चमगादड़ खाने से फैली एक और रहस्यमयी बीमारी, जानें ये ही क्यों फैलाते हैं खतरनाक वायरस ?
punjabkesari.in Tuesday, Feb 25, 2025 - 04:54 PM (IST)
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विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, उत्तर-पश्चिमी कांगो में एक अज्ञात बीमारी ने लक्षण दिखने के कुछ ही घंटों के भीतर 50 से अधिक लोगों की जान ले ली है। 21 जनवरी को कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में बीमारी का प्रकोप शुरू होने के बाद से अब तक 53 मौतों सहित लगभग 419 मामले दर्ज किए गए हैं। स्थानीय डॉक्टरों का कहना है कि ज़्यादातर मामलों में पहले लक्षण और मौत के बीच का अंतराल 48 घंटे रहा है।
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चमगादड़ खाने के बाद फैली ये बीमारी
डब्ल्यूएचओ के अफ्रीका कार्यालय के अनुसार, बोलोको शहर में पहला प्रकोप तब शुरू हुआ जब तीन बच्चों ने चमगादड़ खाया और रक्तस्रावी बुखार के लक्षणों के बाद 48 घंटे के भीतर उनकी मृत्यु हो गई। लंबे समय से इस बात की चिंता रही है कि ऐसी जगहों पर जानवरों से इंसानों में बीमारियां फैल सकती हैं जहां जंगली जानवरों को आम तौर पर खाया जाता है। डब्ल्यूएचओ ने 2022 में कहा कि पिछले एक दशक में अफ्रीका में इस तरह के प्रकोपों की संख्या में 60 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।
चमगादड़ों से सबसे ज्यादा घातक वायरस क्यों फैलते हैं?
चमगादड़ ऐसे स्तनधारी जीव हैं जो दुनिया भर में पाए जाते हैं और कई घातक वायरस के प्राकृतिक वाहक (Natural Reservoir) माने जाते हैं। वैज्ञानिकों ने पाया है कि चमगादड़ों से इबोला (Ebola), सार्स (SARS), मर्स (MERS), कोरोना वायरस (COVID-19), निपाह (Nipah) और रेबिज (Rabies) जैसे खतरनाक वायरस इंसानों में फैल सकते हैं। लेकिन आखिर ऐसा क्यों होता है? आइए जानते हैं चमगादड़ों के शरीर और उनकी विशेषताओं से जुड़े कुछ वैज्ञानिक कारण।
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मजबूत और अनोखी इम्यूनिटी
चमगादड़ों का इम्यून सिस्टम बहुत अलग तरह से काम करता है। इनका शरीर वायरस से लड़ने के लिए ज्यादा इंटरफेरॉन (Interferon) प्रोटीनबनाता है, जिससे ये खुद बीमार नहीं होते। वायरस इनके शरीर में बिना नुकसान पहुंचाए लंबे समय तक रहते हैं, जिससे वे "सुपर स्प्रेडर" बन जाते हैं। जब ये वायरस इंसानों या दूसरे जानवरों में आते हैं, तो उनका इम्यून सिस्टम इसे पहचान नहीं पाता और लोग बीमार हो जाते हैं। दरअसल चमगादड़ एकमात्र स्तनधारी हैं जो उड़ सकते हैं। उड़ने के दौरान उनकी शरीर का तापमान (Body Temperature) बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, जिससे वायरस उनके शरीर में एक्टिव बने रहते हैं। यह वायरस के लिएएक ट्रेनिंग ज़ोन की तरह काम करता है, जिससे वे अधिक खतरनाक बन जाते हैं।
सामाजिक जीवन
चमगादड़ हजारों-लाखों की संख्या में झुंड (Colony) बनाकर रहते हैं, जिससे वायरस एक-दूसरे में आसानी से फैलते हैं। इनकी लार, यूरिन (मूत्र), और मल (Guano) में वायरस मौजूद रहते हैं, जो दूसरे जानवरों और इंसानों तक पहुंच सकते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि चमगादड़ कई घातक वायरस के प्राकृतिक मेजबान (Host) होते हैं। इनमें कोरोना वायरस, हेंड्रा वायरस, निपाह वायरस, मारबर्ग वायरस, और इबोला वायरस** शामिल हैं। जब इनका संपर्क मनुष्यों, सूअर, घोड़ों या अन्य जानवरों से होता है, तो वायरस उनमें फैल जाते हैं और महामारी का कारण बनते हैं।
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इंसानों के चमगादड़ों के साथ बढ़ते संपर्क
जंगलों की कटाई और शहरीकरण के कारण इंसान अब ज्यादा चमगादड़ों के संपर्क में आ रहे हैं। जंगली चमगादड़ों को खाने या उनकी गुफाओं में जाने से वायरस इंसानों में ट्रांसफर हो सकते हैं। कोरोना वायरस (COVID-19) का पहला मामला भी एकवुहान के सीफूड मार्केट में मिला, जहां चमगादड़ों के संपर्क में इंसान आए थे। चमगादड़ों के शरीर में वायरस लंबे समय तक बिना नुकसान पहुंचाए रहते हैं, जिससे वायरस को अपनी संरचना बदलने (Mutation) का समय मिलता है। यही कारण है कि COVID-19 जैसी बीमारियों में बार-बार नए वैरिएंट (Variants) बनते रहते हैं।