अपने बड़े भाई से इतना नाराज हो गई थी लता दीदी कि 13 साल तक नहीं की थी बात

punjabkesari.in Sunday, Feb 06, 2022 - 07:35 PM (IST)

अपनी आवाज से दुनियाभर में अपनी पहचान बनाने वाली स्वर कोकिला लता मंगेश्कर आज हमेशा-हमेशा के लिए अलविदा कह गई हैं। दुनियाभर में लोग उन्हें नम आंखों से याद कर रहे हैं। करीब 7 दशकों से वह इंडस्ट्री से जुड़ी रही थी। अपनी आवाज का जादू बिखरेने वाली स्वर कोकिला ने हजारों गाने गाए । अपना पूरा जीवन ही उन्होंने संगीत को समर्पित कर दिया । हाल ही में वह कोरोना की चपेट में आ गई थी जिसके बाद लगातार वह आईसीयू में रही। आज ब्रीज कैंडी अस्पताल में आर्गन फेलियर के चलते उनका देहांत हो गया। 
आज उन्हें शिवाजी पार्क में अंतिम विदाई दी जाएगी। 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

A post shared by Nari (@nari.kesari1)

13 साल की उम्र में करियर की शुरूआत करने वाली सुरों की मल्लिका को रत्न, पद्म भूषण, पद्म विभूषण, दादा साहब फाल्के पुरस्कार और कई राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों से नवाजा जा चुकी हैं। बॉलीवुड में वह बहुत से स्टार्स के साथ अपना खास बॉन्ड शेयर करती हैं। वहीं दिवंगत लेजंड स्टार दिलीप कुमार उन्हें अपनी छोटी बहन मानते थे और उनसे राखी बंधवाते थे लेकिन एक समय ऐसा आया जब  दिलीप कुमार और लता मंगेशकर ने एक-दूसरे से बात भी करना बंद कर दी थी। वो भी 1-2 साल के लिए नहीं बल्कि दोनों ने बीच लगभग 13
सालों तक बातचीत बंद रही थी।
PunjabKesari, nari, lata mangeshkar

जब लता जी हो गई थी दिलीप कुमार से नाराज, 13 सालों तक नहीं हुई थी बात 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1957 में फिल्म 'मुसाफिर' के लिए सलिल चौधरी ने गाने 'लागी नाहीं छूटे' के लिए दिलीप कुमार को चुना, लेकिन लता मंगेशकर जो इस गाने में अपनी आवाज़ देने वाली थीं उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। जब उन्हें इस बारे में पता चला तो वो सोचने लगीं कि दिलीप गाना गा भी सकेंगे? वहीं, दिलीप कुमार गाने की प्रेक्टिस में लग गए लेकिन रिकॉर्डिंग के समय वो लता मंगेशकर के साथ गाते हुए घबरा रहे थे। इस घबराहट को दूर करने के लिए सलिल ने उन्हें ब्रांडी का एक पेग पिला दिया। इसके बाद दिलीप ने गाना तो गा दिया लेकिन आवाज सही नहीं बैठी, दिलीप कुमार की आवाज पतली और बेसुरी रिकॉर्ड हुई और लता मंगेशकर ने गाना हमेशा की तरह बेहतरीन गाया और इस रिकॉर्डिंग के बाद से ही दिलीप कुमार और लता मंगेशकर के बीच मतभेद शुरू हो गए थे। ऐसा कहा जाता है दोनों ने 13 सालों तक एक-दूसरे से ठीक से बात नहीं की थी। फिर साल 1970 में यह मतभेद खत्म हुए और लता मंगेशकर ने दोबारा फिर से दिलीप कुमार को राखी बांधना शुरू कर दिया था। इस दौरान लता मंगेशकर ने दिलीप कुमार को राखी बांधी थी, जिसके बाद दोनों की लंबी लड़ाई का अंत हुआ। इसके बाद ही लता मंगेशकर ने दिलीप कुमार को राखी बांधना शुरू किया। लता मंगेशकर, दिलीप कुमार के अलावा गायक मुकेश और संगीतकार मदन मोहन को भी राखी बांधती थीं।

PunjabKesari, nari, lata mangeshkar

दिलीप कुमार के निधन पर लता दीदी ने शेयर की थी पोस्ट 

जब दिलीप कुमार का देहांत हुआ तो लता मंगेशकर ने अपने सोशल अकाउंट में उन्हें राखी बांधते की एक पोस्ट शेयर की और लिखा था- यूसुफ़ भाई आज अपनी छोटी सी बहन को छोड़के चले गए.. यूसुफ़ भाई क्या गए, एक युग का अंत हो गया. मुझे कुछ सूझ नहीं रहा. मैं बहुत दुखी हूँ, नि:शब्द हूँ.कई बातें कई यादें हमें देके चले गए. यूसुफ़ भाई पिछले कई सालों से बिमार थे, किसीको पहचान नहीं पाते थे ऐसे वक़्त सायरा भाभी ने सब छोड़कर उनकी दिन रात सेवा की है उनके लिए दूसरा कुछ जीवन नहीं था. ऐसी औरत को मैं प्रणाम करती हूँ और यूसुफ़ भाई कीं आत्मा को शान्ति मिले ये दुआ करती हूँ।

दुनिया को अलविदा कह गई स्वर कोकिला 

लेकिन आज वह खुद इस संसार से हमेशा के लिए अलविदा कह गई हैं। बॉलीवुड की स्वर कोकिला लता मंगेशकर कोविड की चपेट में आ गई थी। इसी के चलते उन्हें ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उनकी भतीजी रचना ने उनकी हालत के बारे में अपडेट देते हुए कहा कि आईसीयू में एडमिट सिंगर अब ठीक है। हालांकि जानकारी के मुताबिक, 92 वर्षीय लता मंगेशकर को उम्र के कारण भी कई अन्य समस्याएं हैं जिसके चलते डॉक्टर उनका खास ख्याल रख रहे हैं। वहीं डॉक्टर के अनुसार,वह माइल्ड कोविड-19 पॉजिटिव हैं और निमोनिया की भी शिकायत है। डॉक्टरों ने उन्हें आईसीयू में रखने में सलाह दी क्योंकि उन्हें लगातार देखभाल की जरूरत है लेकिन कुछ दिनों बाद फिर से उनकी तबीयत बिगड़ गई और उन्होंने आज सुबह अंतिम सांसें ली। उनके निधन की घर सुनते ही पूरे देश में शौक की लहर है। सुरों की मल्लिका लता मंगेश्कर ने अपनी सुरीली आवाज से हर पीढ़ी पर राज किया। उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा गया। इसके अलावा उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण और दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। उनकी निधन के चलते दो दिन का राष्ट्रीय शौक घोषित किया गया है। 


अपनी आवाज से पहचान वाली स्वर कोकिला जैसी ना कोई थी ना कोई होगी। भगवान उनकी आत्मा को शांति दें।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Vandana

Related News

static