डायबिटीज मरीज की आंखों की रोशनी छीन सकते हैं ये 4 लक्षण, लापरवाही बिलकुल ना बरतें !

punjabkesari.in Friday, Nov 14, 2025 - 03:33 PM (IST)

 नारी डेस्क: डायबिटीज सिर्फ ब्लड शुगर बढ़ाने वाली बीमारी नहीं है, बल्कि यह धीरे-धीरे शरीर के लगभग हर अंग को नुकसान पहुंचा सकती है  खासकर किडनी, हृदय और आंखें। अगर इसे समय रहते कंट्रोल न किया जाए, तो यह रेटिना (Retina) को प्रभावित कर दृष्टि हानि (Vision Loss) का कारण भी बन सकती है। नई दिल्ली स्थित विजन आई क्लिनिक और आई7 हॉस्पिटल के सीनियर रेटिना सर्जन डॉ. पवन गुप्ता बताते हैं कि हाई ब्लड शुगर के कारण आंख की नसें कमजोर हो जाती हैं और धीरे-धीरे उनमें ब्लीडिंग शुरू हो सकती है। इस स्थिति को डायबिटिक रेटिनोपैथी (Diabetic Retinopathy) कहा जाता है।

 डायबिटीज और आंखों के बीच क्या संबंध है?

जब ब्लड शुगर लंबे समय तक बढ़ा रहता है, तो वह आंखों की छोटी-छोटी रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। इससे आंखों में सूजन, ब्लीडिंग और नजर धुंधली होने जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। अगर इस स्थिति को अनदेखा किया जाए, तो धीरे-धीरे रेटिना की नसें फट सकती हैं, जिससे स्थायी दृष्टि हानि (Permanent Vision Loss) हो सकती है।

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 शुरुआती लक्षण जो नहीं करने चाहिए इग्नोर

डायबिटीज से आंखों में आने वाले शुरुआती संकेत अक्सर बहुत सामान्य लगते हैं, इसलिए लोग इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन यही लक्षण आगे चलकर खतरे का कारण बनते हैं।

इन लक्षणों पर जरूर ध्यान दें 

नजर धुंधली होना या धुंधलापन बढ़ना

आंखों के सामने काले धब्बे या तैरते हुए धागे दिखना

रात में देखने में परेशानी होना

रंगों को पहचानने में दिक्कत होना

अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो, तो तुरंत रेटिना स्पेशलिस्ट से संपर्क करें।

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आंखों में बदलाव क्यों आता है?

 अचानक नजर में बदलाव अक्सर रेटिनल ब्लीडिंग (Retinal Bleeding) की वजह से होता है। इसमें आंख की सूक्ष्म नसें फट जाती हैं और उनमें से खून या फ्लूइड लीक होने लगता है। इसे पहचानने के लिए रेटिना एग्जामिनेशन (Retinal Examination) सबसे बेहतर तरीका है।
हर साल एक बार रेटिना की जांच जरूर करवानी चाहिए, ताकि बीमारी को शुरुआती स्टेज में ही पकड़ा जा सके।

आंख में दिखने वाला पहला क्लीनिकल संकेत

डायबिटीज के कारण आंख की जांच में सबसे पहले जो बदलाव दिखता है, उसे माइक्रोएन्यूरिज्म (Microaneurysm) कहते हैं। इसमें रेटिना की छोटी रक्त वाहिकाओं में उभार या फुलाव आने लगता है, जो अंगूर जैसी छोटी गांठों के रूप में दिख सकता है। इनसे फ्लूइड लीक होने लगता है और धीरे-धीरे मैक्यूलर एडीमा (Macular Edema) बन जाता है, जिससे नजर कमजोर होने लगती है।

 रेटिनल हैमरेज – सबसे गंभीर संकेत

रेटिनल हैमरेज में आंख की नसों में खून का रिसाव होने लगता है। जांच के दौरान आंख के अंदर सूती ऊन जैसे धब्बे (Cotton Wool Spots) दिखाई देते हैं। यह स्थिति डायबिटिक रेटिनोपैथी के बढ़ने का संकेत है और यह बताती है कि आंखों को गंभीर नुकसान हो चुका है या होने वाला है।

 रेटिना की रेगुलर जांच क्यों जरूरी है

डायबिटीज होने के बाद सबसे जरूरी है रेगुलर आई स्क्रीनिंग करवाना। इससे डॉक्टर को रेटिना की सही स्थिति का अंदाजा हो जाता है और समय रहते इलाज शुरू किया जा सकता है। रेटिना की जांच के लिए ये टेस्ट किए जाते हैं 

फंडस फोटोग्राफी (Fundus Photography) – आंख के अंदर की तस्वीर लेने के लिए

OCT (Optical Coherence Tomography) – रेटिना की परतों की जांच के लिए

फ्लुओरेसिन एंजियोग्राफी (Fluorescein Angiography) – रक्त प्रवाह और लीक की जांच के लिए

 डायबिटीज का पता चलते ही रेटिना की जांच जरूर करवाएं, भले ही लक्षण न दिखें।

 क्या करें और क्या न करें

ब्लड शुगर को नियमित रूप से मॉनिटर करें।

संतुलित डाइट लें और मीठा सीमित करें।

हर साल आंखों की जांच करवाएं।

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आंखों में कोई भी बदलाव दिखे तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।

धूम्रपान और शराब से दूर रहें।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए हमेशा अपने डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श करें।  


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Content Editor

Priya Yadav

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