Sankashti Chaturthi: गणेश पूजा में ना करें ये गलतियां, इस मंत्र से पाएं बप्पा की असीम कृपा
punjabkesari.in Friday, Jan 29, 2021 - 11:01 AM (IST)
हिंदू धर्म में व्रत व पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। साथ ही किसी भी धार्मिक कार्य में सबसे पहले प्रथम पूजनीय गणेश जी पूजा की जाती है। माना जाता है कि भगवान गणपति संकटों को हरने वाले हैं। ऐसे में इनकी पूजा से जीवन की परेशानियां दूर होकर सफलता के रास्ते खुलते हैं। ऐसे में ही संतान प्राप्ति व उनके सुखी जीवन के लिए महिलाएं संकट चौथ का व्रत रखती है। इस बात संकट चतुर्थी का पवित्र दिन 31 जनवरी दिन रविवार को आएगा। इस दिन को तिलकुट चौथ, संकटा चौथ, माघ चतुर्थी, संकष्टि चतुर्थी आदि नामों से भी जाना जाता है। ऐसे में इस व्रत की पूजा के दौरान कुछ खास बातों ध्यान रखना बेहद जरूरी है। तो चलिए जानते हैं पूजा से जुड़े कुछ नियम...
प्रथम पूजनीय गणेश जी की पूजा में इस बातों का रखें खास ध्यान
कलश स्थापित करें
इस शुभ दिन पर घर में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें। साथ ही उनके उलटे हाथ की ओर एक कलश में जल भरकर रखें। कलश को चावल और गेहूं के ऊपर ही रखें। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि चावल टूटे हुए ना होकर एकदम साफ और सही हो। साथ ही कलश को मौली बांधकर उसके ऊपर आम के पत्ते सजाकर नारियल रखें।
धूप व अगरबत्ती जलाएं
भगवान गणेश जी को धूप और अगरबत्ती अतिप्रिय है। ऐसे में उनकी पूजा करने से पहले इसे जरूर जलाएं। इससे उनकी असीम कृपा की प्राप्ति होगी। साथ ही गणेश जी का तिलक करके मौली चढ़ाएं।
तांबे के कलश में ना रखें ये चीजें
अगर आपने पूजा स्थल पर घी और चंदन को तांबे के कलश में रखा है तो उसे तुरंत बदल लें। इन चीजों को इस धातु में रखना अशुभ माना जाता है।
इस जगह जलाएं दीपक
गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापना के बाद उनके सीधे हाथ की और शुद्ध देसी घी का दीपक जलाएं। साथ ही हो पाएं तो इसी स्थान पर दक्षिणावर्ती शंख रखें।
समय पर चढ़ाएं प्रसाद
जैसे की सभी जानते हैं कि प्रथम पूजनीय गणेश जी को मोदक, लड्डू आदि चीजें बहुत पसंद है। ऐसे में इस बात ध्यान रखें कि उनकी पूजा समय पर हो। साथ ही समय पर ही उन्हें प्रसाद का भोग लगाया जाएं।
गणेश जी के 12 नामों का करें स्मरण करके पूजा करें-
विघ्न-नाश, गजानन, सुमुख, एकदंत, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, कपिल, विनायक, भालचंद्र,धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष
इस मंत्र का करें जाप
गणेश जी की पूजा करके 'ॐ गं गणपतये नमः' मंत्र का जप करते हुए उन्हें 21 दूर्वा चढ़ाएं। फिर गणपति देवा को बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं। इसके साथ ही तिल तथा गुड़ से बने लड्डू, ईख, शकरकंद, गुड़ और घी चढ़ाएं।