ब्लड शुगर बढ़ने से आ सकती हैं पैरों में ये परेशानियां, लक्षण दिखने पर न करें Ignore

punjabkesari.in Tuesday, Aug 16, 2022 - 02:48 PM (IST)

आजकल के खराब लाइफस्टाइल के कारण डायबिटीज एक बहुत बड़ा खतरा बनी हुई है। इस बीमारी के कारण शरीर में पूरी मात्रा में इंसुलिन नहीं बन पाता। शरीर में इंसुलिन की कमी के कारण कोशिकाएं भी प्रतिक्रिया देना बंद कर देती हैं। जिसके कारण आपको पैरों में भी समस्या हो सकती है। डायबिटीज दो तरह की टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज। टाइप-1 डायबिटीज वह डायबिटीज है जिसमें पैनक्रियाज में इंसुलिन का बिल्कुल भी उत्पादन नहीं हो पाता। वहीं दूसरी ओर अगर बात टाइप-2 डायबिटीज की करें तो इसमें पैनक्रियाज काफी मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन करता है। इसके अलावा एक और डायबिटीज भी होती है जिसे जेशटेशनल डायबिटीज कहते हैं। यह डायबिटीज महिलाओं को गर्भावस्था में होती है। लेकिन इन सारी तरह की डायबिटीज में एक मुख्य बात है कि तीनों प्रकार में ही रक्त में ग्लूकोज की मात्रा ज्यादा हो जाती है। डायबिटीज के कारण आपको पैरों की समस्या भी हो सकती है। तो चलिए आपको बताते हैं कि इसके बारे में...

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दो तरह की समस्या हो सकती है पैरों में 

डायबिटीज के कारण व्यक्ति को पैरों में दो तरह से समस्या हो सकती है। एक डायबिटीक न्यूरोपैथी और दूसरी पेरीफेरल वस्कुलर डिजीज (जिसे पेरिफेरल धमनी रोग भी कहते हैं)। डायबिटीक न्यूरोपैथी डायबिटीज में असुंतलित डायबिटीज आपकी नसों को प्रभावित करती हैं। इसके कारण आपकी नसों को नुकसान भी हो सकता है। इसके अलावा पेरीफेरल वस्कुलर डिजीज में आपका रक्त संचार प्रभावित होता है। इस डायबिटीज के कारण आपके पैरों में कुछ ऐसे लक्षण नजर आ सकते हैं। 

पैरों में दर्द और सुन्न हो जाना 

डायबिटीक न्यूरोपैथी एक तरह का नर्व डैमेज होता है। यह नर्व डैमेज डायबिटीक मरीजों को होता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, इस डायबिटीज के कारण मरीज की टांगों और पैरों की नसें डैमेज हो जाते हैं। जिसके कारण टांगों, पैरों और हाथों में दर्द और सुन्न जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं। इसके अलावा डायबिटीक न्यूरोपैथी के कारण डाइजेस्टिव सिस, यूरिनेरी ट्रैक्ट, रक्त कोशिकाओं और हृदय संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं। इस डायबिटीज के कुछ लोगों में हल्के तो कुछ में बहुत ही दर्दनाक नजर आते हैं। 

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 पैरों में घाव होना

स्किन में दरार पड़ने या घाव होने के ही अल्सर कहते हैं। डायबिटीक फुच अल्सर में पैरों पर एक घाव होता है। कम से कम 15 फीसदी डायबिटीक मरीजों को इस समस्या का अल्सर का शिकार होना पड़ता है। यह अल्सर मुख्य रुप से पैरों के तलवे में होता है। कई मामलों में फूट अल्सर के कारण त्वचा भी खराब हो सकती है। लेकिन यदि समस्या ज्यादा बढ़ रही है तो शरीर के उस हिस्से को काटने की भी जरुरत पड़ सकती है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, इस समस्या से बचने के लिए डायबिटीज के खतरे को कम करने की आवश्यकता है। 

एथलीट फूट

डायबिटीज के कारण डैमेज हो जाती हैं जिससे एथलीट फूट जैसी समस्या समस्या बढ़ सकती है। एथलीट फूट एक तरह की फंगल इंफेक्शन होती है। इस समस्या में पैरों में खुजली, रेडनेस और दरार जैसी परेशानियां आ सकती हैं। यह समस्या दोनों पैरों या फिर एक को भी प्रभावित कर सकती है। 

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गैंग्रीन 

डायबिटीज की समस्या रक्त कोशिकाओं को भी प्रभावित करती है। इसके कारण उंगलियों और पैरों तक रक्त और ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो जाती है। गैंग्रीन की समस्या खासकर तब होती है जब रक्त का प्रवाह बिल्कुल भी नहीं हो पाता और टीशू भी खत्म हो जाते हैं। इसके कारण शरीर के उस हिस्से को काटने की आशंका भी काफी हद तक बढ़ जाती है। 

पैरों के नाखून में फंग्ल इंफेक्शन होना

डायबिटीक मरीजों को नाखूनों में फंगल इंफेकशन होने का खतरा भी बढ़ जाता है। पैरों के फंग्ल इंफेक्शन को ऑनिकोमाइकोसिस कहते हैं। यह समस्या ज्यादातर पैरों के अंगूठे को प्रभावित करती है। इसके कारण नाखून का रंग भी बदल सकता है, नाखून मोटे भी हो सकते हैं। कई मरीजों के नाखून अपने आप भी टूट सकते हैं। नाखून में चोट लगने के कारण भी फंगल इंफेक्शन हो सकता है।  

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पैरों में गांठ बनना 

डायबिटीज के कारण आपके पैरों में गांठे भी बन सकती है। यह समस्या तब होती है जब त्वचा पर बहुत दबाव या रगड़ पड़े। इसके कारण त्वचा सख्त और मोटी भी हो सकती है। 


 


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palak

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