क्या मोटापा या हृदय रोगों का कारण बन सकती है नाइट शिफ्ट? जानें एक्सपर्ट्स की राय

punjabkesari.in Wednesday, May 08, 2024 - 04:53 PM (IST)

नींद जो की हमारे शरीर का एक अहम हिस्सा है। यह हमारे जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। अगर हम नींद पूरी नहीं कर पाते तो इसका प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है। कुछ एक्सपर्ट के अनुसार हमारे शरीर की एक बायोलॉजिकल क्लॉक होती है और शरीर उसी के हिसाब से चलता है। यह क्लॉक हमें काम करने के संकेत देता है। जैसे की दिन काम करने के लिए है वैसे ही रात शरीर को आराम देने के लिए है।

जब आप रात को सोते हैं तो उस समय हर ऑर्गन खुद को रिपेयर करने का काम करता है। कुछ कोशिकाएं दोबारा बनती हैं और शरीर खुद को अगले दिन के लिए फिर से तैयार करता है। इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिससे शरीर को फिर से ऊर्जा मिलती है। आपने देखा होगा जब आप लगातार दिन रात काम करते हैं तो आपका शरीर थक जाता है और आप बीमार पड़ जाते हैं इसलिए प्रकृति ने रात को आराम के लिए बनाया है। लेकिन कई लोग देर रात तक काम करते हैं या नाइट शिफ्ट भी लगाते हैं जिससे हमारी सेहत पर काफी बुरा असर पड़ सकता है। ऐसे में अगर आप भी नाइट शिफ्ट कर रहें हैं तो आपको पहले इसके होने वाले नुकसान के बारे में जान लेना चाहिए। तो चलिए जानते है की नाइट शिफ्ट में काम करने का क्या असर होगा।

मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

PunjabKesari

दिन भर काम करने से आप तनाव में रहते है, और इसके कारण आपको घबराहट, चिड़चिड़ापन और एंग्जायटी का अनुभव करना पड़ता है। इसके कारण क्रोनिक थकान, क्रोनिक एंग्जायटी और डिप्रेशन का अनुभव होता है।

कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम पर प्रभाव

नाइट शिफ्ट में काम करने के कारण हृदय रोग का जोखिम 40% अधिक हो सकता है। इसके अलावा, शिफ्ट में काम करने वाले लोगों में जीवनशैली की ऐसी आदतें विकसित हो जाती हैं, जो बाद में हृदय संबंधी जोखिम का कारक बन जाते हैं।

मेटाबॉलिज्म संबंधी विकार

PunjabKesari

नाइट शिफ्ट का सीधा प्रभाव मेटाबोलिज्म पर पड़ता है। इसके कारण सामूहिक रूप से मोटापा, लो एचडीएल कोलेस्ट्रॉल, हाई ग्लूकोज और हाई ब्लड प्रेशर हो सकता है। यह डायबिटीज और हार्ट डिजीज के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम का कारक है।कई अध्ययनों में रात की शिफ्ट में काम करने वाले एम्प्लॉई में मेटाबोलिज्म संबंधी गड़बड़ी की अधिक सूचना दी गई। इनमें अधिक वजन, मोटापा, और कोलेस्ट्रॉल लेवल में वृद्धि शामिल है।

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम पर प्रभाव

PunjabKesari

शिफ्ट में काम करने वाले एम्प्लॉई द्वारा खाए जाने वाले भोजन की कुल मात्रा कुल ऊर्जा सेवन को प्रभावित नहीं करती है। खाने का समय अक्सर अलग-अलग होते हैं। इसके अलावा नाइट शिफ्ट में काम करने वाले कर्मचारी कभी-कभी नींद की कमी के कारण अधिक फैट और कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने लग जा सकते हैं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Vandana

Recommended News

Related News

static