महालक्ष्मी स्तोत्र: इन्द्र ने ऐसे की थी मां लक्ष्मी की आराधना, जानें इसका महत्व

punjabkesari.in Sunday, Jul 11, 2021 - 12:28 PM (IST)

महालक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है। देवी मां समस्त संसार को धन, वैभव, ऐश्चर्य, संपदा, समृद्धि, सुख, यश, बुद्धि, ओज आदि गुण देती है। मान्यता है कि सच्चे मन से इनकी पूजा व महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करने से देवी मां प्रसन्न होती है। जीवन में अन्न व धन से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। घर में खुशियों का संचार होने के साथ सुख-समृद्धि व यश, बुद्धि का वास होता है। चलिए आज हम आपको महालक्ष्मी स्तोत्र की रचना से जुड़ी कथा व इसका पाठ करने के लाभ बताते हैं...

ऐसे हुई महालक्ष्मी स्तोत्र की रचना (इतिहास)

कहते हैं कि एक बार दुर्वासा मुनि द्वारा इंद्र देव को श्राप मिलने से वे श्रीहीन हो गए थे। ऐसे में तीनों लोक देवी लक्ष्मी से वंचित हो गए थे। वहीं इंद्र की राज्यलक्ष्मी समुद्र में प्रस्थान कर गई थी। फिर जब देवी लक्ष्मी समुद्र से प्रकट हुईं तो सभी देवी-देवता, ऋषि, मुनि ने उनका जयगान किया। उस दौरान देवराज इंद्र ने माता लक्ष्मी से प्रार्थना करने के लिए महालक्ष्मी स्तोत्र की रचना की थी। उस रचना को सुनकर देवी मां अत्यंत प्रसन्न हुईं। इसके बाद तीनों लोक फिर से माता लक्ष्मी की कृपा होने से धन संपदा से भर गए। 

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महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करने का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करने से शुभफल की प्राप्ति होती है। कहते हैं इसका दिन में एक बार पाठ करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। दिन में 2 बार पाठ करने से घर में धन की बरकत रहती है। साथ ही दिन तीन में तीन बार महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करने से देवी मां की हमेशा कृपा बनी रहती है। देवी लक्ष्मी का दिन शुक्रवार होने से इस दिन इसका महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ बेहद शुभफल देने वाला माना जाता है। 

चलिए आपको बताते हैं महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ...

महालक्ष्मी स्तोत्र

नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।

शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि।

सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

सर्वज्ञे सर्ववरदे देवी सर्वदुष्टभयंकरि।

सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।

मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि।

योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे।

महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणी।

परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

श्वेताम्बरधरे देवि नानालंकारभूषिते।

जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं य: पठेद्भक्तिमान्नर:।

सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा।।

एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।

द्विकालं य: पठेन्नित्यं धन्यधान्यसमन्वित:।।

त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।

महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा।।

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पाठ के बाद पढ़े देवी मां के 11 नाम 

इस पाठ को पढ़ने के हाथ जोड़कर सच्चे मन से देवी मां का ध्यान करें। फिर घर में धन के देवी लक्ष्मी के 11 नामों के जयकारे लगाएं।

देवी लक्ष्मी के 11 नाम 

पद्मा
पद्मालया
पद्मवनवासिनी
श्री
कमला
हरिप्रिया
इन्दिरा
रमा
समुद्रतनया
भार्गवी
जलधिजा


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neetu

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