Delhi Pollution Alert: 80% लोग छोड़ना चाहते हैं दिल्ली-NCR, सर्वे में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
punjabkesari.in Saturday, Nov 29, 2025 - 12:01 PM (IST)
नारी डेस्क : दिल्ली-NCR में बढ़ते वायु प्रदूषण ने लोगों की सेहत और जीवनशैली पर गंभीर असर डालना शुरू कर दिया है। ताज़ा Smytten PulseAI सर्वे में खुलासा हुआ है कि इलाके के 80 प्रतिशत से अधिक निवासी लगातार खांसी, थकान और सांस में जलन जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। जिसके कारण लोग दिल्ली छोड़ने को मजबूर हो गए हैं।
68% लोगों को डॉक्टर की मदद लेनी पड़ी
सर्वे के अनुसार, पिछले एक साल में 68.3 प्रतिशत लोगों को प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों के इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाना पड़ा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह आंकड़ा दर्शाता है कि राजधानी में वायु प्रदूषण अब सिर्फ मौसम का मामला नहीं रह गया, बल्कि यह एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बन चुका है।
76% लोगों ने कम कर दी बाहरी गतिविधियां
प्रदूषित हवा के कारण लोग घरों में कैद होने लगे हैं। सर्वे में सामने आया कि 76.4 प्रतिशत लोग रोजमर्रा की बाहरी गतिविधियां काफी कम कर चुके हैं। कई परिवारों ने कहा कि बच्चों को स्कूल भेजना भी अब डराने लगा है। लगातार धुंध और बदबू भरी हवा लोगों को घरों में रहने पर मजबूर कर रही है।
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80% लोग NCR छोड़ने की योजना में
सर्वे के सबसे चौंकाने वाले निष्कर्ष में यह सामने आया कि 79.8 प्रतिशत लोग या तो NCR छोड़ चुके हैं या इसे छोड़ने की योजना बना रहे हैं।
इनमें से: 33.6% लोग गंभीरता से जाने की सोच रहे हैं।
31% लोग इस पर सक्रिय रूप से विचार कर रहे हैं।
15.2% निवासी पहले ही अन्य शहरों में शिफ्ट हो चुके हैं।
कई परिवारों ने नए शहरों में घर और बच्चों के स्कूल की तलाश जैसे कदम भी शुरू कर दिए हैं।
पहाड़ी और छोटे शहर बने पसंदीदा ठिकाने
सर्वे में यह भी पाया गया कि लोग अब ऐसे शहरों में रहना पसंद कर रहे हैं जहां हवा साफ हो, फैक्ट्रियों और धूल-धुआं से मुक्त माहौल हो। छोटे शहर और पहाड़ी क्षेत्र उनकी पहली पसंद बनते जा रहे हैं।
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प्रदूषण ने खर्च पर भी डाला भारी असर
वायु प्रदूषण ने दिल्ली-NCR के मध्यम वर्ग की जेब पर भी असर डाला है।
85.3% परिवारों ने कहा कि प्रदूषण से घरेलू खर्च बढ़ गया है।
41.6% लोगों ने माना कि इसके कारण उन पर वित्तीय दबाव पड़ा है।
मास्क, एयर प्यूरीफायर, दवाइयां और डॉक्टर के चक्कर अब लोगों के बजट पर भारी पड़ रहे हैं।
विशेषज्ञों ने कहा
Smytten PulseAI के सह-संस्थापक ने कहा, खराब हवा अब लोगों की दिनचर्या, स्वास्थ्य, खर्च, नौकरी और रहने की जगह के फैसलों तक प्रभावित कर रही है। यह सिर्फ पर्यावरणीय समस्या नहीं, बल्कि जीवन की गुणवत्ता का बड़ा सवाल बन चुका है।

