प्रेगनेंसी के 6वें महीने में जरा संभलकर, बच्चा सबकुछ सुनता है!
punjabkesari.in Friday, Sep 16, 2022 - 01:11 PM (IST)
प्रैगनेंसी का वैसे तो हर महीना ही महत्वपूर्ण माना जाता है लेकिन छठा और आठवां महीना सबसे खास माना जाता है। छठे महीने यानि दूसरी तिमाही का आखिरी महीना। इस महीने में औरत को कई नए अनुभव मिलते हैं और इस महीने में ही आपका बेबी बंप संपूर्ण तौर पर दिखाई देने लगता है क्योंकि इस महीने में ही बच्चे की ग्रोथ शुरू होती है।
गर्भावस्था के 6 महीने में बच्चे की स्थिति क्या होती है?
इस दौरान बच्चे का वजन और लंबाई भी बढ़ती है। शिशु की त्वचा गुलाबी हो जाती है। इस महीने के अंत तक बच्चे की उंगलियां और नाखून विकसित होते हैं और अल्ट्रासाउंड के माध्यम से दिखाई देते हैं। संभव है कि अल्ट्रासाउंड में आपको बच्चा अंगूठा चूसता दिखाई दे। छठे महीने के अंत तक शिशु का वजन 900 ग्राम के करीब और उसकी लंबाई 12 इंच के आसपास हो सकती है।
1. शरीर में सूजन
छठे महीने के आसपास महीला के पैर टखनों और हाथों में सूजन आने लगती है। इसे एडीमा भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि शरीर में टिश्यू के भीतर तरल पदार्थ बनना शुरू होता है, ताकि आपको और आपके बच्चे को पोषण मिल सके।
2. अपच की समस्या
बहुत सी महिलाओं को इस दौरान अपच और कब्ज हो जाती है। क्योंकि गर्भाशय बढ़ने के कारण पेट के निचले भाग पर दबाव पड़ता है जो अपच और कब्ज समस्या करता है। इससे बचने के लिए भरपूर फाइबर फूड और पानी पीएं। अगर इसके बावजूद कब्ज ठीक ना हो तो डॉक्टर से सलाह लें।
3. ज्यादा भूख लगना
इस महीने में बच्चे का विकास शुरू हो जाता है इसलिए महिलाओं को सामान्य से अधिक भूख लगती है। वैसे तो जो दिल करें आपको खाना चाहिए लेकिन बाहर का खाना और जंक फूड से परहेज करें। यह आपके बच्चे के लिए फायदेमंद है।
4. खर्राटे आना
वजन बढ़ने से कई महिलाओं को खर्राटे आने की समस्या हो जाती है। क्योंकि सिर और गर्दन के चारों ओर के टिश्यू सूख जाते हैं। कुछ मामलों में खर्राटे मधुमेह का संकेत हो सकते हैं।
5. पीठ दर्द
बच्चे की ग्रोथ क चलते महिला का गर्भाश्य-पेट आगे की ओर बढ़ता है जिस वजह से पीठ में दर्द रहता है।
6. अनिद्रा की समस्या
इस महीने में गर्भवती महिला को अनिद्रा की परेशानी होना आम है। ज्यादातर रात को बार-बार पेशाब जाने की वजह से होती है। शरीर में दर्द रहने की समस्या बढ़ सकती है। छठे महीने मे रक्त संचार बढ़ने के कारण आपके हाथों पैरों में झनझनाह होने की समस्या हो सकती है हो सकता है कि आपको नकली लेबर पेन (ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन) होने लगे। ये थोड़ी-थोड़ी देर में 30 सेकंड से लेकर एक मिनट तक रहने वाले संकुचन हैं। हालांकि, इस तरह के पेन ज्यादातर तीसरी तिमाही में होते हैं। अगर तेज दर्द उठे या फिर निश्चित समयावधि से रुक-रुक कर हल्का दर्द हो, तो डॉक्टर से सलाह लें।
गर्भावस्था के छठे महीने में देखभाल
इस महीने में शिशु बाहरी गतिविधियों को महसूस कर सकते हैं सुन सकते हैं। इसलिए ये जरूरी है कि आप अच्छे वातावरण में रहें। इपनी दिनचर्या से लेकर खानपान तक का ध्यान रखें।
गर्भावस्था के छठे महीने में क्या खाएं?
आप क्या खाती हैं, क्या पीती हैं, उसका सीधा असर आपके गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ता है। इसलिए, आप जो भी खाएं पौष्टिक खाएं। विटामिन सी और फाइबर खाएं ये मां और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद है। ब्रोकली, टमाटर, दूध, खजूर, संतरा व मुनक्का का सेवन करें। रात का भोजन ऐसा करें ताकि आसानी से पच सकें। इस महीने के दौरान आयरन की कमी होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है। इसलिए आयरन भरपूर आहार और सप्लीमेंट्स जरूर लें।
गर्भावस्था के छठे महीने में क्या नहीं खाएं?
कुछ गर्भवती महिलाओं को अचानक ऑयली फास्ट फूड खाने का मन करता है, लेकिन इस दौरान यह चीजें खाने से बचें। इनके सेवन से चिड़चिड़ापन व थकावट का सामना करना पड़ सकता है। कच्चे अंडे, कच्चा मांस और मछली ना खाएं।
गर्भावस्था के छठे महीने में व्यायाम
इस दौरान हल्का-फुलका व्यायाम शिशु के लिए फायदेमंद है लेकिन बिना सलाह और एक्सपर्ट से पूछे कोई व्यायाम ना करें। आप कीगल व्यायाम और उत्कष्टासन कर सकते हैं।
गर्भावस्था के छठे महीने के दौरान सावधानियां – क्या करें और क्या नहीं?
ढीले-ढाले कपड़े पहनें
पेट के निचले हिस्से में खिंचाव होने लगता है और निशान पड़ सकते हैं। आप कोई लोशन या क्रीम का इस्तेमाल कर सकते हैं।
कुछ महिलाओं को मसूड़ों से खून आने की समस्या बनी रहती हैं। अगर यह समस्या ज्यादा हो, तो अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
क्या गर्भावस्था के छठे महीने में यात्रा करना सुरक्षित है?
अगर आपको चिकित्सीय समस्या नहीं है तो दूसरी तिमाही के दौरान यात्रा करना सुरक्षित है। फिर भी एक बार यात्रा करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
क्या गर्भावस्था के दौरान बवासीर हो सकती है?
अगर कब्ज की समस्या होना आम है लेकिन अगर समस्या ज्यादा बढ़ जाए तो बवासीर की परेशानी होने लगती है। इससे बचने के लिए जितना हो सके फाइबर युक्त खाना खाएं। दिन में 8-10 गिलास पानी जरूर पीएं।
प्रैग्नेंसी के छठे महीने में इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।