इन 5 लोगों में होता है Heart Attack का ज्यादा खतरा, दिल का दौरा आने पर फौरन करें ये काम

punjabkesari.in Wednesday, Jun 04, 2025 - 05:52 PM (IST)

नारी डेस्क: आजकल हम अक्सर सुनते हैं कि किसी को अचानक हार्ट अटैक आ गया, चाहे वह जवान हो या बुजुर्ग। पहले दिल की बीमारी उम्रदराज लोगों तक ही सीमित मानी जाती थी, लेकिन अब यह किसी को भी हो सकती है। इसकी सबसे बड़ी वजह हमारी बदलती लाइफस्टाइल, तनाव और गलत खान-पान की आदतें हैं। डॉक्टरों के अनुसार कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें हार्ट अटैक का खतरा सबसे ज्यादा होता है। अच्छी बात यह है कि अगर हम समय रहते सावधान हो जाएं तो इस खतरे को काफी हद तक टाला जा सकता है। आइए जानते हैं कौन-कौन हार्ट अटैक के ज्यादा रिस्क पर होते हैं और इसके लक्षण क्या-क्या हैं।

ब्लड प्रेशर वाले लोग

जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर होता है, उनके दिल पर ज्यादा दबाव पड़ता है। इसके कारण खून ले जाने वाली नसें धीरे-धीरे कमजोर हो जाती हैं। इस कमजोरी से नसों में ब्लॉकेज यानी रुकावट हो सकती है। जब नसों में रुकावट होती है तो खून दिल तक सही तरीके से नहीं पहुंच पाता, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

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डायबिटीज वाले मरीज

डायबिटीज के मरीजों के खून में शुगर की मात्रा सामान्य से ज्यादा रहती है। लंबे समय तक ज्यादा शुगर होने से खून की नसों में सूजन और नुकसान हो सकता है। नसों के अंदर की परत खराब हो जाती है, जिससे खून का बहाव रुक-रुक कर होता है। इसका नतीजा यह होता है कि दिल को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

धूम्रपान और नशा करने वाले लोग

सिगरेट, बीड़ी, गुटखा, शराब और अन्य नशे की चीजें शरीर की नसों को नुकसान पहुंचाती हैं। ये चीजें खून की नसों को सिकोड़ देती हैं, जिससे उनकी चौड़ाई कम हो जाती है और खून का बहाव धीमा हो जाता है। इससे दिल की बीमारियां, खासकर हार्ट अटैक का खतरा और भी बढ़ जाता है।

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मोटापा और ज्यादा वजन वाले लोग

जब किसी व्यक्ति का वजन बहुत ज्यादा होता है, तो उसका दिल शरीर को खून पहुंचाने के लिए ज्यादा मेहनत करता है। शरीर में जमा हुई अतिरिक्त चर्बी खून की नसों के पास जमा हो जाती है, जिससे खून का बहाव धीमा या रुक सकता है। इस कारण दिल पर दबाव बढ़ता है और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए मोटे लोगों में हार्ट अटैक होने की संभावना सामान्य वजन वाले लोगों से ज्यादा होती है।

एक्सरसाइज न करने वाले लोग

जो लोग रोजाना एक्सरसाइज या कोई शारीरिक मेहनत नहीं करते, उनकी मांसपेशियां और नसें कमजोर हो जाती हैं। जब शरीर सुस्त रहता है तो खून का बहाव भी धीमा हो जाता है। एक्सरसाइज की कमी से कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है और ब्लड प्रेशर अनियंत्रित हो सकता है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

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हार्ट अटैक के लक्षण, जिन्हें न करें नजरअंदाज

छाती में दर्द: दिल में दिक्कत होने पर सबसे आम लक्षण छाती में दर्द होता है। यह दर्द अक्सर छाती के बीच में होता है और भारीपन या जलन जैसा महसूस होता है। कुछ लोगों को ऐसा लगता है जैसे सीने पर कोई भारी चीज रखी हो। यह दर्द आराम करने पर कम हो सकता है, लेकिन अगर लगातार बना रहे तो यह हार्ट अटैक का संकेत हो सकता है।

सांस फूलना: अगर थोड़ी सी मेहनत जैसे सीढ़ियां चढ़ना या चलना पर सांस फूलने लगे, तो यह दिल की कमजोरी का लक्षण हो सकता है। जब दिल सही से खून नहीं भेज पाता, तो फेफड़े ठीक से काम नहीं करते और सांस लेने में दिक्कत होती है।

धड़कन तेज या अनियमित होना: अगर दिल की धड़कन अचानक तेज हो जाए या रुक-रुक कर चलने लगे, तो यह भी चिंता का कारण हो सकता है। इस स्थिति को ‘एरिथमिया’ कहते हैं, जिससे बेचैनी, घबराहट या थकान हो सकती है।

पैरों में सूजन: दिल कमजोर हो जाने पर शरीर में खून सही से पंप नहीं हो पाता, जिससे पैरों और टखनों में सूजन आ जाती है। यह सूजन धीरे-धीरे बढ़ती है और दबाने पर गड्ढा भी पड़ सकता है।

चक्कर आना या बेहोशी: अगर बार-बार चक्कर आते हैं या अचानक बेहोशी हो जाती है, तो यह दिल की बीमारी का संकेत हो सकता है। इसका कारण दिल से दिमाग तक खून सही मात्रा में नहीं पहुंचना हो सकता है। इसे गंभीरता से लेकर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

कौन-कौन से टेस्ट कराएं?

ECG (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम): यह टेस्ट दिल की धड़कनों की गति और लय को दिखाता है। इसमें शरीर पर तार लगाए जाते हैं जो मशीन से जुड़े होते हैं। यह टेस्ट दिल की धड़कन की अनियमितता और कमजोरी का पता लगाता है।

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Echo (इकोकार्डियोग्राफी): दिल का अल्ट्रासाउंड टेस्ट, जिसमें दिल की बनावट, वाल्व और पंपिंग क्षमता देखी जाती है। इससे दिल की ताकत का पता चलता है।

TMT (ट्रेडमिल टेस्ट): इस टेस्ट में मरीज को चलाया या दौड़ाया जाता है और दिल की धड़कनों को जांचा जाता है। यह बताता है कि मेहनत के दौरान दिल कैसे काम करता है और कहीं नसों में रुकावट तो नहीं।Angiography: यह टेस्ट नसों में ब्लॉकेज की जांच करता है। इसमें खास डाई इंजेक्ट की जाती है और एक्स-रे के जरिए नसों में खून के बहाव को देखा जाता है। ब्लॉकेज होने पर इलाज जैसे स्टेंट लगवाना या बायपास सर्जरी जरूरी हो सकती है।

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हार्ट अटैक आने पर क्या करें?

हार्ट अटैक एक मेडिकल इमरजेंसी है, जिसमें समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। सबसे पहले मरीज को आराम से लिटाएं और तुरंत अस्पताल पहुंचाएं। अस्पताल में डॉक्टर खून की नसों में ब्लॉकेज की जांच करेंगे। अगर थक्का मिला तो थ्रॉम्बोलाइटिक दवा दी जाती है जो खून की गुठली को घोलती है। यदि दवा से असर नहीं होता तो एंजियोप्लास्टी की जाती है, जिसमें नस में स्टेंट लगाया जाता है। गंभीर ब्लॉकेज पर बायपास सर्जरी की सलाह दी जाती है।

हार्ट अटैक से बचाव के उपाय

नियमित व्यायाम करें: रोजाना 30 मिनट की हल्की दौड़, योग, ब्रिस्क वॉक या एक्सरसाइज से दिल मजबूत होता है।

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वजन नियंत्रित रखें: अधिक वजन से दिल पर दबाव बढ़ता है। BMI चेक कराएं और सामान्य स्तर में रखें।

धूम्रपान और शराब से बचें: सिगरेट, बीड़ी, शराब दिल की नसों को नुकसान पहुंचाती हैं। इन्हें छोड़ने की कोशिश करें।

संतुलित और हेल्दी भोजन करें: तली-भुनी चीजें, अधिक नमक, घी, मक्खन और मिठाई कम खाएं। फल, सब्जियां और हल्का खाना ज्यादा लें।

तनाव कम करें: ध्यान, गाना सुनना, परिवार के साथ समय बिताना और काम का सही प्रबंधन तनाव कम करता है।

ब्लड प्रेशर और शुगर की जांच कराएं: हर 6 महीने में चेकअप कराएं ताकि बीमारियों को समय रहते रोका जा सके।

हार्ट अटैक से बचाव के लिए अपनी लाइफस्टाइल में सुधार लाना और समय-समय पर स्वास्थ्य जांच कराना बहुत जरूरी है।
 


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Content Editor

PRARTHNA SHARMA

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