आज इस मुहूर्त पर करें पूजा, फिर नहीं मिलेगा शिव-पार्वती की कृपा पाने का इतना सुनहरा मौका

punjabkesari.in Tuesday, Jul 08, 2025 - 09:52 AM (IST)

नारी डेस्क: आज 8 जुलाई 2025 को हिंदू धर्म का अत्यंत पवित्र भौम प्रदोष व्रत मनाया जा रहा है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि मंगलवार को पड़ने के कारण इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने का सुनहरा अवसर माना जाता है।मंगल ग्रह के प्रभाव से यह व्रत मंगल दोष निवारण और आर्थिक समृद्धि के लिए विशेष रूप से फलदायी माना गया है।
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प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त 

पंचांग के अनुसार, त्रयोदशी तिथि 7 जुलाई रात 11 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर 9 जुलाई सुबह 3 बजकर 56 मिनट तक रहेगी। प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त शाम 7 बजकर 23 मिनट से 9 बजकर 24 मिनट तक है। चातुर्मास की शुरुआत के साथ यह पहला भौम प्रदोष व्रत होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। 
 

व्रत का धार्मिक महत्व 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भौम प्रदोष व्रत का मंगल ग्रह की शांति के लिए विशेष महत्व है। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि इस व्रत से मंगल दोष का निवारण होता है और कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति मजबूत होती है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखकर शाम को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से कर्जों से मुक्ति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है। यह व्रत प्रॉपर्टी खरीदने की इच्छा रखने वालों के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। मंगल ग्रह भूमि का कारक होने के कारण इस दिन की गई पूजा से जमीन-जायदाद संबंधी सभी कार्य सफल होते हैं। साथ ही रक्त संबंधी बीमारियों, शत्रु बाधा और भूमि विवाद से भी राहत मिलती है।
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पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

भौम प्रदोष व्रत की पूजा विधि अत्यंत सरल और प्रभावशाली है। सुबह स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने के बाद पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करना चाहिए। शिवलिंग या भगवान शिव की मूर्ति की स्थापना करके षोडशोपचार या पंचोपचार पद्धति से पूजा करनी चाहिए। प्रदोष काल में बेलपत्र, लाल फूल, गंगाजल और दूध से शिवाभिषेक करना विशेष फलदायी होता है। धूप, दीप जलाकर "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए। साथ ही महामृत्युंजय मंत्र "ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्" का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।मंगलवार होने के कारण हनुमान जी की पूजा भी करनी चाहिए। उन्हें सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाकर हनुमान चालीसा का पाठ करने से मंगल दोष की शांति होती है।
 

विशेष उपाय और जया पार्वती व्रत का संयोग

आज के दिन जया पार्वती व्रत की भी शुरुआत हो रही है, जो इस दिन को और भी विशेष बनाता है। यह व्रत अविवाहित कन्याओं के लिए मनचाहा वर पाने के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि माता पार्वती ने स्वयं भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए यह व्रत किया था। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, आज के दिन मंगल ग्रह के बीज मंत्र "ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः" का जाप करना विशेष लाभकारी है। लाल चंदन, मसूर की दाल, तांबा और गुड़ का दान करने से आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है। शाम के समय शिव चालीसा और हनुमान चालीसा का पाठ करने से भय और तनाव दूर होते हैं।


 


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Content Writer

vasudha

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