चमोली आपदा की मसीहा डा. ज्योति को सलाम, 8 महीने के गर्भ में भी बचाई लोगों की जान
punjabkesari.in Sunday, Feb 14, 2021 - 01:34 PM (IST)

'महिला' जो न सिर्फ एक बेटी होती है बल्कि पत्नी, मां और सभी की रक्षा करने वाली भी होती है। कोई भी मुसीबत हो, चाहे परिवार में कोई समस्या आ जाए या फिर समाज में हमेशा महिलाएं आगे आकर लोगों की जान बचाती हैं और हाल ही में एक ऐसा ही उदाहरण सामने आया है उत्तराखंड से। उत्तराखंड में आई आपदा से हर कोई वाकिफ है, कैसे आंखे मीचते ही वहां धीरे-धीरे सब कुछ तबाह होने लगा और इस तबाही ने लोगों को हैरान कर दिया। ऐसे मुश्किल समय में जहां लोग खुद की जान बचाने की पहले सोचते हैं वहीं डा. ज्योति जो कि गर्भवती होने के बावजूद लोगों की मदद के लिए आगे आई और उनकी जान बचाने के लिए लगातार मदद करती रही।
8 महीने की गर्भवती हैं ज्योति
मीडिया रिपोर्टस की मानें तो डॉ. ज्योति 8 महीने की गर्भवती है। ऐसा समय जिस में महिलाएं घर पर रहती हैं ताकि उनके बच्चे पर कोई आंच न आए लेकिन ऐसे समय में भी ज्योति रूकी नहीं और आज तमाम देशवासी उनके काम के मुरीद हो गए ।
रेस्क्यू ऑपरेशन में बिना रूके की लोगों की सेवा
खबरों की मानें तो ज्योति इंडो तिब्बतियन बार्डर पुलिस (आईटीबीपी) में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर तैनात हैं। वह हिसार की रहने वाली हैं। नंवबर में ही जोशीमठ में उन्हें तैनात किया गया था। वहीं जब ज्योति को ग्लेशियर टूटने की सूचना मिली उस समय वह आईटीबीपी के अस्पताल में काम कर रहीं थी।
अस्पताल में 3 दिन तक डटी रही
अस्पताल में सिर्फ 2 चिकित्सक ही थे एक लोगों को टनल से बचाने के लिए चले गए और अस्पताल में डॉ ज्योति ने मोर्चा संभाला और आठ महीने के गर्भ के साथ वह लगातार काम करती रही और 3 दिन तक ड्यूटी करती रही। इतना ही नहीं 48 घंटे तो ज्योति ने बिना सोए ही काम किया और टनल से निकाले गए लोगों की जान बचाने में लगी रही हालांकि आस पास के लोगों ने उन्हें आराम करने को कहा लेकिन ज्योति रूकी नहीं।
अकेले ही संभाला सारा काम
डॉ ज्योति की मानें तो जो लोग टनल में मैजूद थे जब उन्हें बाहर निकाला गया तो उनका ऑक्सीजन लेवल कम था। कुछ लोग तो इस के कारण तनाव में भी थे। ऐसे समय में ज्योति ने अकेले ही सारा काम संभाला। 12 मजदूरों की जान बचाई उन्हें ऑक्सीजन मुहैया कराई साथ ही साथ उन्हें कपड़े भी दिए तनाव दूर करने के लिए भी काम किए।
ड्यूटी को दी महत्ता
खबरों की मानें तो ज्योति के पति आशीष पेशे से एक इंजीनियर हैं और वह आईटीबीपी में कार्यरत हैं। ज्योति का नौवां महीना शुरू होने जा रहा था ऐसे में वह घर जाकर ही डिलवरी करवाना चाहती थी लेकिन आपदा के कारण सब प्लान को रोक दिया गया। ज्योति की मानें तो उनके लिए पहले ड्यूटी है और जब तक उनमें दम है वह एक-एक ही जान बचाएगी।
सच में हम भी ज्योति के इस जज्बे को सलाम करते हैं।
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