पीतल के बर्तन का छठ पूजा से है गहरा संबंध, जानें क्या कहता है शास्त्र

punjabkesari.in Saturday, Oct 18, 2025 - 11:50 AM (IST)

नापी डेस्क : छठ पूजा सूर्य भगवान की उपासना का सबसे पवित्र पर्व माना जाता है। इस व्रत में हर छोटी से छोटी चीज़ का अपना अलग धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व होता है। इन्हीं में से एक है पीतल के बर्तन का प्रयोग। शास्त्रों के अनुसार, पीतल (Brass) धातु सूर्य देव की ऊर्जा को आकर्षित करती है। यही कारण है कि छठ पूजा में पीतल के बर्तनों से अर्घ्य देना बेहद शुभ और फलदायी माना गया है।

पीतल के बर्तनों का धार्मिक महत्व

छठ पूजा में पीतल के बर्तनों का प्रयोग शुद्धता, शुभता और श्रद्धा का प्रतीक है।

पीतल का पीला और चमकीला रंग सूर्य भगवान से जुड़ा होता है, इसलिए यह शुभ माना जाता है।

धार्मिक मान्यता है कि पीतल की धातु नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है और घर में सकारात्मकता लाती है।

यह धातु बृहस्पति ग्रह के प्रभाव को भी बढ़ाती है, जो ज्ञान, समृद्धि और शुभता का प्रतीक है।

PunjabKesari

सूर्य भक्ति और पीले रंग का संबंध

छठ पूजा में सूर्य देव को प्रिय रंग पीला माना गया है।

इसलिए व्रती प्रायः पीले वस्त्र पहनते हैं, और पीतल या फुल्हा (कांसे जैसे पीले बर्तन) का उपयोग करते हैं।

इनका प्रयोग केवल परंपरा नहीं बल्कि सूर्य की ऊर्जा को आकर्षित करने का माध्यम भी है।
सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए पीले रंग की चीज़ें जैसे पीतल, हल्दी, गुड़, चना और पीले वस्त्र शुभ माने जाते हैं।

यें भी पढ़ें : दीवाली की रात: जब जागती हैं अदृश्य शक्तियां, तंत्र-मंत्र की महारात्रि में रहें सावधान!

पीतल और भगवान विष्णु का संबंध

शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु को पीतल की धातु प्रिय है। यही कारण है कि पीतल के दीपक, कलश, थाल और लोटे मंदिरों में सदियों से उपयोग किए जाते हैं। यह धातु शुद्धता और स्थायित्व का प्रतीक मानी जाती है, इसलिए छठ पूजा जैसे निरंतरता और आस्था वाले पर्व में इसका उपयोग विशेष रूप से किया जाता है।

PunjabKesari

पीतल का वैज्ञानिक महत्व

धार्मिक ही नहीं, वैज्ञानिक दृष्टि से भी पीतल का विशेष महत्व है।

पीतल विद्युत और ऊर्जा का अच्छा सुचालक है, जो ऊर्जा संतुलन बनाए रखता है।

इसमें जीवाणुरोधी (Antibacterial) और शुद्धिकरण के गुण पाए जाते हैं।

इस कारण, पीतल के बर्तनों में रखा पानी शुद्ध और ऊर्जावान रहता है।

मंदिरों और पूजा स्थलों में पीतल के बर्तनों का उपयोग आध्यात्मिक आभा और सकारात्मकता को बनाए रखने के लिए किया जाता है।

यें भी पढ़ें : काला रंग: धन और भाग्य के लिए क्यों है खास? जानें शनि और राहु की कृपा पाने के रहस्य

छठ पूजा केवल सूर्य उपासना नहीं, बल्कि प्रकृति, पवित्रता और अनुशासन का प्रतीक है। पीतल के बर्तन इस व्रत की शुद्धता और ऊर्जा का माध्यम बनते हैं। शास्त्रों में कहा गया है —“जहांं सूर्य की उपासना होती है, वहां पीतल की आभा अवश्य होनी चाहिए।”


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Monika

Related News

static