World Book Day: बच्चों का स्ट्रेस दूर करेंगी किताबें, मेंटल हेल्थ भी बनेगी मजबूत
punjabkesari.in Tuesday, Apr 23, 2024 - 10:25 AM (IST)
किताबें इंसान की सबसे अच्छी दोस्त मानी जाती हैं। इन्हें पढ़ने से सिर्फ न ज्ञान मिलता है बल्कि जिंदगी की कई और शिक्षाएं भी मिलती है। इसी वजह से एक्सपर्ट्स पेरेंट्स को यह सलाह देते हैं कि बच्चों को किताबें पढ़कर जरुर सुनानी चाहिए। इससे उनका मानसिक विकास होता है और दिमाग को शांत रखने में भी मदद मिलती है। इसके अलावा किताबें पढ़ने से बच्चों को कई और भी फायदे होते हैं। आज विश्व किताब दिवस मनाया जा रहा है ऐसे में इस खास मौके पर आपको बताते हैं कि बच्चों को किताबें पढ़ाने से क्या-क्या फायदे होते हैं।
तनाव होगा कम
आजकल पढ़ाई का असर बच्चों के दिमाग पर इतना हो रहा है कि वह तनाव में आ रहे हैं। ऐसे में उनके इस तनाव को कम करने के लिए आप बच्चों को किताबें पढ़कर सुना सकते हैं। कई अध्ययनों में इस बात की पुष्टि हुई है कि किताबें पढ़ने से तनाव का स्तर कम होता है। इसके अलावा 30 मिनट किताब पढ़ने से ब्लड प्रेशर, हार्ट रेट और दिमाग संबंधी बीमारियों का जोखिम कम होता है।
दिमाग बनेगा मजबूत
किताब पढ़ने से मानसिक विकास होता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, पढ़ने से दिमाग में सर्केट और संकेतों का एक जटिल नेटवर्क बनता है जैसे-जैसे पढ़ने की क्षमता व्यक्ति में बेहतर होती है यह नेटवर्क और भी मजबूत बनता है और साफ हो जाता है ऐसे में यदि आप चाहते हैं कि बच्चे बड़े होकर समझदार बनें तो उन्हें किताबें पढ़कर जरुर सुनाएं।
बच्चों में बढ़ेगी समझ
जब बच्चे किताबें सुनते हैं तो उनकी समझ भी बढ़ती है। जिस भी विषय पर आधारित किताबें को जब वह सुनते हैं तो उनका ज्ञान बढ़ता है। ऐसे में उन्हें खुद के विचारों को समझने और उन्हें किसी ओर को समझाने में भी आसानी होती है।
हर चीज में लगेगा ध्यान
रोज किताबें पढ़कर सुनाने से एक फायदा बच्चों को यह भी होता है कि उनकी एकाग्रता बढ़ती है। बच्चे अनुशासन में रहना सीखते हैं। बतौर पेरेंट्स आपने यह बात देखी होगी कि बच्चों को किसी भी चीज के लिए लंबे समय तक ध्यान लगाने में मुश्किल होती है लेकिन जब आप उन्हें किताबें पढ़कर सुनाएं तो उनके व्यवहार में बदलाव होता है। वह स्वभाव में सकरात्मक होते हैं और किताबों में रुचि बढ़ने के कारण उनमें अनुशासन भी आता है।
बच्चों में बढ़ेंगे शोक
छोटे बच्चों में किसी चीज की कल्पना करने की क्षमता कम होती है। ऐसे में यदि पेरेंट्स अपने बच्चों को किताबें पढ़कर सुनाते हैं तो वह अपनी कल्पना का इस्तेमाल करना सीखते हैं। इससे वह खुद को बेहतर बनने का प्रयास करते हैं और उनमें नए-नए शोक विकसित होते हैं।