क्या शिशु को दूध में पानी मिलाना खतरनाक हो सकता है? जानें सच

punjabkesari.in Thursday, Nov 21, 2024 - 05:32 PM (IST)

नारी डेस्क: शिशु के पोषण और स्वास्थ्य का ध्यान रखना हर माता-पिता के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।नवजात और छोटे बच्चों को सही आहार देना उनकी शारीरिक और मानसिक विकास के लिए जरूरी है। दूध उनके आहार का मुख्य हिस्सा होता है, लेकिन क्या शिशु के दूध में पानी मिलाना सही है? इस सवाल का जवाब उनकी उम्र, सेहत और आहार की जरूरतों पर निर्भर करता है।अक्सर देखा जाता है कि 6 महीने के बाद पेरेंट्स जब शिशु को ठोस आहार देते हैं, तो साथ में गाय या भैंस का दूध भी पिलाने लगते हैं। नए पेरेंट्स ऐसा इसलिए करते हैं, ताकि शिशु को सही पोषण मिल सकें। शिशु को गाय और भैंस का दूध पिलाते समय दूध की बोतल में आधा दूध और आधा पानी मिला देते हैं। नए पेरेंट्स को लगता है बच्चे का पाचन तंत्र कमजोर होता है।ऐसे में वह जानवर का दूध पचा नहीं पाएंगे, इसलिए वह दूध में पानी मिलाकर देते हैं। लेकिन क्या शिशु के दूध में पानी मिलाकर देना उनकी सेहत के लिए सही है?

क्या शिशु के दूध में पानी मिलाना सुरक्षित है?

शिशु के दूध में पानी मिलाना उनकी उम्र और स्वास्थ्य की स्थिति पर निर्भर करता है। 6 महीने से कम उम्र के शिशुओं को केवल मां का दूध या डॉक्टर द्वारा सुझाया गया फार्मूला दूध ही देना चाहिए, क्योंकि इसमें पोषण और पानी की सही मात्रा होती है। इस उम्र में दूध में पानी मिलाना शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है, क्योंकि यह दूध की पोषण क्षमता को कम कर देता है और कुपोषण का खतरा बढ़ा सकता है। साथ ही, अधिक पानी देने से शिशु के शरीर में इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन हो सकता है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। 6 महीने से बड़े शिशुओं को ठोस आहार के साथ थोड़ी मात्रा में पानी दिया जा सकता है, लेकिन दूध में पानी मिलाने से बचना चाहिए। हमेशा शिशु के आहार संबंधी किसी भी बदलाव के लिए डॉक्टर की सलाह लें।

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नवजात शिशु (6 महीने से कम उम्र)

केवल मां का दूध: 6 महीने तक के शिशु के लिए मां का दूध ही पर्याप्त होता है। यह शिशु को आवश्यक पोषक तत्व और पानी दोनों प्रदान करता है। डॉक्टरों के अनुसार, इस उम्र में पानी या किसी अन्य पदार्थ की कोई जरूरत नहीं होती।

दूध में पानी मिलाना नुकसानदायक: नवजात शिशु के पाचन तंत्र अभी विकसित नहीं होते, इसलिए उन्हें दूध में पानी मिलाकर देने से उनका पेट भरा महसूस हो सकता है, लेकिन उन्हें पोषण नहीं मिलता। यह कुपोषण का कारण बन सकता है।

दूध में पानी मिलाने के खतरे

दूध में पानी मिलाने से नवजात शिशु के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इससे दूध की पोषण क्षमता घट जाती है, जिससे शिशु को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाते और कुपोषण का खतरा बढ़ जाता है। पानी की अधिक मात्रा से शिशु के शरीर में सोडियम और अन्य मिनरल्स का असंतुलन हो सकता है, जिससे इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन की समस्या उत्पन्न होती है। सही पोषण न मिलने पर शिशु के शरीर में पानी की कमी यानी डिहाइड्रेशन का खतरा भी हो सकता है। इसके अलावा, नवजात का पाचन तंत्र पानी पचाने में असमर्थ हो सकता है, जिससे पेट दर्द और गैस जैसी पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

शिशु को गाय या भैंस का दूध कब देना चाहिए?

शिशु को गाय या भैंस का दूध 1 साल की उम्र के बाद ही दिया जाना चाहिए। 1 साल से पहले इनका दूध शिशु के लिए उपयुक्त नहीं होता, क्योंकि इसमें आयरन, विटामिन और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों की कमी होती है, जो शिशु के विकास के लिए जरूरी हैं। इसके अलावा, गाय और भैंस के दूध में प्रोटीन और मिनरल्स की मात्रा अधिक होती है, जो शिशु के कमजोर पाचन तंत्र पर अतिरिक्त दबाव डाल सकती है और एलर्जी या एनीमिया का खतरा बढ़ा सकती है। 1 साल की उम्र के बाद भी यह सुनिश्चित करें कि दूध अच्छी तरह उबला हुआ हो और इसे शिशु के संतुलित आहार का हिस्सा बनाएं। किसी भी नए आहार को शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना हमेशा सुरक्षित रहता है।

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6 महीने से बड़े शिशु

सॉलिड फूड की शुरुआत: 6 महीने के बाद शिशु को मां के दूध के साथ-साथ ठोस आहार और थोड़ा पानी दिया जा सकता है।
पानी की सीमित मात्रा: अगर डॉक्टर सलाह दें तो फार्मूला दूध के साथ थोड़ी मात्रा में पानी दिया जा सकता है, लेकिन दूध में पानी मिलाने की जरूरत नहीं है।

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डॉक्टर से सलाह लें

यदि शिशु का वजन कम है या उन्हें दूध पीने में कठिनाई हो रही है, तो बिना डॉक्टर की सलाह के किसी प्रकार का बदलाव न करें।

ध्यान देने योग्य बातें

1. हमेशा शिशु को डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही फार्मूला दूध दें।

2. घर पर तैयार दूध में पानी मिलाने से बचें।

3. शुद्ध और उबला हुआ पानी ही उपयोग करें, लेकिन इसे दूध के साथ न मिलाएं।

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शिशु के स्वास्थ्य और विकास के लिए सही पोषण आवश्यक है। नवजात शिशु को दूध में पानी मिलाकर देना उनके लिए हानिकारक हो सकता है। हमेशा शिशु की उम्र, स्वास्थ्य और पोषण की जरूरतों के अनुसार ही आहार योजना बनाएं और डॉक्टर की सलाह लें।


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Content Editor

Priya Yadav

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