CPCB Report: महाकुंभ के दौरान प्रदूषण से मैली हुई गंगा, नहाने योग्य नहीं बचा संगम का पानी

punjabkesari.in Tuesday, Feb 18, 2025 - 09:09 AM (IST)

नारी डेस्क: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की एक रिपोर्ट के माध्यम से सोमवार को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को सूचित किया गया कि प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान विभिन्न स्थानों पर अपशिष्ट जल का स्तर स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता के अनुरूप नहीं है। सीपीसीबी के अनुसार, अपशिष्ट जल संदूषण के सूचक ‘फेकल कोलीफॉर्म' की स्वीकार्य सीमा 2,500 यूनिट प्रति 100 एमएल है। 

PunjabKesari

लाखों लोग करते हैं नदी में स्नान

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों में अपशिष्ट जल के बहाव को रोकने के मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी। रिपोर्ट में कहा गया- ‘‘नदी के पानी की गुणवत्ता विभिन्न अवसरों पर सभी निगरानी स्थानों पर अपशिष्ट जल ‘फेकल कोलीफॉर्म' के संबंध में स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता के अनुरूप नहीं थी। प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान बड़ी संख्या में लोग नदी में स्नान करते हैं, जिसमें अपशिष्ट जल की सांद्रता में वृद्धि होती है।'' 

PunjabKesari

फेकल कोलीफॉर्म क्या है?

फेकल कोलीफॉर्म ऐसे बैक्टीरिया का समूह होता है, जो मुख्य रूप से मानव और पशु मल (फेक) में पाए जाते हैं। इन्हें जल स्रोतों में संदूषण का सूचक माना जाता है। जब गंगा या अन्य नदियों में फेकल कोलीफॉर्म्स की उपस्थिति पाई जाती है, तो यह दर्शाता है कि पानी में मानव या पशु के पाचन तंत्र से निकले अवशेष मौजूद हैं। यह पानी पीने, स्नान करने, या कृषि तथा अन्य उपयोगों के लिए असुरक्षित हो सकता है।

PunjabKesari

स्वास्थ्य जोखिम

  यदि गंगा के पानी में फेकल कोलीफॉर्म्स की मात्रा अधिक होती है, तो इससे विभिन्न जलजनित रोग, जैसे कि दस्त, हैजा, और अन्य संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है। गंगा और अन्य जल स्रोतों की गुणवत्ता सुधारने के लिए सरकारें और पर्यावरणीय संगठन प्रयासरत हैं, ताकि पानी को साफ और सुरक्षित बनाया जा सके।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

vasudha

Related News

static