Eid al-Adha 2021: कुर्बानी से जुड़ा बकरीद पर्व, जानिए इसका महत्व

punjabkesari.in Wednesday, Jul 21, 2021 - 10:44 AM (IST)

आज मुस्लिम समुदाय का पावन ईद का त्योहार है। यह ईद बकरीद या ईद–उल–जुहा कहलाती है। इस दिन को इस्लाम धर्म में त्याग की भावना के रूप में मनाया जाता है। इस पावन त्योहार का संबंधी कुर्बानी से है। कुर्बानी का अर्थ उस बलिदान को कहते है जो दूसरों के लिए किया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, बकरीद का त्योहार रमजान का पाक महीना खत्म होने के करीब 70 दिनों बाद आता है। चलिए आज हम आपको बकरीद के पर्व से जुड़ी कुर्बानी की कहानी के बारे में बताते हैं...

बकरीद मनाने का महत्व

इस पावन त्योहार में खुदा की राह में त्याग का जज्बा और इंसानियत के लिए दुआएं होती है। आज के दिन एक बकरे की खुदा के लिए कुर्बानी दी जाती है। कहा जाता है कि इस पर्व को हजरत इब्राहीम, जो कि अल्लाह के पैगम्बर थे द्वारा पहली बार मनाया गया था। माना जाता है कि एक बार फरिश्तों के कहने से अल्लाह ने हजरत इब्राहीम की परीक्षा ली थी। उससे पहले हजरत इब्राहीम के घर बड़ी दुआ के बाद बेटे का जन्म हुआ था।

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बकरीद बनाने से जुड़ी कहानी

कहते हैं एक दिन हजरत इब्राहीम को सपने में हुक्म मिला था कि वे खुदा की राह में कुर्बानी दें। तब उन्होंने उस फर्ज के निभाया था। दूसरी रात फिर उन्हें ख्बाव आया और हजरत इब्राहीम ने सुबह होते ही वैसे ही किया था। तीसरी बार ख्वाव में उन्हें अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बान करने का हुक्म हुआ। हर व्यक्ति को अपने बच्चे सबसे अधिक प्रिय होते हैं। ऐसे में हजरत इब्राहीम को भी अपना बेटा जान से प्यारा था। मगर खुदा का हुक्म मानते हुए वे अपना फर्ज निभाने को रुके नहीं। वे बिना किसी परेशानी के अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने को तैयार हो गए। फिर उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर बेटे की कुर्बानी देने के लिए छूरी उठा ली। ठीक उसी समय फरिश्तों के सरदार जिब्रील अमीन ने वहां से हजरत इब्राहीम के बेटे की जगह पर एक मेमना रख दिया। ऐसे में उस दिन इस्लाम धर्म में हजरत इब्राहीम द्वारा अल्लाह के लिए पहली कुर्बानी दी गई।

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ऐसे मनाते हैं बकरीद का पावन त्योहार

उस दिन से इस पर्व को मनाने की शुरूआत हो गई। उस दिन से आज तक इस दिन को दुनिया भर में बकरीद या ईद-उल-जुहा कहा जाने लगा। इसलिए हर साल इस दिन मेमने की कुर्बानी देकर उसके गोश्त के तीन भाग करके बांटें जाते हैं। इसका एक भाग गरीबों, दूसरा दोस्तों, तीसरा भाग रिश्तेदारों व परिवार को खिलाया जाता है। बकरीद का यह त्योहार त्याग और बलिदान का संदेश देता है।  

 

 


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neetu

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