साल का आखिरी चंद्रग्रहण समाप्त, अब बस भाग्य चमकाने के लिए कर लें ये छोटा सा काम

punjabkesari.in Monday, Sep 08, 2025 - 08:01 AM (IST)

नारी डेस्क: रविवार को देर रात देश भर में पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान, पूर्णिमा एक घंटे से ज़्यादा समय तक अंधकार में रही। ग्रहण रात लगभग 8:58 बजे शुरू हुआ जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया के अर्ध-अंधेरे क्षेत्र, जिसे उपछाया कहा जाता है, में प्रवेश कर गया। रात 9:57 बजे तक चंद्रमा धीरे-धीरे आंशिक रूप से ग्रहणग्रस्त होने लगा और ठीक 11:00 बजे के आसपास, पूर्ण ग्रहण हुआ, जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में आ गया, जिसे पृथ्वी की छाया का अम्ब्रल क्षेत्र कहा जाता है।

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ये था ग्रहण का समय

चंद्रमा का पूर्ण ग्रहण आधी रात के बाद 12:22 बजे तक जारी रहा। इसके बाद यह आंशिक ग्रहण चरण में प्रवेश कर गया, जो समय के साथ धीरे-धीरे कम होता गया और अंततः 7-8 सितंबर की मध्यरात्रि को 1:26 बजे पूर्णिमा अपनी सफेद रोशनी से जगमगा उठी, उन्होंने विस्तार से बताया। उपछाया ग्रहण लगभग 2:25 बजे समाप्त हुआ। लगभग पांच घंटे तक चले इस घटनाक्रम के दौरान, चंद्रमा अंतरिक्ष में पृथ्वी की छाया से होकर गुज़रा। चंद्रग्रहण तब होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में आ जाते हैं जिससे चंद्रमा पृथ्वी की छाया से होकर गुज़रता है।


पूजा पाठ की होती है मनाही

 वहीं हिंदू शास्त्रों में ग्रहण काल (चंद्र या सूर्य ग्रहण) को अत्यंत विशेष माना गया है। ग्रहण के दौरान और उसके बाद कुछ नियम और परंपराएं होती हैं, जिनका पालन करने से ग्रहण के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। ग्रहण के दौरान   पूजा-पाठ, खाना बनाना, खाना खाना, और शुभ कार्य वर्जित होते हैं। इसे "सूतिक काल" के समान अशुद्ध समय कहा गया है। 

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ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान और शुद्धिकरण

ग्रहण के बाद गंगा जल या पवित्र नदी के जल से स्नान करना चाहिए। इससे शरीर और मन की शुद्धि होती है। शास्त्रों के अनुसार ग्रहण के बाद किया गया दान सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना फलदायी माना जाता है। अन्न, वस्त्र, सोना, चांदी, तिल, घी, गौदान, भूमि दान आदि इस समय श्रेष्ठ माने जाते हैं। ग्रहण से उत्पन्न नकारात्मक ऊर्जा और दोष दान-पुण्य करने से शांत होते हैं। इससे पितरों की कृपा और देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।


मंत्र जाप और पूजा का महत्व

ग्रहण काल के बाद भगवान विष्णु, शिव और देवी दुर्गा की पूजा और मंत्र जाप करना अत्यंत शुभ होता है। विशेषकर “ॐ नमः शिवाय” और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जप करने से पाप कटते हैं। शास्त्रों के अनुसार ग्रहण के बाद स्नान, दान और पूजा करना बहुत ही शुभ और पुण्यदायी होता है। इससे ग्रहण के दोष शांत होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सुख-समृद्धि आती है।


 


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Content Writer

vasudha

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