Inspiration: मिलिए 'नाई' नेहा और ज्योति से जो तोड़ रहीं समाज की बनी-बनाई धारणाएं
punjabkesari.in Monday, Oct 26, 2020 - 12:34 PM (IST)
नाई की दुकान पर आपने आजतक सिर्फ मर्दों को ही दाढ़ी-मूछ बनाते देखा होगा। ऐसा कहीं नहीं देखने को मिलता कि कोई महिला मेल पार्लर चला रही हो लेकिन उत्तर प्रदेश की रहने वाली नेहा और ज्योति समाज की इन बनी बनाई धारणाओं को तोड़ रही है। नेहा नारायण और ज्योति नारायण ने साबित कर दिया कि कोई भी पेशा लिंग तक ही अधारित नहीं है।
पिता की खराब तबीयत के कारण उठाया उस्तरा
उत्तर प्रदेश, बनवारी टोला की रहने वाली नेहा और ज्योति के पिता ध्रुव नारायण 'नेहा ज्योति पार्लर' चलाते थे लेकिन एक दिन उन्हें लकवा मार गया। इसके कारण उन्होंने बिस्तर पकड़ लिया। ऐसे में परिवार का पाल-पोषण करने के लिए इन दो बहनों को उस्तरा उठाना पड़ा। ज्योति ने महज 13 साल और नेहा ने 11 साल की उम्र में नाई का काम करना शुरू किया।
परिवार के साथ खुद की पढ़ाई का भी उठाया खर्च
नेहा और ज्योति इस काम से सिर्फ परिवार का पेट ही नहीं पालती बल्कि खुद की पढ़ाई का खर्च भी उठाती हैं। क्योंकि पिता ने पार्लर का नाम बेटियों के ऊपर रखा था इसलिए नेहा और ज्योति ने इसका नाम नहीं बदला। वह दुकान में काम करने के साथ-साथ पिता की दवा का खर्च भी उठाती हैं।
शेविंग से लेकर चंपी तक का करती हैं काम
दोनों बहनें मर्दों की शेविंग, चंपी और हेयर कट करने में माहिर हैं। यही नहीं, एक बहन का तो ड्रेसअप भी लड़कों की तरह है। दोनों बहनों ने बताया कि शुरूआत में जब उन्होंने यह काम शुरू किया तो उन्हें काफी दिक्कतें आई। कुछ लोग तो लड़की समझ पार्लर में आते भी नहीं थे लेकिन धीरे-धीरे लोगों ने उन्हें स्वीकार कर लिया। पिता के साथ उन्हें गांव वालों से भी काफी सपोर्ट मिला।
सचिन तेंदुलकर ने स्पॉनसर की लड़कियों की पढ़ाई
कुछ समय पहले जिलेट (ब्लेड कंपनी) ने अपने यूट्यूब पेज पर एक विज्ञापन (Ad) के जरिए दोनों बहनों के संघर्ष की कहानी दिखाई थी। इस वीडियो को देखने के बाद बॉलीवुड सेलेब्स ने इनकी खूब तारीफ की। तना ही नहीं, दोनों बच्चियां करण कुद्रां, फरहान अख्तर और सचिन तेंदुलकर तक की शेविंग भी कर चुकी हैं। वहीं, भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने दोनों बहनों की पढ़ाई का जिम्मा भी उठाया।
नाई की दुकान पर मर्दों की शेविंग और चंपी करने वाली ये लड़कियां उन सभी के लिए मिसाल है, जो आज भी खुद को पुरूषों से कम आंकती हैं।