दो दिन मनाई जाएगी दिवाली? धनतेरस और लक्ष्मी पूजा की तिथि पर Confusion, जानें सही तारीख

punjabkesari.in Wednesday, Oct 09, 2024 - 09:41 AM (IST)

नारी डेस्क:  दीपों का अद्भुत त्योहार दिवाली, जिसे हर साल कार्तिक मास की कृष्णपक्ष अमावस्या को हर्षोल्लास से मनाया जाता है, इस साल 2024 में तिथि को लेकर Confusion की स्थिति पैदा हो गई है। लोगों के बीच इस बात पर मतभेद है कि दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाए या 1 नवंबर को। अमावस्या तिथि का दो दिनों तक रहना इस भ्रम का मुख्य कारण है, जिससे लोग दो समूहों में बंट गए हैं। कुछ लोग 31 अक्टूबर को प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजा करने के पक्ष में हैं, जबकि कुछ 1 नवंबर को सूर्योदय के आधार पर दिवाली मनाने की बात कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि कौन सी तिथि सही है और किस तर्क के आधार पर दिवाली मनाई जानी चाहिए? आइए जानें इस पर ज्योतिषियों और विद्वानों के तर्क, ताकि आप इस पर्व को सही तिथि पर उल्लास के साथ मना सकें।

दिवाली की तिथि पर विवाद क्यों?

दिवाली की तिथि को लेकर असमंजस का मुख्य कारण इस साल अमावस्या तिथि का दो दिनों तक होना है। 2024 में कार्तिक अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट से शुरू होकर 1 नवंबर की शाम 6 बजकर 16 मिनट तक रहेगी। इस कारण कुछ लोग 31 अक्टूबर को दिवाली मना रहे हैं, तो कुछ 1 नवंबर को दिवाली मनाने की सलाह दे रहे हैं।

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दो दिन दिवाली मनाने का तर्क

31 अक्टूबर को दिवाली मनाने का तर्क: कुछ विद्वान यह मानते हैं कि चूंकि अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर की शाम से ही शुरू हो जाती है, इसलिए दिवाली उसी दिन मनानी चाहिए। प्रदोष काल भी इसी दिन है, जो लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे उपयुक्त समय होता है।

1 नवंबर को दिवाली मनाने का तर्क कुछ ज्योतिषाचार्य और पंडित इस तर्क के साथ हैं कि अमावस्या तिथि का अधिकतर हिस्सा 1 नवंबर को रहेगा और इसी दिन सूर्योदय भी अमावस्या के साथ होगा, इसलिए उदयातिथि के आधार पर दिवाली 1 नवंबर को मनाना उचित है।

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विद्वानों के तर्क

अयोध्या, काशी, मथुरा और देवघर के ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि मां लक्ष्मी और श्रीगणेश का पूजन 31 अक्टूबर को अमावस्या के प्रदोष काल में करना सबसे उपयुक्त रहेगा। कई प्रमुख मंदिरों, जैसे कि वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर, नाथद्वारा के श्रीनाथजी मंदिर, तिरुपति देवस्थानम और द्वारकाधीश मंदिर में भी दिवाली 31 अक्टूबर को मनाने की योजना है।

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अयोध्या की दिवाली की मान्यता

अवध यानी अयोध्या की दिवाली की तिथि पूरे देश में मान्य होती है क्योंकि दिवाली का त्योहार भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। भगवान राम जब 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, तब अयोध्यावासियों ने उनकी अगवानी के लिए पूरे नगर को दीपों से सजाया था, जो दिवाली के त्योहार का प्रारंभ था। इस कारण अयोध्या की दिवाली तिथि को पूरे देश में प्राथमिकता दी जाती है।

लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त

दिवाली 2024 पर लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे उपयुक्त मुहूर्त 31 अक्टूबर को है। प्रदोष काल शाम 05:36 बजे से रात 08:11 बजे तक रहेगा। इसमें वृषभ काल शाम 06:20 बजे से रात 08:15 बजे तक रहेगा। इस समय में मां लक्ष्मी का पूजन करने से विशेष फलदायी माना जाता है।

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विशेष पूजन मुहूर्त

लक्ष्मी पूजन के लिए विशेष शुभ मुहूर्त 31 अक्टूबर की शाम 05:36 से 06:15 बजे तक का रहेगा। इस 41 मिनट की अवधि में मां लक्ष्मी, भगवान गणेश, ऋद्धि-सिद्धि और शुभ-लाभ की पूजा करना विशेष लाभकारी रहेगा।

धनतेरस 2024 की तिथि

धनतेरस इस साल 29 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन नए बर्तन, आभूषण और अन्य शुभ सामग्रियों की खरीदारी करने का विधान है। इस दिन भगवान धन्वंतरि और कुबेर की पूजा करके समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना की जाती है।

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दिवाली की धार्मिक मान्यता

दिवाली का त्योहार न केवल रोशनी का पर्व है, बल्कि यह शुभ समय पर लक्ष्मी का स्वागत करने, परिवार में सुख-समृद्धि लाने और जीवन में खुशहाली के नए अवसर लाने का प्रतीक भी है। यह त्योहार अच्छाई की बुराई पर जीत का जश्न भी है। दिवाली पर लोग अपने घरों को दीपों से सजाते हैं, लक्ष्मी-गणेश की पूजा करते हैं और अपनों के साथ खुशी मनाते हैं।

2024 में दिवाली की सही तिथि को लेकर असमंजस इस बार अमावस्या तिथि के दो दिन रहने के कारण है। विद्वानों की सलाह के अनुसार, 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन और दीपावली मनाना अधिक उपयुक्त रहेगा। हालांकि, 1 नवंबर को भी दिवाली मनाई जा सकती है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो उदयातिथि के आधार पर त्योहार मनाते हैं।
 


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Content Editor

Priya Yadav

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