नैना देवी मंदिर में गुप्त नवरात्रि की धूम, यहां हवन यज्ञ करने से सभी मनोकामनाएं होती हैं पूरी

punjabkesari.in Saturday, Jul 06, 2024 - 07:03 PM (IST)

हिमाचल प्रदेश के विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी में शनिवार को माघ मास के गुप्त नवरात्रि बड़ी धूमधाम के साथ शुरू हुई। इन गुप्त नवरात्रों में पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली और अन्य प्रदेशों से काफी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शनों के लिए पहुंच रहे हैं। नवरात्रि के पहले दिन भक्तों में खास ही उत्साह दिखा। 

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भक्तों ने हिमाचल प्रदेश के विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी में जाकर पूजा-अर्चना की। यह गुप्त नवरात्रि सात जुलाई से 15 जुलाई तक चलेगी। गुप्त नवरात्रों में जहां पर अन्य प्रदेशों से भारी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए पहुंच रहे है। वहीं पर हिमाचल प्रदेश सरकार के दिशा निर्देशों अनुसार जिला प्रशासन और मंदिर न्यास ने गुप्त नवरात्रों की पुख्ता व्यवस्था की हैं। 

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पुजारी ने बताया कि वर्ष भर में चार नवरात्र मनाए जाते जिसमे दो गुप्त नवरात्रि आषाढ़ मास और माघ मास के मनाए जाते हैं। वहीं दो नवरात्रि चौत्र और आश्विन नवरात्रि मनाया जाते हैं। उन्होंने बताया कि गुप्त नवरात्रि में तंत्र पूजा का विशेष महत्व है जो भी श्रद्धालु पूजा और हवन यज्ञ करता है उसकी माता रानी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। 

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नैना देवी हिंदूओं के पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। मंदिर के मुख्य द्वार के दाई ओर भगवान गणेश और हनुमान कि मूर्ति है। मुख्य द्वार के पार करने के पश्चात आपको दो शेर की प्रतिमाएं दिखाई देगी। शेर माता का वाहन माना जाता है। मंदिर के गर्भगृह में मुख्य तीन मूर्तियां है। दाई तरफ माता काली की, मध्य में नैना देवी की और बाई ओर भगवान गणेश की प्रतिमा है। पास ही में पवित्र जल का तालाब है जो मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है।

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 मंदिर के समीप ही में एक गुफा है जिसे नैना देवी गुफा के नाम से जाना जाता है। पहले मंदिर तक पहुंचने के लिए 1.25 कि॰मी॰ की पैदल यात्रा कि जाती थी परन्तु अब मंदिर प्रशासन द्वारा मंदिर तक पहुंचने के लिए उड़्डलखटोले का प्रबंध किया गया है। नैना देवी मंदिर शक्ति पीठ मंदिरों मे से एक है। पूरे भारतवर्ष मे कुल 51 शक्तिपीठ है। जिन सभी की उत्पत्ति कथा एक ही है। यह सभी मंदिर भगवान शिव और माता शक्ति से जुड़े हुऐ है। धार्मिक ग्रंधो के अनुसार इन सभी स्थलो पर देवी के अंग गिरे थे। 


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vasudha

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