कोर्ट का फैसला- पत्नी की मौत के बाद पति भी है मुआवजे का हकदार
punjabkesari.in Saturday, May 03, 2025 - 03:20 PM (IST)

नारी डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने पति के मुआवजे को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट का कहना है कि महिला के पति को सिर्फ इस वजह से आश्रित मानने से इनकार नहीं किया जा सकता कि वह एक सक्षम पुरुष है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि पति की रोजगार स्थिति के सबूत के अभाव में मृतक की आय पर उसकी निर्भरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और उसे आंशिक रूप से अपनी पत्नी की आय पर निर्भर माना जाएगा।
यह भी पढ़ें:बेटे की पहली शादी बचाने के लिए बोनी कपूर की मां ने रची थी साजिश
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने मृतक के पति, जिसकी रोजगार स्थिति अप्रमाणित थी, उसे उसके बच्चों के साथ आश्रित माना, जिससे उन्हें बीमा मुआवजे का दावा करने का अधिकार मिला। कोर्ट ने कहा- "हमारा मानना है कि चूंकि पति का कोई रोजगार निर्दिष्ट नहीं था, इसलिए यह नहीं माना जा सकता कि वह कम से कम आंशिक रूप से मृतक की आय पर निर्भर नहीं रहा होगा।"
यह भी पढ़ें: भारत में Screens की कमी पर आमिर खान ने जताई चिंता
यह मामला 22.02.2015 को एक महिला की मृत्यु से उत्पन्न मोटर वाहन अधिनियम के तहत मोटर दुर्घटना दावे से संबंधित था। अपीलकर्ताओं (उनके पति और दो बच्चों) ने उनकी मृत्यु के लिए मुआवजा मांगा। मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (MACT) ने फैसला दिया था कि सिर्फ बच्चे आश्रित हैं, पति नहीं, क्योंकि वह 40 साल का सक्षम व्यक्ति है। बीमा कंपनी ने इस पर आपत्ति जताई और मामला हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
यह भी पढ़ें: Met Gala में डेब्यू करने के लिए प्रेग्नेंट कियारा आडवाणी तैयार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिर्फ यह कहना कि पति सक्षम है, काफी नहीं है। जब तक उसकी कमाई का कोई सबूत नहीं है, तब तक यह नहीं माना जा सकता कि वह पत्नी पर निर्भर नहीं था। इसलिए कोर्ट ने पति और दोनों बच्चों को आश्रित मानते हुए कुल 17 लाख 84 हजार रुपये मुआवजा तय किया। इस फैसले से साफ है कि पति भी मुआवजे का हकदार हो सकता है, अगर वह पत्नी की कमाई पर निर्भर था।