चौंकाने वाली सच्चाई: सिगरेट नहीं पी, फिर भी फेफड़े खा गया कैंसर! दिल्ली में हर सांस मानो धीमा जहर

punjabkesari.in Tuesday, Dec 02, 2025 - 12:05 PM (IST)

 नारी डेस्क: दिल्ली में हवा लगातार जहरीली होती जा रही है और इसका असर अब ऐसे लोगों पर भी दिखने लगा है जो न तो सिगरेट पीते हैं और न ही किसी जेनेटिक बीमारी से जुड़े होते हैं। राजधानी के बढ़ते प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार से ठोस प्लान मांगा है। इसी बीच सामने आई एक चौंकाने वाली मेडिकल रिपोर्ट ने सबको हैरान कर दिया है नीति आयोग में काम करने वाली 35 वर्षीय ब्यूरोक्रैट को फेफड़े का चौथे स्टेज का कैंसर हो गया। खास बात यह है कि वह कभी भी स्मोकिंग नहीं करती थीं और उनके परिवार में भी किसी को ऐसा कैंसर नहीं था। विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला शायद दिल्ली के प्रदूषण से जुड़ा है, जो बिना स्मोकिंग करने वालों के फेफड़ों को भी तेजी से नुकसान पहुंचा रहा है।

प्रदूषण बढ़ते ही डॉक्टरों की ओपीडी भरने लगती है

 जैसे ही दिल्ली की हवा खराब होती है, उनकी ओपीडी में खांसी-जुकाम और सांस से जुड़ी समस्याओं वाले मरीजों की संख्या अचानक बढ़ जाती है। प्रदूषण के कारण होने वाली खांसी आमतौर पर सूखी और कई हफ्तों तक चलने वाली होती है, जिससे मरीजों को काफी परेशानी होती है। खासकर जो मरीज पहले से दमा या फेफड़ों की किसी बीमारी से जूझ रहे होते हैं, उनके लिए यह मौसम बेहद मुश्किल भरा हो जाता है। इस समय ओपीडी लगभग पूरी तरह फुल चलती है और डॉक्टरों का कहना है कि यह हालात हर साल दिल्लीवालों को झेलने पड़ते हैं।

पहली बार सांस की दिक्कत झेल रहे लोग भी बन रहे ‘नए दमा मरीज’

विशेषज्ञों ने एक और डराने वाली बात बताई ऐसे मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं जिन्हें पहले कभी सांस की दिक्कत नहीं हुई, लेकिन अब अचानक खांसी, जुकाम और सांस लेने में परेशानी महसूस हो रही है। प्रदूषण के कारण नाक बंद होना, आंखों में जलन, लगातार पानी बहना और यहां तक कि नाक से खून निकलना भी देखने को मिल रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि लगातार प्रदूषण के संपर्क में रहने से लोग पहली बार अस्थमा के शिकार बन रहे हैं, और यह आने वाले सालों में एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बन सकता है।

सिगरेट न पीने वालों में भी फेफड़े का कैंसर बढ़ रहा  वजह बेहद चौंकाने वाली

पिछले कुछ वर्षों में सबसे बड़ा डरावना बदलाव यह देखने को मिला है कि गैर-स्मोकर्स में भी फेफड़े का कैंसर तेजी से बढ़ रहा है। पहले यह बीमारी आमतौर पर स्मोकिंग या जेनेटिक फैक्टर से जुड़ी मानी जाती थी, लेकिन अब 25 से 35 साल के युवा, जो न स्मोकिंग करते हैं और न परिवार में कोई इतिहास है, वे भी इस गंभीर बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। प्रदूषण इसका एक बड़ा कारण हो सकता है, लेकिन डॉक्टर कहते हैं कि अन्य कारणों की भी गहराई से जांच जरूरी है, क्योंकि कैंसर के मामलों में इतनी तेजी पहले कभी नहीं देखी गई।

कैसे रखें प्रदूषण के बीच अपना ध्यान? डॉक्टर की जरूरी सलाह

प्रदूषण से बचने के लिए कुछ खास सावधानियां बेहद जरूरी हैं। सबसे पहले कोशिश करें कि प्रदूषण वाले दिनों में कम से कम घर से बाहर निकलें। घर में एयर प्यूरीफायर लगाएं ताकि अंदर की हवा साफ रह सके। दिनभर पर्याप्त पानी पीएं और पौष्टिक भोजन लें ताकि शरीर की इम्युनिटी बेहतर रहे। बाहर निकलते समय अच्छी क्वालिटी का मास्क (N95 या N99) जरूर पहनें। और अगर सांस में तकलीफ, लगातार खांसी या सीने में भारीपन महसूस हो तो देरी न करें और तुरंत डॉक्टर से जांच करवाएं।  


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Content Editor

Priya Yadav

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