भारत में 5 से 9 साल के बच्चों में बढ़ रही ये खतरनाक बीमारी, New Born के लिए है जानलेवा

punjabkesari.in Friday, Sep 26, 2025 - 05:09 PM (IST)

नारी डेस्क: हाल ही में स्वास्थ्य शोधों में पाया गया है कि 5 से 9 वर्ष के हर तीसरे बच्चे में हाई ट्राइग्लिसराइड (High Triglycerides) का खतरा मौजूद है। ट्राइग्लिसराइड्स एक तरह का फैट (चर्बी) होता है जो खून में पाया जाता है। जब यह स्तर बढ़ जाता है, तो यह दिल और ब्लड वेसल्स की समस्याओं का कारण बन सकता है।  जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्य इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। यह जानकारी एक सरकारी रिपोर्ट में दी गई है।


ये राज्य के बच्चों को ज्यादा खतरा

अनुमान है कि पश्चिम बंगाल में 67 प्रतिशत से अधिक, सिक्किम में 64 प्रतिशत, नगालैंड में 55 प्रतिशत, असम में 57 प्रतिशत और जम्मू-कश्मीर में 50 प्रतिशत बच्चों में ‘हाई ट्राइग्लिसराइड' की समस्या हो सकती है। ‘हाई ट्राइग्लिसराइड' खून में मौजूद वसा का एक प्रकार है। यह शरीर की ऊर्जा के लिए आवश्यक होता है, लेकिन जब इसका स्तर बहुत अधिक हो जाता है, तो हृदय रोग, मधुमेह और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ा सकता है। केरल और महाराष्ट्र उन राज्यों में शामिल हैं, जहां यह समस्या सबसे कम पाई गई है। केरल में 16.6 प्रतिशत और महाराष्ट्र में 19.1 प्रतिशत बच्चों में ही ‘हाई ट्राइग्लिसराइड' की समस्या पाई गई है।


शिशुओं के शुरुआती 29 दिन भारी 

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने 25 सितंबर को चंडीगढ़ में केंद्रीय एवं राज्य सांख्यिकी संगठनों के 29वें सम्मेलन के दौरान ‘भारत में बच्चे 2025' का चौथा संस्करण जारी किया। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि यह रिपोर्ट “देश में बच्चों की भलाई का एक व्यापक और विस्तृत विश्लेषण प्रदान करती है।” रिपोर्ट के लिए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-21 और व्यापक राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण 2016-18 जैसे सरकारी मंत्रालयों और विभागों के माध्यम से एकत्रित आंकड़ों को संकलित किया गया है। नवजात शिशुओं में शुरुआती 29 दिनों में मृत्यु का सबसे आम कारण समय से पूर्व जन्म और जन्म के समय कम वजन पाया गया, जिसका राष्ट्रीय स्तर पर अनुमानित प्रतिशत 48 है। 


हाई ट्राइग्लिसराइड के कारण

-ज्यादा तैलीय, जंक फूड, पैक्ड स्नैक्स और शुगर वाली चीजें बच्चों में ट्राइग्लिसराइड बढ़ाती हैं।

-मोबाइल, टीवी और गेम्स में समय बिताने से बच्चों की सक्रियता कम हो जाती है। इससे फैट जमा होने का खतरा बढ़ता है।

-परिवार में अगर किसी को हाई ट्राइग्लिसराइड या कोलेस्ट्रॉल की समस्या है, तो बच्चे में भी इसका खतरा अधिक हो सकता है।

-वजन अधिक होने से ट्राइग्लिसराइड बढ़ते हैं। भारत में बच्चों में बढ़ते मोटापे ने यह समस्या और गंभीर बना दी है।


ट्राइग्लिसराइड बढ़ना बच्चों के लिए जोखिम

रिपोर्ट के शोधकर्ताओं के अनुसार, देश के लगभग पांच प्रतिशत किशोर उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं। दिल्ली में यह सबसे अधिक है, जहां 10 प्रतिशत किशोर उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं, इसके बाद उत्तर प्रदेश (8.6 प्रतिशत), मणिपुर (8.3 प्रतिशत) और छत्तीसगढ़ (सात प्रतिशत) का स्थान आता है। भारत में 16 प्रतिशत से अधिक किशोरों में ‘हाई ट्राइग्लिसराइड' होने का अनुमान है।  ट्राइग्लिसराइड बढ़ना बच्चों में आगे चलकर दिल की बीमारी, मोटापा और डायबिटीज़ का जोखिम बढ़ा सकता है। छोटी उम्र में सही आदतें अपनाना जीवनभर के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।


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vasudha

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