डायरिया के बाद लकवा मार सकता है! GBS सिंड्रोम के मामले बढ़े, 200 मरीज पहुंचे अस्पताल

punjabkesari.in Tuesday, Apr 15, 2025 - 05:07 PM (IST)

नारी डेस्क: जोधपुर में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में पिछले तीन महीनों में अचानक वृद्धि देखने को मिली है। डायरिया और वायरल संक्रमण के बाद यह खतरनाक न्यूरोलॉजिकल बीमारी शरीर के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है, जिससे लकवे जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। एमडीएम अस्पताल में पिछले तीन महीने में 200 से अधिक मरीजों को इस बीमारी का शिकार पाया गया है, जिससे अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के बीच चिंता बढ़ गई है।

क्या है जीबीएस सिंड्रोम?

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचाती है। यह बीमारी आमतौर पर डायरिया, वायरल संक्रमण या अन्य सामान्य संक्रमणों के बाद उत्पन्न होती है। मरीज के शरीर की मांसपेशियां प्रभावित होने लगती हैं और समय पर इलाज न मिलने पर यह स्थिति लकवे का कारण बन सकती है।

मरीजों की संख्या में अचानक वृद्धि

एमडीएम अस्पताल में जीबीएस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। पहले जहां अस्पताल में एक-दो मामले आते थे, वहीं अब हर हफ्ते 15 से 20 मामले सामने आने लगे हैं। इस बढ़ती संख्या को देखकर अस्पताल प्रशासन ने इस बीमारी के कारणों का पता लगाने और इसके फैलाव के स्तर को समझने के लिए एक शोध शुरू करने का निर्णय लिया है। इसके लिए अस्पताल के डाटा को इकट्ठा किया जाएगा, ताकि यह पता चल सके कि यह बीमारी सिर्फ जोधपुर में ही है या फिर पश्चिमी राजस्थान के अन्य हिस्सों में भी फैल रही है।

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महंगे इलाज का सामना

जीबीएस सिंड्रोम का इलाज महंगे इंजेक्शनों से किया जाता है, जिनकी कीमत ₹80,000 से ₹1,00,000 तक हो सकती है। हालांकि, फिलहाल ये इंजेक्शन सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क उपलब्ध हैं, लेकिन मरीजों की बढ़ती संख्या के कारण इनकी आपूर्ति में कमी का खतरा उत्पन्न हो सकता है।

खतरे को समझने की आवश्यकता

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जीबीएस सिंड्रोम के मामलों में वृद्धि का कारण जल स्रोतों में बैक्टीरिया या वायरस का संदूषण हो सकता है। ऐसे में अस्पताल प्रशासन ने जल आपूर्ति स्रोतों की जांच करने और संदूषण की संभावना को समझने का निर्णय लिया है।

समय पर इलाज से बच सकते हैं गंभीर परिणाम

विशेषज्ञों का कहना है कि जीबीएस सिंड्रोम से बचाव और इसके प्रभाव को कम करने के लिए समय पर उपचार आवश्यक है। यदि इस बीमारी के लक्षणों जैसे डायरिया, वायरल संक्रमण या तंत्रिका तंत्र से संबंधित समस्या का इलाज जल्दी किया जाए, तो गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है।

जोधपुर में जीबीएस सिंड्रोम के मामलों में बढ़ोतरी को लेकर स्वास्थ्य विभाग चिंतित है। अस्पताल प्रशासन ने बीमारी के फैलाव की जांच शुरू कर दी है और इस पर नियंत्रण पाने के लिए जरूरी कदम उठाने की योजना बनाई है। डॉक्टरों ने मरीजों से अपील की है कि वे लक्षण महसूस होते ही तुरंत इलाज करवाएं।
 

  


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Content Editor

Priya Yadav

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