सावन पूर्णिमा पर ये कार्य करना बेहद शुभ, जानिए इनका महत्व
punjabkesari.in Thursday, Aug 19, 2021 - 12:07 PM (IST)
हिंदू धर्म में सावन का महीना बेहद पवित्र माना जाता है। इस दौरान सावन के व्रत, हरियाली तीज, अमावस्या आदि शुभ तिथियां भी आती है। इसी के साथ इस माह में पड़ने वाली पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस साल यह 22 अगस्त को पड़ रही है। मान्यता है कि इस दिन कुछ खास कार्य करना शुभ माना जाता है। चलिए जानते हैं उन कार्यों के बारे में...
रक्षाबंधन का त्योहार
हर साल सावन महीने की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। इसमें बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है। उनकी लंबी उम्र व सुख-समृद्धि की कामना करती है।
जनेऊ बदलना शुभ
उत्तर भारत में पूर्णिमा तिथि को श्रावणी उपाकर्म और दक्षिण भारत में अबित्तम कहते हैं। इस दिन विशेष तौर पर जनेऊ बदलने का कार्य किया जाता है। इस शुभ दिन पर यज्ञोपवित्र पूजन तथा उपनयन संस्कार करने का भी विशेष महत्व है।
पितर तर्पण
इसे ऋषि तर्पण के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म अनुसार इस दिन पितरों का तर्पण करना शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रक्षाबंधन के पावन पर्व को पाप नाशक व विष नाशक कहा जाता है जो खराब कर्मों से छुटकारा दिलाते हैं। ऐसे में इस खास दिन पर पाप निवारण के लिए परनिंदा न करने, सत्य के राह पर चलने, इंद्रियों पर संयम रखने व अच्छा व्यवहार करने का वचन लिया जाता है।
स्नान व दान करना
हिंदू धर्म में शुभ तिथियों पर स्नान व दान का विशेष महत्व है। मान्यताओं के अनुसार, श्रावणी पूर्णिमा तिथि को स्नान व दान करने से समस्त पापों से छुटकारा मिलता है। इस विशेष दिन पर परंपरागत रूप से तीर्थ अवगाहन, दशस्नान, हेमाद्रि संकल्प तथा तर्पण आदि कर्म करने का रिवाज है। श्रावण पूर्णिमा के दिन दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इससे पापों का नाश होकर व्यक्ति के लिए स्वर्ग के द्वार खुलते हैं।
देवी-देवताओं की पूजा का महत्व
श्रावणी पूर्णिमा के शुभ दिन भगवान शिव, माता पार्वती, कृष्ण जी, हनुमान जी, श्रीहरि, देवी लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इससे कुंडली में चंद्रमा मजबूत होता है। जीवन की समस्या दूर होकर घर में सुख-समृद्धि व खुशहाली आती है।
व्रत करना
श्रावणी पूर्णिमा को व्रत रखने का भी विशेष महत्व है। इस शुभ दिन पर खासतौर पर उत्तर ल मध्य भारत की महिलाएं अपने बेटे की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत रखती है। इस दिन को उत्तर भारत में कजरी पूनम कहते हैं।