रतीक होता है जिसमें करवा माता के पति का पैर मगरमच्छ ने पकड़ लिया था। माता करवा ने पति का पैर छुड़वाया था। करवा दरअसल मिट्टी के बरतन को बोलते है, जिससे चांद को अर्घ्य दी जाती है। आजकल बाजार में काफी संदुर करवे मिलते हैं।
करवा माता की प्रतीमा
इस तस्वीर में आपको भारतीय संस्कती की झलक देखने को मिलती है। इस तस्वीर में चंद्रदेव के साथ-साथ तारे भी दर्शाए गए हैं। इसके अलावा करवा चौथ की कथा का अंश भी मिलता है।
सींक
सींक को करवा चौथ की पुजा में जरुर शामिल करें। यह करवा माता की शाक्ति का प्रतीक है। जिसके बल पर माता ने यमराज के सहयोगी भगवान चित्रगुप्त के खाते के पन्नों को उड़ा दिया था।
दीपक
चांद को अर्घ्य देने के बाद उनकी आरती उतारी जाती है और उसी आरती के दीपक से पति की आरती होती है। इसलिए पूजा में दीपक को रखना न भूलें. पूजा तभी पूरी मानी जाती है जब आरती होती है।
छलनी
इसी तरह से इस व्रत में छलनी का भी विशेष महत्व है। कहा जाता है कि हिंदू मान्यताओं के मुताबिक चंद्रमा को भगवान ब्रह्मा का रूप माना गया है और चांद को लंबी आयु का वरदान मिला हुआ है। चांद में शीतलता, सुंदरता, प्रेम और लंबी आयु जैसे गुण पाए जाते हैं। इसीलिए सभी महिलाएं चांद को देखकर ये कामना करती हैं कि ये सभी गुण उनके पति में आ जाएं।
पानी का लोटा
चंद्रदेव को अर्घ्य देने के लिए जरूरी होता है लोटा। पूजा के दौरान लोटे में पानी भरकर रखते हैं। यह जल चंद्रमा को हमारे भाव समर्पित करने का एक माध्यम है। वैसे भी हर पूजा में कलश को गणेशजी के रूप में स्थापित किया जाता है।
थाली
पूजा की एक थाली में, दीये, फल और पानी से भरा लोटा रखने के साथ गंगाजल, सिंदूर, महावर, चूड़ी, कंघी, बिंदी चुनरी का प्रयोग करना चाहिए। इसके साथ ही कांस की 11 तीलियां, कच्चा दूध, अगरबत्ती, फूल, चंदन, शहद और चीनी को भी जरूर पूजा सामग्री में रखें। इसी में दीपक रखकर मां करवा की आरती उतारते हैं।