धन के देवता कुबेर का वाहन इंसान क्यों है? जानिए इसकी पौराणिक कथा
punjabkesari.in Monday, Sep 22, 2025 - 05:33 PM (IST)

नारी डेस्क : हिंदू धर्म में हर देवी-देवता के वाहन का अपना महत्व होता है। ये वाहन उनके गुण, कर्तव्य और शक्ति का प्रतीक माने जाते हैं। जैसे शिव जी का वाहन नंदी बैल है जो धैर्य और शक्ति का प्रतीक है, विष्णु जी का वाहन गरुड़ है जो साहस और गति का प्रतीक है। लेकिन धन के देवता कुबेर जी का वाहन सबसे अलग है। उनका वाहन कोई पशु-पक्षी नहीं बल्कि मनुष्य है।
कुबेर कौन हैं?
पुराणों के अनुसार कुबेर जी धन, ऐश्वर्य और समृद्धि के देवता हैं। उन्हें यक्षों का राजा और देवताओं का कोषाध्यक्ष (धनाध्यक्ष) माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति मेहनत और ईमानदारी से कमाई करता है, उस पर कुबेर जी की कृपा होती है।
कुबेर का वाहन मनुष्य क्यों है?
मनुष्य ही वह प्राणी है जो धन का सृजन, संचय और उपयोग कर सकता है। चाहे देवता हों, असुर हों या अन्य जीव सभी को धन का वास्तविक प्रयोग करने के लिए मनुष्य की आवश्यकता होती है। इसलिए कुबेर जी का वाहन मनुष्य होना इस बात का प्रतीक है कि धन का स्वामी और उसका नियंत्रक मनुष्य ही है। पैसा तभी सार्थक है जब उसे सही दिशा में, सही कार्यों के लिए खर्च किया जाए।
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पौराणिक कथा
पुराणों के अनुसार, जब भगवान शिव ने कुबेर जी को धन का स्वामी और खजानों का रक्षक बनाया, तब सभी देवी-देवताओं को उनके-अपने वाहन दिए गए। इंद्र को ऐरावत हाथी, विष्णु को गरुड़ और कार्तिकेय को मोर वाहन के रूप में मिले। लेकिन जब कुबेर जी के वाहन का चयन करना था, तो देवताओं के बीच विचार-विमर्श हुआ। कुछ ने सुझाव दिया कि घोड़ा या हाथी उनके वाहन होने चाहिए क्योंकि ये ऐश्वर्य और वैभव के प्रतीक हैं। तब ब्रह्माजी ने समझाया कि धन का वास्तविक स्वामी और उसका उपयोगकर्ता मनुष्य ही है। इसलिए कुबेर जी का वाहन मनुष्य होना सबसे उचित है।
आध्यात्मिक संदेश
कुबेर का वाहन मनुष्य होना एक गहरा आध्यात्मिक संदेश देता है। यह सिखाता है कि धन का सही उपयोग धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चार पुरुषार्थों के मार्ग पर होना चाहिए। यदि मनुष्य धन का दुरुपयोग करेगा तो यही धन उसके पतन का कारण बन सकता है। कुछ लोक कथाओं में कुबेर के वाहन के रूप में नेवला या पुष्पक विमान का भी उल्लेख मिलता है। लेकिन धार्मिक शास्त्रों में मनुष्य को ही उनका मुख्य वाहन माना गया है।