“महाभारत का अनसुना सच: धृतराष्ट्र जन्म से अंधे क्यों थे और उनके सौ पुत्र क्यों मारे गए

punjabkesari.in Thursday, Nov 27, 2025 - 04:49 PM (IST)

नारी डेस्क: महाभारत में कई घटनाओं के पीछे कर्म का गहरा संबंध दिखता है। कुछ कर्म ऐसे होते हैं जिनका फल तुरंत नहीं मिलता, बल्कि समय आने पर उन्हें फलस्वरूप देखा जाता है। इन्हें संचित कर्म कहा जाता है। उदाहरण के लिए, किसी परीक्षा में आपकी मेहनत का फल तुरंत नहीं मिलता, लेकिन परिणाम आने पर मेहनत का फल दिखाई देता है। इसी प्रकार, जीवन में किए गए अच्छे या बुरे कर्म लंबे समय तक संचित रहते हैं और उचित समय आने पर फल देते हैं।

संचित कर्म पिछली जिंदगियों में किए गए कर्मों का परिणाम होते हैं। उनका असर न केवल वर्तमान जीवन पर, बल्कि भविष्य की घटनाओं पर भी पड़ता है। यही कारण है कि कई बार किसी व्यक्ति के साथ ऐसी घटनाएँ घटती हैं जिन्हें हम केवल वर्तमान जीवन से जोड़कर नहीं समझ सकते।

धृतराष्ट्र का जन्म और उनके संचित कर्म

महाभारत में राजा धृतराष्ट्र जन्म से ही अंधे थे और उनके सौ पुत्र एक साथ मृत्यु को प्राप्त हुए। यह घटना उनके संचित कर्मों से जुड़ी हुई थी। जब धृतराष्ट्र ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा कि उनके जीवन में ऐसा कौन सा पाप हुआ जिससे उनके सौ पुत्र मारे गए और वे जन्म से अंधे थे, तो श्रीकृष्ण ने उन्हें दिव्य दृष्टि प्रदान की। धृतराष्ट्र ने देखा कि उनके पिछले जन्मों में किए गए कर्म ही वर्तमान जीवन में उनके लिए परिणाम लेकर आए। यह दृष्टि उन्हें उनके पचास जन्म पहले किए गए कर्मों को समझने में मदद करती है।

पिछले जन्म का रहस्य

दिव्य दृष्टि से पता चला कि धृतराष्ट्र पचास जन्म पहले एक बहेलिया थे। वह पेड़ पर बैठे पक्षियों को पकड़ने के लिए सुलगता हुआ जाल फेंकते थे। इस जाल की वजह से कुछ पक्षी उड़कर बच गए, जबकि कुछ पक्षी अंधे हो गए और बाकी सौ नन्हे पक्षी जलकर मारे गए। यह कर्म उनके संचित कर्मों में जमा हो गया। यह दिखाता है कि कर्म का फल तुरंत नहीं मिलता, बल्कि संचित रहकर समय आने पर फल देता है।

सौ पुत्रों का जन्म और संचित कर्म का फल

धृतराष्ट्र ने अपने वर्तमान जीवन में कई पुण्य किए, जिसके फलस्वरूप उन्हें सौ पुत्र प्राप्त हुए। लेकिन संचित कर्म का समय आया और उनके पिछले जन्मों के कर्म तुरंत फल देने लगे। जन्म से ही धृतराष्ट्र अंधे थे। उनके सभी सौ पुत्र एक साथ मृत्यु को प्राप्त हुए। यह दर्शाता है कि संचित कर्मों का हिसाब समय आने पर बिना विलंब चुकाया जाता है। पचास जन्म पुराने कर्मों ने उनके इस जीवन में तुरंत प्रभाव दिखाया।

कर्म और ज्योतिष का महत्व

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि हमारे कर्म केवल वर्तमान जीवन में ही नहीं, बल्कि भविष्य और अगले जन्मों में भी फल देते हैं। संचित कर्म कभी तुरंत फल देते हैं, कभी देर से, लेकिन अंततः अपने अनुसार फल अवश्य देते हैं। ज्योतिष शास्त्र भी इसी सिद्धांत पर आधारित है। यह हमारे पिछले जन्मों के कर्मों का लेखा-जोखा बताता है और वर्तमान तथा भविष्य की घटनाओं की व्याख्या करता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि हमारे वर्तमान जीवन की परिस्थितियाँ अक्सर हमारे पुराने कर्मों का परिणाम होती हैं।

धृतराष्ट्र का जन्म से अंधा होना और उनके सौ पुत्रों की मृत्यु केवल इस जन्म के कारण नहीं थी, बल्कि उनके पिछले जन्मों के संचित कर्मों का परिणाम था। यह कहानी हमें यह समझाती है कि हमारे किए गए कर्म लंबे समय तक संचित रहते हैं और उचित समय आने पर फल देकर न्यायसंगत परिणाम सुनिश्चित करते हैं।  


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Content Editor

Priya Yadav

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