बच्चों के कान छिदवाने की क्या है सही उम्र और कैसे करे सही बालियों का सेलेक्शन
punjabkesari.in Thursday, Jun 17, 2021 - 09:57 AM (IST)
भारतीय हिंदू संस्कृति में कान छिदवाने का एक अपना ही अलग महत्व है। हिंदू धर्म में, कान छिदवाने के लिए एक अलग संस्कार बनाया गया है, जिसे कर्णवेध संस्कार के नाम से जाना जाता है। वैसे तो महिलाओं के कानों में एयररिंग्स बहुत ही खुबसुरत लगते हैं लेकिन छोटी बच्चियों के कानों में बालियां और भी खुबसुरत लगती है, लेकिन इस बीच कान छिदवाना केवल बच्चे के लिए बल्कि उनकी मां के लिए भी बहुत मुश्किल होता है। तो आईए जानते हैं छोटे बच्चों के कान छिदवाने संबंधी सावधानियों के बारे में-
हिंदू धर्म का नौवां संस्कार है कर्णवेध संस्कार
हिंदू धर्म में के कुल 16 संस्कारों में से नौवां संस्कार कर्णवेध संस्कार है,यानि कि कान छेदना, कर्ण यानी कान और वेध मतलब छेदना। ऐसा मान्याता है कि ये फैशन के लिए ब्लकि कान छिदवाने से बुद्धि में भी विकास होता है। इतना ही नहीं, शास्त्रों के अनुसार तो इतना तक कहा गया है, कि जिनका कर्णवेध संस्कार नहीं हुआ है, वो अपने रिश्तेदारों के अंतिम संस्कार तक का अधिकारी नहीं होगा। शुरूआत में, कर्ण छेदन संस्कार लड़के और लड़कियों दोनों के किए जाते थे, लेकिन बदलते दौर के साथ अब यह रिवाज भी कम हो गया है।
बच्चों का कान छिदवाने से पहले ध्यान रखें-
बच्चे का कान किसी साफ जगह और किसी अनुभवी व्यक्ति द्वारा ही सावधानी से छिदवाए, वहीं अगर कान छेदने वाली सुईं ठीक से साफ न हो तो उससे संक्रमण भी फैल सकता है और कई तरह की बीमारियों को भी न्योता दे सकते हैं जैसे कि- हेपटाइटिस बी, हेपटाइटिस सी, एचआईवी (HIV), निकेल एलर्जी और टेटनस का खतरा बन जाता है।-
कान छिदवाने के फायदें-
एक्यूप्रेशर चिकित्सा के सिद्धांतों के अनुसार, अगर शिशु के जल्दी कान छिदवाए जाते हैं उनमें मस्तिष्क विकास तेज होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कान की लोब में मेरिडियन पॉइंट होते हैं, जो मानव मस्तिष्क के बाएं और दाएं हेमिस्फेयर यानी मस्तिष्क के दोनों भाग से जुड़े होते हैं। जब कान में छेद होताहै तो यह मस्तिष्क के इन हिस्सों को सक्रिय करता है।
लेकिन अभी तक इस दावे का कोई उचित वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
किस उम्र में कान छिदवाया जाए-
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (AAP) के अनुसार, बच्चे के कान छिदवाने की कोई निश्चित उम्र नहीं होती। वहीं विशेषज्ञ, नवजात शिशु के कान छिदवाने की सलाह नहीं देते हैं। विशेषज्ञों का मानना है, कि बच्चे के कान तब तक न छिदवाएं जब तक उन्हें खुद इस बात की समझ न हो। वहीं ऐसा भी माना जाता है कि जन्म के पहले आठ महीने में बच्चे के कान छेदना जरूरी है क्योंकि यही वह समय है जब ब्रेन का विकास हो रहा होता हैं।
दो तरह से छिदवाया जाता है कान-
कान को दो तरह से छिदवाया जाता है एक तो पारंपरिक और दूसरा गनशॉट के जरिए। कई लोग पारंपरिक तरीके से किसी जेवर के दुकान जाकर कान छिदवाते हैं, तो कई लोग प्रोफेशनल के पास जाकर गनशॉट के जरीए भी कान छिदवाना पसंद करते हैं। आप कोई भी तरीका अपनाएं लेकिन ध्यान रखें कि कान छिदवाने के लिए सही और साफ जगह हो।
कान छिदवाने के लिए छोटे बच्चों को कैसे करें तैयार-
-कान छिदवाने से पहले एक बार विशेषज्ञ से मिलकर अपने शिशु का जरूर चेकअप कराएं । अगर आपके बच्चे को बुखार या कोई अन्य सेहत संबंधी समस्या है, तो शिशु के बिल्कुल भी कान न छिदवाए।
- जब आप अपने बच्चे को कान छिदवाने के लिए ले जाएं, तो उनके पसंदीदा खिलौने, फार्मूला फीड की बोतल जैसी चीजें उसके साथ रखें। जब वो रोए, तो आप उन चीजों से उसे संभाल ले।
- बच्चे को कान छिदवाने के लिए लेजाने से पहले उनके कपड़ों का भी ध्यान रखें। उन्हें ढीले कपड़े पहनाएं और ऐसे कपड़ों का चुनाव करें, जिसमें बटन हों और जो आसानी से खोले जा सकें।
- कान छिदवाते वक्त अपने बच्चे को आराम से पकड़े और कान छिदवाने के बाद जब आपका शिशु रोएगा, तब उसे प्यार से सहलाएं और उन्हें खिलौने से खेलने दें।
कानों में कैसी बालियां पहनाएं-
-बच्चे के कान छिदवाने के तुरंत बाद आप अपने शिशु की बालियों को न बदलें। जो भी शुरूआती बाली या एयररिंग्स पहनाए गए हैं वहीं पहनें रहने दें।
-कभी भी अपने बच्चे के लिए लटकन वाली बालियां न लें। ऐसी बालियां कपड़ों में फंस सकती हैं।
- भारी बालियां की बजाए हल्की बालियां ही पहनाएं। भारी बालियों से शिशु के कान में दर्द हो सकता है, खासकर रात को सोते समय।
- बच्चे को कोशिश करें कि उन्हें सोने की बालियां पहनाएं क्योंकि सोने से संक्रमण का खतरा कम होता है।
कान छिदवाने के बाद होने वाली जटिलताओं से कैसे शिशु को बचाए-
-शिशु के कान छिदवाने के बाद उसके कान में दवा लगाने से पहले हाथ को अच्छे से धो लें।
-अगर बच्चे के कान में सूजन है तो सरसों के तेल को हल्का गर्म कर अपना हाथो से लगाएं।
- कान छिदवाने के बाद एक से दो महीने तक कान की बालियां न बदलें।
- कान छिदवाने के बालियों को तभी घुमाए जब आपका बच्चा सोया रहे