कौन है ''हिंदुस्तानी जलपरी'' आरती साहा, जिन्होंने 19 साल की उम्र में पार किया इंग्लिश चैनल
punjabkesari.in Thursday, Oct 01, 2020 - 01:32 PM (IST)
पद्मश्री या पद्मश्री विभूषण, एक ऐसा सम्मान है जो आमतौर पर सिर्फ भारतीयों को दिया जाता है। यह सम्मान शिक्षा, कला, उद्योग, विज्ञान, साहित्य, खेल, चिकित्सा या कोई समाजिक कार्य करने पर दिया जाता है। देश में कई महिलाएं इस पुरस्कार से सम्मानित से होने वाली पहली महिला कौन था। यहां हम आपको बताने वाले हैं 'हिंदुस्तानी जलपरी' आरती साहा के बारे में, जो पद्मश्री पाने वाली पहली भारतीय महिला थी।
कौन है आरती साहा गुप्ता?
पद्मश्री से सम्मानित होने वाली पहली भारतीय महिला आरती का जन्म 24 सितंबर 1940 को कोलकाता में हुआ। आरती के पिता का नाम पंचुगोपाल था और उनकी 1 बहन और 1 भाई था। महज, ढाई साल की उम्र में आरती की मां का देहांत हो गया।
बचपन से ही थी तैरानी में एक्सपर्ट
उन्होंने हुगली नदी के किनारे सचिन नाग से तैराकी की ट्रेनिंग ली थी, जो उस समय के सर्वश्रेष्ठ प्रतिस्पर्धी तैराकों थे। उनकी मदद से आरती बेहद कम उम्र में तैराकी की एक्सपर्ट बन गई थी, जिसके वजह से उन्हें 'हिंदुस्तानी जलपरी' भी कहा जाता है। यही नहीं, उन्होंने साल 1952 में फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भाग लिया था। तब उनकी उम्र सिर्फ 12 साल थी।
5 साल की उम्र में जीता पहला गोल्ड मेडल
बचपन से ही तैराकी की शौकीन आरती ने 4 साल की उम्र सेस ही स्विमिंग शुरू कर दी थी। उन्होंने उस उम्र में पहला स्वर्ण पदक हासिल किया जिस उम्र में बच्चे तैरना भी नहीं सीख पाते। महज 5 साल की उम्र में उन्होंने पहला गोल्ड मेडल जीता और 11 साल की उम्र तक उन्होंने कई रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए। अपने 6 साल के स्टेट करियर में उन्होंने करीब 22 पुरस्कार जीते।
16 घंटे में 67.5 किमी तैरने का रिकॉर्ड
फ्रांस के केप ग्रिस नेज और इंग्लेंड के सैंडगेट के बीच 69 कि.मी. की दूरी को सिर्फ 16 घंटे और 20 मिनट में तय करने का रिकॉर्ड भी आरती साहा के ही नाम है। उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक होने के लिए साल 1960 में पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था। वह एक मजबूत हौसलों वाली महिला थी, जो उस समय अपने सपनों को पूरा कर रही थी जब महिलाओं के लिए घर से पैर रखना भी जुर्म था।
इंग्लिश चैनल को पार करने वाली पहली महिला
आरती ही वो पहली महिला भी हैं, जिन्होंने 18 साल की उम्र में इंग्लिश चैनल (English Channel) को पार करने की लेकिन वह सफल नहीं हो पाईं। मगर, उन्होंने हार नहीं मानी और दोबारा कोशिश की, जिसमें वो ना सिर्फ सफल रहीं बल्कि ऐसा करने वाली पहली एशियाई महिला भी बन गई। साल1959 में इंग्लिश चैनल पार करने के बाद उन्होंने विदेशी धरती पर भारतीय ध्वज भी फहराया था।
बता दें, इंग्लिश चैनल ग्रेट ब्रिटेन को उत्तरी फ्रांस से अलग और उत्तरी सागर को अटलांटिक से जोड़ने वाली अटलांटिक महासागर की एक शाखा है। वैसे तो इंग्लिश चैनल की लंबाई 560 कि.मी. है लेकिन तैराकों को इसे पार करने के लिए 35 कि.मी. तैरना पड़ता है। हालांकि समुद्री टाइड (ज्वार) के कारण यह दूरी कम या ज्यादा भी हो सकती है।
आरती के नाम से जारी हुआ था डाक टिकट
साल 1951 में पश्चिम बंगाल स्टेट में आरती ने 100 मी. ब्रेस्टस्ट्रोक को 1 मिनट 37.6 सेकंड में पूरा किया और डॉली नजार का रिकॉर्ड तोड़ डाला, जो उस समय के बेहतरीन तैराक थे। यही नहीं, आरती के सम्मान के लिए भारतीय डाक ने एक डाक टिकट भी जारी किया थी। मगर, दुर्भाग्यवश 23 अगस्त 1994 को आरती पीलिया की चपेट में आ गई थी, जिसके कारण उनकी मृत्यु हो गई।
भले ही आरती दुनिया को अलविदा कह गई हो लेकिन आज भी उनका नाम बेहद सम्मान और गर्व से लिया जाता है।