संभल जाओ नहीं तो हो जाएगा सब बर्बाद! इन गलतियों के कारण महिलाओं पर ज्यादा अटैक कर रहा कैंसर

punjabkesari.in Thursday, Feb 27, 2025 - 05:11 PM (IST)

नारी डेस्क: भारत के प्रमुख चिकित्सा पैनल ने खुलासा किया है कि निदान के बाद पाच में से तीन लोग कैंसर से मर जाते हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की रिपोर्ट में पाया गया कि पिछले दशक में कैंसर की घटनाओं में वृद्धि हुई है, पुरुषों की तुलना में महिलाओं की स्थिति ज्यादा खराब है।  चिंता की बात तो यह है कि दुनियाभर में कैंसर से हो रही मौतों के 10% से ज्यादा मामले सिर्फ भारत में ही आ रहे हैं। दुनिया में हर मिनट में एक महिला की ब्रेस्ट कैंसर से मौत हो रही है. डब्ल्यूएचओ ने इसके लिए कई कारण भी बताए हैं, इसमें अनहेल्दी खानपान, बदलती लाइफस्टाइल, बढ़ती उम्र समेत कई समस्याएं शामिल हैं.

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ब्रेस्ट कैंसर की ज्यादा शिकार हो रही महिलाएं

रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं में कैंसर के नए केस में करीब 30% मामले ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) के हैं, इसके बाद गर्भाशय कैंसर के करीब 19% मामले हैं.। पुरुषों में सबसे ज्यादा माउथ कैंसर पाया गया है, जिससे 16% नए मामले दर्ज किए गए। रिसर्च टीम ने अलग-अलग एज ग्रुप में कैंसर बढ़ने के लेवल में भी बदलाव पाया है। शोधकर्ताओं का मानना है कि कैंसर की सबसे ज्यादा बीमारी वृद्धावस्था में देखी गई है, इनमें 70 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोग हैं। इसके बाद 15 से 49  साल की उम्र वालों में कैंसर के मामले पाए गए । 


खुलकर बात करने से बचती हैं महिलाएं

हमारा समाज अभी भी स्त्री रोग संबंधी समस्याओं के बारे में नियमित रूप से बात करने में सहज नहीं है।  महिलाएं अभी भी इसे वर्जित मानती हैं और किसी भी स्त्री रोग संबंधी समस्या के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करने में झिझकती हैं, जिससे उपचार में देरी होती है। कभी-कभी उनके लिए यह समझना मुश्किल हो जाता है कि उनके शरीर में क्या सामान्य है और क्या असामान्य। महिलाओं में कैंसर की स्क्रीनिंग कम होती है, जिससे बीमारी देर से पकड़ में आती है। देर से पहचान होने के कारण कैंसर के मामलों की संख्या और मृत्यु दर बढ़ जाती है।  


महिलाओं को कैंसर अधिक क्यों होता है?

स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर (गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर) और ओवेरियन कैंसर महिलाओं में सबसे आम प्रकार हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं, जिनमें हार्मोनल बदलाव, जीवनशैली, जागरूकता की कमी, और जेनेटिक कारण शामिल हैं। महिलाओं में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन** के उतार-चढ़ाव से स्तन और ओवरी से जुड़े कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।  रजोनिवृत्ति (Menopause) के बाद कैंसर का खतरा अधिक होता है।   जिन महिलाओं के परिवार में स्तन या सर्वाइकल कैंसर का इतिहास रहा हो, उनमें इसकी संभावना बढ़ जाती है।  

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 स्तन कैंसर और सर्वाइकल कैंसर का खतरा ज्यादा

भारत में हर 8 में से 1 महिला को अपने जीवनकाल में स्तन कैंसर होने की संभावना रहती है। भारत में हर साल 1 लाख से अधिक महिलाओं को गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर होता है। इन दोनों प्रकार के कैंसरों की दर पुरुषों में पाए जाने वाले प्रमुख कैंसरों (फेफड़े, लीवर, मुँह के कैंसर) की तुलना में अधिक होती है।  स्तन कैंसर की सेल्फ-चेकिंग, पैप स्मीयर टेस्ट, और नियमित हेल्थ चेकअप** की कमी के कारण महिलाओं को देर से डायग्नोस किया जाता है।  


देरी से मां बनना भी खतरनाक

 जो महिलाएं  30-35 की उम्र के बाद मां बनती हैं, उनमें स्तन और ओवेरियन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।  ब्रेस्टफीडिंग न करने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर की संभावना ज्यादा होती है। पुरुषों के मुकाबले कम प्रतिशत में सही, लेकिन जो महिलाएं शराब या तंबाकू का सेवन करती हैं, उनमें कैंसर की संभावना ज्यादा होती है। महिलाओं में धूम्रपान से फेफड़ों का कैंसर और गले का कैंसर बढ़ रहा है।   घरेलू और कॉस्मेटिक उत्पादों में मौजूदकेमिकल्स (BPA, पैराबेन्स, फॉर्मल्डिहाइड) से हार्मोनल बदलाव होते हैं, जो कैंसर का खतरा बढ़ा सकते हैं।  पानी और खाने में मौजूद कीटनाशक (Pesticides) और भारी धातुएं महिलाओं के प्रजनन अंगों पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।  

 

 कैंसर से बचाव के लिए क्या करें?

-40 वर्ष की उम्र के बाद स्तन कैंसर की जांच के लिए हर साल मैमोग्राफी करवाएं।
-सर्वाइकल कैंसर की पहचान के लिए 21 साल के बाद हर 3-5 साल में पैप स्मीयर टेस्ट कराएं।  
- हरी सब्जियां, फल, होल ग्रेन्स और एंटीऑक्सीडेंट युक्त फूड्स खाएं।  
- रोज़ाना कम से कम 30 मिनट की एक्सरसाइज या योग करें और वजन को नियंत्रण में रखें।  
- मेडिटेशन, योग और रिलैक्सेशन तकनीकों से मानसिक शांति पाएं।  
-एचपीवी वैक्सीन (HPV Vaccine)सर्वाइकल कैंसर से बचाव में मदद कर सकती है।  

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इन बातों से अनजान हें महिलाएं

जब 45 वर्षीय महिला गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से पीड़ित होती है, तो उसके कैंसर की प्रक्रिया कई साल पहले ही शुरू हो चुकी होती है। इसलिए गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की रोकथाम के लिए एचपीवी टीकाकरण की सिफारिश 9-14 वर्ष की बहुत कम उम्र में की जाती है (यानी एचपीवी वायरस के संपर्क में आने से पहले)।मो टापा अब एंडोमेट्रियल (गर्भाशय) कैंसर के लिए प्रमुख परिवर्तनीय जोखिम कारक के रूप में तंबाकू चबाने के समान है। एंडोमेट्रियल कैंसर के लगभग 50% मामले मोटापे के कारण होते हैं। और दुखद बात यह है कि ऐसी अधिकांश महिलाएँ अभी भी 30 वर्ष की आयु में हैं, इस प्रकार वे अपना गर्भाशय और आगे गर्भधारण करने की क्षमता खो देती हैं। लगभग 99.9% गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर विभिन्न प्रकार के HPV वायरस के कारण होता है, जिनमें सबसे आम HPV 16 और 18 प्रकार हैं। दस में से आठ महिलाएँ अपने जीवन में किसी न किसी समय HPV वायरस से संक्रमित होती हैं। 

 

कैंसर से पहले महिलाओं के शरीर में दिखने वाले संकेत  

-पीरियड्स के बीच में या मेनोपॉज के बाद ब्लीडिंग होना या फिर यौन संबंध के बाद ब्लीडिंग आना  गर्भाशय (Uterine), सर्वाइकल (Cervical) या कोलन (Colon) कैंसरका संकेत हो सकता है।  

-स्तनों में गांठ (Lump) महसूस होना,निप्पल से असामान्य डिस्चार्ज या दर्द होना, स्तन की त्वचा में बदलाव, डिंपल पड़ना, खुजली या सूजन आना, येस्तन कैंसर (Breast Cancer) के लक्षण हो सकते हैं।  

-बिना किसी वजह के अचानक 5-10 किलो वजन कम होना, भूख कम लगना या हमेशा भरा हुआ महसूस करना,  यह पेट,  अग्नाशय (Pancreatic) या फेफड़ों (Lung) के कैंसर का संकेत हो सकता है।  

-हमेशा कमजोरी और सुस्ती महसूस होना या नींद लेने के बाद भी थकान बनी रहना, यह ल्यूकेमिया (Leukemia) या कोलन कैंसर (Colon Cancer) का संकेत हो सकता है।  

-लगातार कब्ज (Constipation) या डायरिया रहना या पेट में दर्द, सूजन या गैस की समस्या बनी रहना।यह ओवेरियन कैंसर (Ovarian Cancer) या कोलन कैंसर (Colon Cancer)का संकेत हो सकता है।  

-पेशाब करने में बदलाव (Urinary Changes) या बार-बार पेशाब आना या पेशाब में जलन होना, पेशाब के रंग या गंध में बदलाव आना। यह ब्लैडर (Bladder) या किडनी कैंसर (Kidney Cancer) का संकेत हो सकता है।  


-बिना किसी चोट के हड्डियों में लगातार दर्द रहना, चलने-फिरने में दिक्कत या कमजोरी महसूस होना। यह हड्डी के कैंसर (Bone Cancer) का लक्षण हो सकता है।  
 


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Content Writer

vasudha

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