Screen Time में कैद हो रहा बच्चों का बचपन, पेरेंट्स जान लें इसके नुकसान
punjabkesari.in Wednesday, Jun 19, 2024 - 02:23 PM (IST)
नारी डेस्क: आज के समय में फोन,लैपटॉप या कंप्यूटर से दूर रहना कोई आसान बात नहीं है। इन सब से तो आज कल के बच्चे भी बच नहीं पाएं हैं। देखा गया है कि आज कल के बच्चे बहुत फ़ोन, टीवी या कंप्यूटर जैसी चीजें देखने लगे हैं, जिससे उनकी सेहत को बेहद नुकसान हो रहा है। दरअसल, सभी चीजों की स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट के कारण शरीर को कई तरह के नुकसान होते हैं। आज ज्यादातर परेंट्स की यही शिकायत रहती है कि उनके बच्चे घंटों मोबाइल या टीवी के आगे बैठे रहते हैं। जिसकी वजह से ना सिर्फ उनका दोस्तों के साथ बाहर खेलना बंद हो गया है बल्कि वो कई तरह की शारीरिक समस्याओं का भी सामना करने लगे हैं। ऐसे में चलिए हम आपको बताते हैं बच्चों का ज्यादा स्क्रीन पर समय बिताने से किस तरह के नुकसान हो सकते है।-
क्या होता है स्क्रीन टाइम?
स्क्रीन टाइम का मतलब होता है कि आपका बच्चा 24 घंटे में कितनी देर तक मोबाइल, टीवी, लैपटॉप और टैबलेट जैसे गैजेट का इस्तेमाल करता है। उम्र के अनुसार स्क्रीन टाइम यूज करने के लिए उम्र के अनुसार एक निश्चित समय सीमा होती है और उसी के हिसाब से ही हमें अपने बच्चों को स्क्रीन पर समय बिताने देना चाहिए।
कितना होना चाहिए बच्चों का स्क्रीन टाइम
कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार कहा गया है कि 2 साल से छोटे बच्चों को स्क्रीन टाइम से दूर ही रखना चाहिए। 2-5 साल तक के बच्चे को एक घंटे से ज्यादा स्क्रीन न देखने दें। लेकिन 5 साल से बड़ी उम्र के बच्चों के लिए स्किन टाइम देखने के लिए कोई निश्चित गाइडलाइंस नहीं बनाई है। लेकिन आप इस उम्र के बच्चों के लिए यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर सकते हैं कि उनकी शारीरिक गतिविधि, पर्याप्त नींद, स्कूल के काम के लिए समय, भोजन और परिवार के समय जैसी अन्य गतिविधियों के साथ स्क्रीन समय को संतुलित किया जा सके।
ज्यादा स्किन टाइम से होने वाले नुकसान-
वर्चुअल ऑटिज्म-
वर्चुअल ऑटिज्म का मतलब होता है कि भले ही आपके बच्चे में स्वाभाविक रूप से ऑटिज्म के लक्षण ना हो लेकिन स्क्रीन के अधिक संपर्क में रहने से उसमें ऑटिज्म के लक्षण विकसित हो सकते हैं।
भविष्य में डिप्रेशन और एंग्जायटी-
बच्चे जितनी छोटी उम्र में स्क्रीन टाइम के संपर्क में आते हैं उतना ही जल्दी भविष्य में उनमें डिप्रेशन और एंग्जायटी के लक्षण देखे जा सकते हैं। इसलिए जितना हो सके बच्चों को स्क्रीन न दें या फिर बताये गए सही समय के लिए ही उन्हें देखने दें।